रायपुर
एबीपी न्यूज के युवा पत्रकार ज्ञानेंद्र तिवारी ने अपनी फेसबुक वाल मे जो लिखा है शायद वो प्रदेश के हर अधिकारी , नेता और पत्रकारो के दिमाग मे स्ट्राईक कर रहा होगा! लेकिन अपने दिमाग की उपज को ना कोई लिख पा रहा था , ना कोई दिखा पा रहा था , ना ही इस बात की चर्चा कर पाने का कोई साहस जुटा पा रहा था ! लिहाजा युवा पत्रकार ज्ञानेंद्र तिवारी ने अपने फेसबुक वॉल मे जो लिखा वो आगे पढिए !
ज्ञानेंद्र तिवारी की फेसबुक वॉल से
एसआरपी कल्लूरी बस्तर रेंज के आईजी थे, हैं या रहेंगे यह रहस्य बरकार है। लेकिन एक बात तो साफ़ है की कल्लूरी बस्तर के सरकार थे और बस्तर में केवल उनकी ही चलती थी। अगर ऐसा न होता तो नंदिनी सुन्दर जैसे लोगों पर ह्त्या का केस दर्ज न होता। ऐसे कई उदाहरण हैं जिन्हें यहाँ लिखूंगा तो लंबा हो जाएगा। इसलिए कल्लूरी सरकार क्यों थे यह समझिये। कल्लूरी छुट्टी पर गए या भेजे गए इस पर भी खुले तौर पर कोई नहीं कह रहा है। इसलिए कल्लूरी सरकार थे। कल्लूरी के छुट्टी पर जाने के बाद सीएम का बयान आया लौटेंगे तो देखा जाएगा कहाँ रहते हैं। ऐसा तब जब राज्य के बड़े अधिकारियों को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने फटकारा नहीं बल्कि लताड़ा हो। सीएम का कल्लूरी पर इतना सॉफ्ट बयान बताता है कि कल्लूरी सरकार थे। कल्लूरी छुट्टी पर क्या गये कांग्रेस को ऐसा लगा जैसे छत्तीसगढ़ में उनकी सरकार बन गई हो। इतना लंबा विज्ञप्ति जारी किया जितना अजीत जोगी के कांग्रेस से बाहर होने के बाद भी जारी नहीं हुआ था। इसलिए कल्लूरी सरकार थे। बस्तर के कई व्हाट्सएप्प ग्रुप कई घंटों के लिए खामोश हो गए और लोगों के फोन उठने बंद हो गए। इसलिए कल्लूरी सरकार थे। पुलिस मुख्यालय से लेकर मंत्रालय तक छत्तीसगढ़ के सभी बड़े अफसर क्या किया जाए और आगे क्या होगा यदि कल्लूरी छुट्टी पर गए, यह सोचने में कई दिन का वक़्त लगा दिए। इसलिए कल्लूरी सरकार थे। जब चाहे पीएम मोदी से लाइन में लगकर मिल लिए । छत्तीसगढ़ सरकार मंथन करती रही ऐसा कैसे हुआ। इसलिए कल्लूरी सरकार थे। राष्ट्रीय चैनल और राष्ट्रीय अखबार से लड़ाई लड़ते थे। जिससे नहीं मिलना है उससे नहीं मिलते थे। फिर चाहे वो कितना ही बड़ा पत्रकार क्यों न हो। भले उनके न मिलने का नुकसान राज्य सरकार को सीधे तौर पर हो रहा हो। इसलिए कल्लूरी सरकार थे। एक आईपीएस राजकुमार देवांगन की नौकरी चली गई लेकिन इतना शोर नहीं हुआ जितना कल्लूरी के छुट्टी पर जाने पर हो रहा है। इसलिए कल्लूरी सरकार थे। अब जब कल्लूरी छुट्टी पर गए तो अखबारों और टीवी में इतनी जगह मिली जैसे बस्तर से नक्सलवाद का खात्मा हो गया हो। इसलिए कल्लूरी सरकार थे। कल्लूरी के कार्यकाल के दौरान बस्तर में नक्सली हिंसा में कमी आई। इससे कोई इंकार नहीं कर सकता। दरअसल इसलिए कल्लूरी छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा “सरकार” मान लिए गए थे। केवल इसलिए ही कल्लूरी बस्तर के “सरकार” हो गए थे।