आरोपी दवा कंपनियों के संचालकों व डॉक्टर पर दोष तय

बिलासपुर

 पुलिस ने तखतपुर के पेंडारी के शिविर में नसबंदी कराने वाली महिलाओं की मौत के मामले में डॉक्टर आरके गुप्ता के साथ ही दवा कंपनी के संचालकों को दोषी पाया है। पुलिस ने आरोप तय करते हुए 2 हजार 44 पेज का चालान पेश किया है। साथ ही दो आरोपियों की फरारी में धारा 173 (8) के तहत प्रतिवेदन भी पेश किया है।

तखतपुर क्षेत्र के पेंडारी स्थित नेमी चंद कैंसर हॉस्पिटल में आयोजित शिविर में नसबंदी कराने वाली 12 महिलाओं की मौत हो गई थी। इसके साथ ही गौरेला क्षेत्र में एक आदिवासी महिला की भी जान चली गई थी। पुलिस ने प्रारंभिक जांच के बाद मामले में ऑपरेशन करने वाले डॉ. आरके गुप्ता समेत अन्य के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया था।

जांच के दौरान पुलिस ने प्रकरण में सिप्रोसीन, आई ब्रूफेन टेबलेट सप्लाई करने वाली फार्मेसी कंपनी महावर फार्मेसी व कविता फार्मेसी के संचालकों को भी आरोपी बनाया। पुलिस ने अपनी जांच में पोस्टमार्टम व दवाइयों की जांच रिपोर्ट समेत अन्य दस्तावेजों के साथ ही मृत महिलाओं के परिजनों व अन्य गवाहों के बयान भी लिए।

पुलिस की जांच में दो तरह से आपराधिक प्रकरण सामने आए हैं। जांच रिपोर्ट में पोस्टमार्टम रिपोर्ट व घटनास्थल का जायजा लेने के साथ ही ऑपरेशन के लिए निर्धारित प्रावधानों का जिक्र किया गया है। मसलन, आरोपी डॉ. गुप्ता ने ऑपरेशन करने में लापरवाही की है। इसके अलावा निर्धारित प्रावधान के तहत ऑपरेशन नहीं किया गया है। वहीं दो महिलाएं नेम बाई व दीप्ति की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सेप्टीसिमिया से मौत होने का उल्लेख है। लिहाजा, पुलिस ने अपनी जांच में डॉ. गुप्ता को दोषी पाया है। इसी तरह सिप्रोसीन व आईब्रूफेन टेबलेट की निर्माता महावर फार्मेसी कंपनी ने दवाई बनाने व वितरण के पहले उसका परीक्षण नहीं कराया था। कंपनी ने इंदौर स्थित अल्फा टेस्टिंग पैथोलॉजी में परीक्षण कराने का दावा किया था।

जांच के दौरान पुलिस ने अल्फा पैथोलॉजी कंपनी के डॉयरेक्टर से जवाब मांगा, जिसमें उन्होंने दवाइयों का परीक्षण कराने से इनकार किया है। लिहाजा, पुलिस ने जहरीली व अमानक दवाई सप्लाई करने के आरोप में संचालक रमेश महावर व उसके बेटे सुमित महावर पर दोष तय किया है। इसी तरह दवा वितरण कंपनी कविता फार्मेसी के संचालक ने भी अमानक दवाइयों का वितरण किया था।

साथ ही उसने फर्जी तरीके से कागजात तैयार किया। उसके पास दवाइयों का रिकार्ड भी उपलब्ध नहीं था। लिहाजा, पुलिस ने कविता फार्मेसी के संचालक राजेश खरे, राकेश खरे व मनीष खरे को भी आरोपी बनाया है। जांच में उनके खिलाफ भी दोष सिद्घ किया गया है। पुलिस इस मामले के आरोपी राकेश खरे व मनीष खरे को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। दोनों पुलिस की नजर में फरार हैं। लिहाजा, पुलिस ने उनकी फरारी में चालान पेश किया है।

थानेदार का हुआ बयान

सोमवार को चकरभाठा टीआई एसएन शुक्ला ने इस मामले का चालान कोर्ट में पेश किया। इस दौरान कोर्ट ने धारा 299 के तहत उनका बयान दर्ज किया। साथ ही पूछा कि फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए अब तक क्या प्रयास किया गया है? इस पर टीआई श्री शुक्ला ने बताया कि फरार आरोपियों की पतासाजी के लिए हर संभव कोशिश की गई, लेकिन उनका कुछ पता नहीं चला है और आगे अभी उनके मिलने की संभावना भी कम है।

सेशन कोर्ट में चलेगा ट्रॉयल

इस बहुचर्चित मामले का ट्रॉयल सेशन कोर्ट में चलेगा। लिहाजा, बिल्हा स्थित व्यवहार न्यायालय से यह मामला डीजे कोर्ट में ट्रांसफर हो जाएगा।