रायपुर 25 सितंबर 2014
कोल ब्लाक आबंटन में अब माननीय सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आ गया है। लगभग सभी कोल ब्लाक निरस्त करने के आदेष माननीय न्यायालय ने दिये है। जिसमें छत्तीसगढ़ के कोल ब्लाक भी शामिल है। छत्तीसगढ़ प्रदेष कांग्रेस पूर्व से ही इस बात का आरोप राज्य की भाजपा सरकार पर लगाती रही है कि प्रदेष के मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह जो कि खनिज संसाधन मंत्रालय के प्रभारी मंत्री भी हैं, उनके द्वारा कुछ तथाकथित उद्यागपतियों के साथ सांठ-गांठ कर कूटरचित दस्तावेज तैयार कर षड़यंत्रपूर्वक ऐसी फर्मो एवं कंपनियों को कोल ब्लाक लौह अयस्क ब्लाक आबंटित कराने हेतु भारत सरकार को अनुषंसा भेजी, जिनका उद्देष्य कभी भी प्रदेष में अथवा ओर कहीं भी उद्योग स्थापित करना नहीं था। उनका उद्देष्य केवल आबंटन दस्तावेजों को बेचकर अरबों रूपयें कमाना था। डाॅ. रमन सिंह के षड़यंत्र को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिये प्रदेष के पूर्व खनिज सचिव एवं मुख्य सचिव श्री षिवराज सिंह (जो कि वर्तमान में मुख्यमंत्री के सलाहकार भी हैं) एवं खनिज विभाग के अधिकारी उनके एजेन्ट के रूप में कार्य करते रहे।
राज्य की नैसर्गिक खनिज संपदा के लूट खसोट का जो षड़यंत्र डाॅ. रमन सिंह एवं उनके विभागीय सचिव षिवराज सिंह ने रचाा था उसकी कलई खुल गयी है। इसमें प्रदेष भाजपा के पदाधिकारी भी शामिल है। उपलब्ध दस्तावेज इन संपूर्ण प्रकरण में भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारियों की संलिप्तता की ओर भी इषारा करते है। राज्य सरकार के खनिज संसाधन विभाग के तत्कालीन मुख्य सचिव दिल्ली जाकर वहां कोल ब्लाक एवं लौह अयस्क प्रक्षेत्र आबंटन समिति के समक्ष कूटरचित दस्तावेज प्रस्तुत कर प्रदेष की खनिज संपदा को लुटाने का षड़यंत्र कर अरबों रूपयों की काली कमाई की। जिसकी अनुषंसा में प्रभारी मंत्री होने के नाते मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह का अनुमोदन प्राप्त रहा है।
उदाहरण के तौर पर मेसर्स नवभारत कोल फील्ड्स प्रा.लिमि. नाम की कंपनी जिसके संचालकों मे भाजपा नेत्री नीना सिंह भी थी। इस कंपनी के नाम से कोल ब्लाक आबंटन हेतु डाॅ. रमन सिंह ने कूटरचित दस्तावेज के साथ भारत सरकार को अनुषंसा भेजी। कोयला मंत्रालय की कोल ब्लाक्स आबंटन हेतु छानबीन समिति की दिनांक 01.02.2005 को संपन्न 26वीं बैठक में मेसर्स नवभारत कोलफील्ड प्रा.लिमि. के प्रकरण पर चर्चा हुई। उक्त बैठक में प्रदेष सरकार के प्रतिनितिध के रूप में श्री षिवराज सिंह मौजूद थे।
उक्त बैठक में प्रस्तुत दस्तावेजों के अनुसार मेसर्स नवभरत कोलफील्डस प्रा.लिमि. का राज्य के बस्तर क्षेत्र में 1 मिलियन टन क्षमता का स्पंज आयरन प्लांट एवं 200 मेगावाट क्षमता का पावर प्लांट स्थापित था, एवं लगभग 60 हजार टन वार्षिक क्षमता का स्पंज आयरन प्लांट स्थापित किया जा रहा था।
उक्त बैठक में राज्य सरकार एवं कंपनी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों के अनुसार दिनांक 31.03.2004 को कंपनी का टर्नओवर 33.69 करोड़ कंपनी का नेट प्राफिट 59 लाख एवं कंपनी की कुल परिसिंपत्ति लगभग 7.84 करोड़ की थी। जबकि कंपनी द्वारा ला बोर्ड एवं कारपोरेट मामलो के मंत्रालय को प्रस्तुत वार्षिक लेखों के अनुसार मेसर्स नवभारत फ्यूल्स प्रा.लि. द्वारा उक्त दिनांक तक किसी भी प्रकार का व्यावसायिक लेन-देन नहीं किया गया था।
