अम्बिकापुर “दीपक सराठे”
अम्बिकापुर कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने के लिये जिला अस्पताल स्थापित पूरक पोषण पुर्नवास केंद्र में साफ-सफाई के लिये की गई कई कवायदों के बाद भी उस केंद्र से लगा गंदे पानी पर ड्रेनेज एक दाग की तरह है। बच्चों के स्वास्थ्य की दृष्टि से संवेदनशील माने जाने वाले इस केंद्र में गंदे पानी के ड्रेनेज की बदबू भरी पड़ी है। केंद्र के अंदर जाने से वातावरण को साफ-सुथरा रहता है, परंतु आसपास की गंदगी ने पूरे महौल को बदबूदार कर दिया है।
जिला अस्पताल स्थित पूरक पोषण पुर्नवास केंद्र के आसपास गंदगी व ड्रेनेज की समस्या को लेकर कई बार खबरे अखबार की सुर्खिया बन चुकी है। बावजूद इसके आज तक जिला अस्पताल प्रबंधन ने इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान नहीं दिया है। गौरतलब है कि जिला अस्पताल के इस केंद्र में पहले 10 कुपोषित बच्चों के उपचार की व्यवस्था थी, परंतु कलेक्टर सरगुजा श्रीमती ऋतु सैन के प्रयास से अब इस केंद्र में एक साथ 20 बच्चों का उपचार हो रहा है। पिछले 2-3 वर्षों में जिले के सैकड़ों गंभीर कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने का काम इस केंद्र के माध्यम से किया जा चुका है। संवेदनशील इस केंद्र में साफ-सफाई को प्राथमिकता देतेे हुये कलेक्टर श्रीमती सैन की पहल से ही केंद्र में टाईल्स व बिल्डिंग का रंगरोगन कर उसे आकर्षक बनाया गया है। इन सबके बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने आज तक वहां के ड्रेनेज समस्या का कोई हल नहीं निकाला है। केंद्र से लगी नाली व पीछे की ओर ड्रेनेज के गंदे पानी का जमाव केंद्र में बदबू फैला रहा है, जो कुपोषित बच्चों व वहां रहने वाली उनकी माताओं के लिये काफी परेशानी का सबब बन चुका है। केंद्र के नोडल अधिकारी डॉ. टेकाम ने कई बार इस समस्या के निवारण के लिये प्रबंधन को जानकारी दी है, परंतु अभी तक इस दिशा में प्रबंधन ने कोई पहल नहीं की है।
बच्चों की संख्या बढ़ी, पर स्टाफ नहीं
केंद्र में 10 बिस्तर में जितने स्टाफ यहां दिये गये थे उतने ही स्टाफ वर्तमान में भी हैं जबकि बिस्तरों की संख्या 10 से 20 हो चुकी है। मात्र एक रसोईया, एक अडेंटर व एक फिडिंग डिमॉसटे्टर के रहने से काम का दबाव काफी बढ़ गया है। केंद्र में कम से कम एक और रसोईया व अटेंडर की कमी महसूस की जा रही है। यही नहीं यहां एक नर्स की ड्यूटी भी लगाई जाती है जो कि अब महज काम चलाने के लिये नर्स को भेजा जाता है। राजधानी व कई जिलों से आई चिकित्सकीय टीम ने इस केंद्र की व्यवस्था देख कर तारीफ जरूर की है, परंतु जो हाल वर्तमान में इस केंद्र का है अगर वैसा ही बना रहा तो आने वाले समय में काफी दिक्कतें देखने को मिल सकती है। केंद्र में 20 मातायें बच्चों के साथ रहती हैं, परंतु मात्र एक शौचालय वहां बनाया गया है। यही नहीं रात के समय पूरी तरह से असुरक्षित इस केंद्र में एक गार्ड की व्यवस्था तक नहीं की गई है।