रायपुर18 नवंबर 2014
क्या इन दवाओं की रिपोर्ट पहले आ गयी थी, दबा कर रखी गयी थी
8 नवंबर को बिलासपुर और 12 नवंबर को पेण्ड्रा गौरेला मरवाही में हुये नसबंदी षिविर मामले में 17 महिलाओं की मौत और 122 महिलाओं के अभी तक अस्पताल में गंभीर हालत में भरती होने के मामले में प्रदेष कांग्रेस के महामंत्री और मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने मांग की है कि प्रदेष कांग्रेस के महामंत्री और मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने मांग की है छत्तीसगढ़ सरकार 8 नवंबर और 10 नवंबर को नसबंदी आपरेषनों में उपयोग की गयी। दवाओं की सूची जारी करें ताकि सार्वजनिक हो सके कि कौन-कौन सी दवाइयों का उपयोग किया गया। बिलासपुर नसबंदी षिविर में महिलाओं की हालत बिगड़ने और कुछ महिलाओं की मौत के बाद आनन-फानन में राज्य सरकार ने 12 नवंबर को दो आदेष जारी किये। पहले आदेष में 6 निम्नांकित दवाओं की गुणवत्ता संदिग्ध मानते हुये केन्द्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगषाला को तत्काल भेजा गया-
क्रमांक/औषधि/2014/06 दिनांक 12/11/2014 के द्वारा
1 टेबलेट आईबुप्रोफेन 400 एमजी, बेच नं. टीटी 450413, निर्माता मेसर्स टेक्नीकल लेब फार्मा प्रा. लिमि. हरिद्वार।
2 टेबलेट सिप्रोसीन 500 एमजी, बेच नं. 14101 सीडी, निर्माता मेसर्स महावर फार्मा प्रा. लिमि. खम्हारडीह रायपुर छ.ग.
3 इंजेक्षन लिग्नोकेन एचसीएल आईपी, बेच नं. आरएल 108, निर्माता मेसर्स रिगेन लेबोरेटरीज हिसार,
4 इंजेक्षन लिग्नोकेन एचसीएल आईपी, बेच नं. आरएल 107, निर्माता मेसर्स रिगेन लेबोरेटरीज हिसार,
5 एब्जारबेट काटन वुल आईपी, बेच नं. ए 0033, निर्माता मेसर्स हेम्पटन इंडस्ट्रीज संजय नगर रायपुर छ.ग.
6 जिलोन लोषन, बेच नं. जेई 179, निर्माता मेसर्स जी फार्मा 323 कलानी नगर इंदौर म.प्र.
इसके साथ ही राज्य सरकार ने 12 नवंबर को ही एक और आदेष जारी कर निम्नांकित 6 दवाओं के विक्रय पर प्रतिबंध लगा दिया लेकिन इन दवाओं के नमून को परीक्षण के लिये नहीं भेजा गया ये दवायें हैं-
12/11/2014 को ही 1212053/संचिषि/प्रषा.अधि./2014 के द्वारा
1 Providone Iodine sol : E130802, Supplier-Micon
2 Diazepam inj : CDZ1302 Supplier-Nandini
3 Surgical spirit : 0153A1406, Supplier -Unijules
4 Pentazocin inj : M14114, Supplier-Magna lab
5Atropine Sulphate inj: CAT1302, Supplier-Nandini
6 Adrenaline inj: AD1401, Supplier, Nandini
राज्य सरकार के इस आदेष से सवाल यह उठता है कि इन दवाओं के नमूने परीक्षण को क्यों वहीं भेजे गये? क्या इनकी गुणवत्ता संदिग्ध नहीं हैं? यदि इन दवाओं की गुणवत्ता संदिग्ध नहीं है तब इनकी बिक्री पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया? प्रतिबंध बिलासपुर नसबंदी षिविर में महिलाओं की मौत के बाद ही जारी किये गये हैं कहीं इन दवाओं का उपयोग भी नसबंदी षिविर में तो नहीं किया गया? सरकार लीपापोती और मामले को दबाने के लिये इन दवाओं के परीक्षण से बच रही है। कहीं इन दवाओं की रिपोर्ट सरकार के पास पहले से थी उसके बाद भी सरकार ने कोई कार्यवाही नहीं किया।
जिलोन लोषन की निर्माता कंपनी इंदौर की जी फार्मा 3 माह से बंद है, इनका डायरेक्टर फरार है तो छत्तीसगढ़ सरकार को इन दवाइयों की सप्लाई कौन कर रहा है?
सरकार के ये दोनो आदेष छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग और दवाओं की सरकारी खरीद की पोल भी खोल कर रख देते है। कांग्रेस ने जांच करवायी है कि जितने भी निर्माता 12/11/2014 के आदेषों के द्वारा प्रतिबंधित किये गये है, वे गली कूचों में एक कमरे के मकानों से चल रही फेक्टरियां है।
मामला सिर्फ घटिया और नकली दवाओं का नहीं है, मामला इन घटिया उत्पादकों से छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लगातार की जा रही दवाओं की खरीदी और इसमें हो रहे भ्रष्टाचार का है। एक पेन की भी सरकारी खरीद के लिये टेंडर की प्रक्रिया होती है। फिर छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार बिना टेंडर की औपचारिकतायें लगातार घटिया निर्माताओं से घटिया दवायें कैसे खरीद रही है?