
रायपुर. 17 जुलाई 2014
- छत्तीसगढ़ के केन्द्रीय जेलों में बंदी सीख रहे हैं घरेलू और कुटीर उद्योग
वित्तीय वर्ष 2013-14 में रायपुर केन्द्रीय जेल के बंदियों ने कुल डेढ़ करोड़ रूपए से अधिक के वस्तुओं का उत्पादन किया है। इनमें 45 लाख रूपए की कीमत के साबुन, वॉशिंग पावडर और फिनाईल निर्माण, चार लाख रूपए के मूल्य का मसाला निर्माण, ढाई लाख रूपए का बुनाई कार्य, साढ़े 35 लाख रूपए का ऑफसेट एवं स्क्रीन प्रिंटिंग, पांच लाख रूपए का सिलाई कार्य, काष्ठकला उद्योग के रूप में करीब 24 लाख रूपए, लौह उद्योग का साढ़े 33 लाख रूपए एवं कसीदाकारी उद्योग के 21 हजार रूपए के काम शामिल हैं।
दुर्ग केन्द्रीय जेल के कैदियों ने पिछले वित्तीय वर्ष में कुल 18 लाख 22 हजार रूपए मूल्य की सामग्रियों का उत्पादन किया है। इनमें करीब तीन लाख रूपए के स्क्रीन प्रिंटिंग, 84 हजार रूपए की सिलाई, पांच लाख रूपए से अधिक के काष्ठकला और नौ लाख रूपए के लौह उद्योग कार्य शामिल है। बिलासपुर केन्द्रीय जेल में बंदियों ने बीते वित्तीय वर्ष में कुल 46 लाख 32 हजार रूपए के विभिन्न उत्पाद बनाए हैं। यहां कैदियों ने प्रिंटिंग प्रेस से 39 लाख रूपए, काष्ठकला से करीब डेढ़ लाख रूपए, स्टील फर्नीचर से 43 हजार रूपए, सिलाई उद्योग से 53 हजार रूपए, बुनाई से 12 हजार रूपए एवं नायलोन डोरी निर्माण से सात हजार रूपए मूल्य की सामग्रियां बनाई है।
जगदलपुर केन्द्रीय जेल में वित्तीय वर्ष 2013-14 में बंदियों ने 70 लाख 36 हजार रूपए मूल्य के वस्तुओं का उत्पादन किया है। इनमें मूर्ति उद्योग से 19 लाख 30 हजार रूपए, बुनाई उद्योग से 35 हजार रूपए, लौह उद्योग से 20 लाख 27 हजार रूपए, सिलाई उद्योग से एक लाख 72 हजार रूपए, केकती उद्योग से एक लाख 20 हजार रूपए, काष्ठकला से दो लाख 51 हजार रूपए, मसाला उद्योग से एक लाख 52 हजार रूपए और स्क्रीन प्रिंटिंग के माध्यम से लगभग 87 हजार रूपए के वस्तुओं का निर्माण किया है। अंबिकापुर केन्द्रीय जेल के कैदियों ने इस दौरान कुल चार लाख रूपए से अधिक के समान बनाए हैं। बुनाई उद्योग के माध्यम से छः हजार रूपए, बांस शिल्प से 33 हजार, वॉशिंग पावडर निर्माण से एक लाख रूपए से अधिक, स्क्रीन प्रिंटिंग से 63 हजार, काष्ठकला से पौने दो लाख रूपए एवं सिलाई उद्योग के माध्यम से 23 हजार रूपए से अधिक मूल्य की सामग्रियों का उत्पादन किया है।