क्या शासन के आदेश के बिना चल रहा है इस रसूखदार नेता का दाल-भात केंद्र …?

अम्बिकापुर छत्तीसगढ सरकार ने अन्नपूर्णा दाल भात केन्द्र की योजना गरीब और श्रमिको को भर पेट भोजन कराने के लिए शुरु की थी,, लेकिन अम्बिकापुर मे ये योजना गरीबो का नही अमीरो का पेट भरने की योजना साबित हो रही है, दरअसल मामला अम्बिकापुर के गांधीचौक स्थित दाल भात केन्द्र का है,, जहां के संचालक को इतना ज्यादा राजनैतिक सरंक्षण प्राप्त है कि उसके आगे निगम आय़ुक्त और कलेक्टर की कार्यवाही भी बौनी साबित हो रही है।

तकरीबन एक दशक पूर्व अम्बिकापुर मे शुरु किए गए अन्नपूर्णा दाल भात के अधिकांश केन्द्र आर्थिक कठिनाईयो के कारण बंद हो चुके है,, लेकिन गांधी चौक का दालभात केन्द्र आज भी संचालित है,, इस केन्द्र को नगर निगम द्वारा तीन दुकाने आबंटित तो कर दी गई , लेकिन आबंटन काल से ही एक भाजपा के रसूकदार नेता के क्षत्र छाया मे संचालित इन दुकानो का निगम से अब तक कोई अनुबंध भी नही हुआ है,

 

गौरतलब है कि इस केन्द्र मे पिछले 6 महीने मे एक शिकायत के आधार पर एक बार खाद्य विभाग , एक बार डिप्टी कलेक्टर आर.एन.पाण्डेय़ और एक बार खुद कलेक्टर के निर्देश पर अधिकारियो की टीम ने इस केन्द्र की जांच की, जिसमे कभी इस केन्द्र दाल के साथ रेस्टोरेंट वाली व्यवस्था यानी मुर्गा , मटन, मछली और अण्डा जैसे खाद्य प्रदार्श को परोसना पाया गया था,, तो कभी यहां के लिए आबंटित खाद्य प्रदार्थ और दस्तावेजो के मिलान मे हेराफेरी पाई गई थी,,

वर्षो से मिल रहा है चावल पर आबंटन आदेश का पता नही

गांधी चौक पर संचालित दाल भात केन्द्र के संबध मे पिछले दिनो एक आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा खाद्य विभाग से आबंटन आदेश मांगा गया था, जिसके एवज मे आरटीआई के तहत खाद्य विभाग ने जिले के दो तीन केन्द्रो के आबंटन आदेश की कापी तो दे दी,, लेकिन गांधी चौक स्थित दाल भात केन्द्र के लिए आबंटन खाद्य सामग्री का कोई भी आदेश खाद्य विभाग ने नही दिया,, मतलब आप समझ रहे होगें कि जब खाद्य विभाग इसको जारी करने वाले खाद्यान का आदेश ही नही दे पा रहा है तो फिर दस सालो से गरीबो के दाल भात के लिए आबंटित अन्न को बेंचकर मिलने वाले रकम का किस कदर बंदरबांट हो रहा होगा,,,

जांच मे पाई गई गडबडी फिर भी मेहरबानी

गौरतलब है कि पिछले दिनो खाद्य विभाग की जांच के बाद एक बडे अधिकारी ने कहां था कि जांच मे ऐसे तथ्य पाए गए है जिससे ये केन्द्र 100 प्रतिशत बंद हो जाएगा,, लेकिन अचरज की बात है कि रायपुर से अम्बिकापुर तक बैठे खाद्य विभाग के अधिकारी ना जाने केन्द्र से संचालक को बचाने का क्यो प्रयास कर रहे है,,, कुछ लोग तो ये भी बोल रहे थे कि गांधी चौक वाला दाल भात केन्द्र बंद हुआ तो खाद्य विभाग के अधिकारियो को कटघडे मे खडा होना पड सकता है,, क्योकि सब मिली भगत से हो रहा है।

चाहें तो पकड मे आ सकती है चोरी

गांधी चौक पर स्थित सीसीटीव्ही कैमरा अपराध औऱ अपराधियो की गतिविधियो को कैद करने के लिए लगाया गया है, लेकिन कैमरे के सामने संचालित दाल भात केन्द्र से प्रतिदिन एक क्विंटल से ज्यादा चावल निकाल कर गुदरी स्थित एक दुकान मे बेंचा जाता है, ऐसे मे अगर प्रशासन चाहे तो गरीबो के हक का चावल खुले बाजार मे बिकने से रोका जा सकता है,,

संचालक के वाहन मे चलते है अधिकारी

इस दाल भात केन्द्र के संचालक दशरथ सोनी भाजपा के एक बडे नेता के साथ रह रह कर खुद भाजपा का एक बडा नेता बन गया है,, और यही वजह है कि उनकी रसूक से जिला प्रशासन तक के लोग घबराते है,, इतना ही नही श्री सोनी के वाहनो का उपयोग कलेक्टर से लेकर खाद्य विभाग के अधिकारी तक करते है, इनके तीन वाहन इनोवा, स्कार्पियो और बोलेरो जैसे तीनो वाहन कलेक्ट्रेट परिसर मे संचालित बडे बडे विभागो मे लगे है