बलरामपुर (कृष्णमोहन कुमार) प्रदेश की रमन सरकार एक ओर अपने 5000 दिन पूरे होने पर सरकारी योजनाओं का ढिंढोरा पीट रही है ,तो वही राज्य के अंतिम छोर और झारखंड से सटे बलरामपुर जिले में एक ऐसा भी गाव है,जहाँ ग्रामीणों को पीने के लिए साफ पानी तक मयस्सर नही हो पा रहा है,और ग्रामीण 20 वर्षो से नदी और ढोढ़ी का पानी पीने के लिए मजबूर है।
पिछड़ेपन ने छोड़ दिया अछूता,
दरसल राज्य के अंतिम छोर पर घने वनों से घिरा बलरामपुर जिला है,और जिला मुख्यायल से महज 8 किलोमीटर के फासले पर ही ग्राम पंचायत महेशपुर के आश्रित ग्राम दलधोवा के डूमर पारा स्थित है,और यहाँ के ग्रामीणों को आज भी पीने के पानी के लिए भटकना पड़ता है।
गर्मी तो गर्मी बरसात में भी किल्लत,
डूमर पारा में ग्रामीणों को बरसात के दिनों में जहाँ पीने के पानी की किल्लत सता रही है,तो वही गर्मी के दिनों में इन ग्रामीणों को पानी के लिए कितनी मशक्कत करनी पड़ती होगी इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है,की ग्रामीण वर्षा ऋतु में भी बाल्टी लिए नदी नालो के किनारे बैठे नजर आते है,यही नही ये ग्रामीण ग्रीष्म ऋतु में भी पीने के पानी के लिए इन्ही नदी नालों पर निर्भर रहते है,और नदी में गड्ढे खोदकर ढोढ़ी का पानी पीते है।
प्रशासनिक अनदेखी के शिकार ग्रामीण,
ग्राम पंचायत महेशपुर के आश्रित ग्राम दलधोवा के डूमर पारा में प्रशासनिक अमले की अनदेखी यही थमती नजर नही आती ,बल्कि इस डूमर पारा के ग्रामीण शासन की अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं से भी महरूम है।
जल्द मिल सकेगा ,स्वच्छ पेयजल,
वही इस मसले की जानकारी कलेक्टर अवनीश कुमार शरण को दे दी है,जिसे कलेक्टर ने गम्भीरता से लेते हुए जल्द ही इन ग्रामीणों के लिए स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की बात कही है।
सवेदनशील सरकार की जनता से नही कोई सरोकार
यू तो राज्य की सवेदनशील कहे जाने वाले रमन सरकार ने प्रदेश के हर तबके के निवासियों के लिए जनकल्याण कारी योजनाए बनाई है,और सरकार समाज के अंतिम पंक्ति तक के लोगो को समृद्ध और खुशहाल बनाने का दावा करती है,बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी शासन के इन दावों पर पलीता लगा देते है।
और ये हालात अदम गोंडवी साहब की रचना “तुम्हारी फाईलो में गाँव का रंग गुलाबी है,मगर ये वायदे झूठे,ये दावे किताबी है,को चरितार्थ कर रख देते है।