कंपनी खुद ही तय कर रही हैं टॉवर की फ्रिक्वेंसी : दूरसंचार कंपनियो की मनमानी

कोरिया(चिरमिरी से रवि सावरे)

दूरसंचार कंपनियां टॉवर लगाने में मनमानी कर रहे हैं। एक दूसरे से आगे बढने की होड़ में भारतीय दूर संचार विभाग से फ्रिक्वेंसी के मामले में तय सीमा रेखा का उल्लंघन कर रहे हैं।

उपभोक्ताओं को नई सुविधा और बेहतर कवरेज देने के नाम पर खुद ही टॉवर की फ्रिक्वेंसी तय करने लगे हैं। मानक स्तर से अधिक फ्रिकवेंसी वाले मोबाइल टॉवर के आसपास रहने वालों को अधिक नुकसान हो सकता है। फिर भी अब तक इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। 2012 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की बैठक में यह मामला उठाया गया था। दूर संचार कंपनियों को रेडिएशन का स्तर को बनाए रखने के यह फ्रिक्वेंसी लोगों के लिए नुकसान देह साबित हो रही है।chirmiri nager nigam

लिए सुझाव भी दिए थे। दूर संचार मंत्रालय मोबाइल टॉवर से निकलने वाली रेडिएशन से होने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए 900-1800 मेगा हर्ट्ज फ्रिक्वेंसी तय की है। इससे टॉवर से 120 डिग्री होरिजेंटल और 5 डिग्री वर्टिकल कवरेज दिया जा सके, लेकिन निजी कंपनियां बेहतर कवरेज के लिए मैग्नेटिक डिस्क और रेग्युलेटर्स की संख्या में वृद्धि कर फ्रिक्वेंसी बढ़ा रही हैं।

शिकायत पर हुई थी जांच

2012 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की बैठक में मोबाइल फ्रिक्वेंसी का मुद्दा था। इसके बाद इंटरनेशनल कमीशन ऑन नॉन आयोनाजिंग रेडिएशन प्रोटेक्शन ने (आईसीएनआईआरपी) और आईआईटी खडगपुर में रिसर्च शुरू किया। मार्च 2013 तक आई इसकी रिपोर्ट में कुछ शहरों में बेस स्टेशन (टॉवर स्थल) के आसपास अधिक रेडिएशन होने की बात कही गई। इससे बचने के लिए टॉवर की फ्रिक्वेंसी कम करने और रेडिएशन की क्षमता को 100 किलो वाट प्रति वर्ग मीटर पर रखने का सुझाव दिया गया।

 

  • हम भी कर सकतें हैं रेडिएशन कम
  • मोबाइल या फोन का इस्तेमाल घर या ऑफिस में कर रहे हैं, तो स्पीकर ऑन कर बात कर सकते हैं।
  • ईयर फोन का इस्तेमाल अधिक करें। फोन को शरीर से दूर रखें।
  • बिना एक्सटर्नल एंटीना वाले कार में फोन का उपयोग न करें। विंडो ग्लॉस ओपन कर बात करें।
  • टॉवर के नजदीक में मोबाइल फोन का इस्तेमाल लंबे समय तक न करें
  • ब्लूटूथ और वाई फाई को हमेशा चालू न रखें। यह रेडिएशन सिस्टम के तहत कार्य करती है।