दुर्भाग्य यह है कि छानबीन समिति की उक्त बैठक में इस्पात मंत्रालय के प्रतिनिधि ने जब इस प्रस्ताव का विरोध किया तो छत्तीसगढ़ सरकार के प्रतिनिधि श्री षिवराज सिंह ने कंपनी को कोल ब्लाक आबंटन की पैरवी की। दिनांक 2 नवंबर 2007 को कंपनी की संचालक मंडल की बैठक में यह बताया गया कि 1 नवंबर 2007 को संचालक श्रीमती नीना सिंह ने इस्तीफा दे दिया है एवं मेसर्स नवभारत फ्यूज कंपनी लिमिटेड ने अपने 74प्रतिषत शेयर मेसर्स सोलर एक्सप्लोसिव लिमिटेड के पक्ष में हस्तांतरित कर दिये है।
इस प्रकार मेसर्स नवभारत फ्यूल्स प्रा.लि. ने भारत सरकार द्वारा उनके केप्टीव उपयोग के लिये आबंटित कोल ब्लाक को राज्य सरकार को सूचित किये बिना ही मेसर्स सोलर एक्सप्लोसिव लिमिटेड नागपुर को बेच दिया। दिनांक 26.02.2008 को विधानसभा में तत्कालीन सदस्य नंदकुमार पटेल जी की ध्यानाकर्षण सूचना पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह जी ने सदन को अवगत कराया था कि मेसर्स नवभारत कोल फील्ड प्रा.लि. को राज्य स्थित मदनपुर (नार्थ) कोल ब्लाक का आबंटन 12 कंपनियों के समूह को संयुक्त रूप से किया गया है। जिसमें 36 मिलियन कोयला नवभारत कोल फील्ड प्रा.लि. को स्पंज आयरन एवं पावर जेनरेषन हेतु केप्टिव यूज के लिये आबंटित किया है। डाॅ. रमन सिंह जी ने उस दिन भी कहा था कि राज्य सरकार द्वारा जिस कंपनी के पक्ष में खनिज के आबंटन की अनुषंसा की जाती है वह कंपनी उस कंपनी उस खनिज की लीज को राज्य सरकार की अनुमति बर्गर अन्य कंपनी को हस्तांतरित नहीं कर सकती।
फिर नवभारत कोल फील्ड प्रा.लि. 74 प्रतिषत शेयर सोलर एक्सप्लोसिव लि. के नाम हस्तांतरित होने के पश्चात् क्या राज्य सरकार ने उक्त कोल ब्लाक का आबंटन निरस्त करने की कार्यवाही अपने स्तर से की। क्या भारत सरकार के कोयला मंत्रालय को कभी राज्य सरकार ने कोल ब्लाक आबंटन निरस्त करने हेतु कोई पत्र लिखा? यदि हां तो कब?
जहां तक मेरी जानकारी है कि राज्य सरकार के मुखिया ने केन्द्र सरकार को आबंटन निरस्तीकरण हेतु कोई पत्र नहीं लिखा। क्योंकि यह सारा षड़यंत्र भारतीय जनता पार्टी के भीतर ही रचा गया था जहां कोल ब्लाक आबंटन का षड़यंत्र उन्हीं की सरकार के मुखिया के नेतृत्व में रचा गया। जिस कंपनी के आबंटन किया गया उसके संचालक भी भाजपा के पदाधिकारी एवं जिस सोलर एक्सप्लोसिव लिमिटेड को 74 प्रतिषत शेयर हस्तांतरित किये गये उसका संबंध भी भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के नेता से है। यह कंपनी है जिसके संचालकों के नाम राज्य के एक और कोयला घोटाले में आया था। राज्य खनिज विकास निगम को आबंटित भटगांव 2 एवं भटगांव एक्सटेषन कोल ब्लाक को माइनिंग हेतु जिस कंपनी को जेवी बनाकर दिये जाने का मामला नियंत्रक लेखा परीक्षक ने उठाया गया था उसके तार वहीं तक पहुंच रहे है।
इस संपूर्ण प्रकरण से स्पष्ट है कि प्रदेष के खनिज विभाग के प्रभारी एवं राज्य के मुख्यमंत्री ऐन-केन प्रकारेण अपने निजी स्वार्थ, पैसो की लालच एवं भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं को उपकृत करने के लिये राज्य को नेसर्गिक खनिज संपदा को लुटाने आमादा है।
इस संपूर्ण प्रकरण में उनके प्रमुख सिपहसालार रहे मुख्य सचिव षिवराज सिंह रिटायरमेंट के बाद भी उनके सलाहकार बने बैठे है।
प्रदेष कांग्रेस कमेटी, केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार से यह मांग करती है कि इस संपूर्ण प्रकरण एवं ऐसे अन्य कोयला एवं लौह अयस्क, बाक्साईट एवं चूना पत्थर खदानों के आबंटन से संबंधित समस्त प्रकरणों की उच्च स्तरीय जांच करा कर खनिज विभाग में पदस्थ रहे वरिष्ठ प्रषासनिक अधिकारियों के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जायें।