रायपुर
राज्य के सरकारी और निजी संस्थानों में काम करने वाली महिलाओं की सुरक्षा के लिए अब हर हाल में सभी कार्यालयों में आंतरिक सुरक्षा समिति का गठन अनिवार्य किया जा रहा है। राज्य महिला आयोग ने इस दायरे में अब सरकारी संस्थाओं के साथ निजी संस्थाओं को भी ले लिया है। कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी संबंधित कंपनी की पहले है, उसके बाद सरकार की। इस भावना को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव किया जा रहा है।
महिला आयोग कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चलाए जाने वाले अभियान की 21 फरवरी से सरगुजा से शुरुआत करने जा रहा है। महिला आयोग की अध्यक्ष लता उसेंडी व सदस्य हर्षिता पांडे ने बताया कि महिलाओं के साथ कार्यस्थल में होने वाली प्रताड़ना व शोषण की शिकायतें मिलने के बाद इस पर अंकुश लगाने के लिए ऐसा किया जा रहा है।
प्रदेश में निर्भया एक्ट-13 का पालन कराने का भी प्रयास होगा। पुलिस व डाक्टरों पर एक्ट का पालन करने दबाव बनाया जाएगा। दुष्कर्म पीड़िता का हर पीएचसी में मुलाहिजा व प्राथमिक उपचार करने की अनिवार्यता होगी। निजी अस्पतालों में भी पीड़िताओं का मुलाहिजा करना जरूरी है। ऐसा न करने वाले डॉक्टरों व नर्सिग होम के संचालकों को सजा देने का भी प्रावधान है। आयोग ने राज्य में लैंगिक अपराध व साइबर क्राइम रोकने की दिशा में पहले ही काम शुरू कर दिया है।
राज्य में बनेंगी 146 महिला अदालतें
प्रदेश में महिलाओं के लिए प्रकरणों की सुनवाई के लिए सरकार 146 ब्लॉकों में महिला अदालतों का गठन करने जा रही है। इसके खाके को अंतिम रूप दिया जा रहा है। राज्य महिला आयोग की पहल पर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इसे सैद्धांतिक मंजूरी दी है। जल्द ही इसे संवैधानिक रूप प्रदान करने केबिनेट के बाद विधानसभा में प्रस्तुत किया जाएगा। सभी 27 जिलों के 146 ब्लॉकों में इसका गठन होगा।