रायपुर, 30 जुलाई 2014
- छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधि मण्डल ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री से की मांग
- डॉ. हर्षवर्धन ने सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया
छत्तीसगढ़ के आदिम जाति कल्याण मंत्री श्री केदार कश्यप ने केन्द्र सरका से मांग की है कि छत्तीसगढ़ के मेडिकल कालेजों में आदिवासी छात्र-छात्राओं के प्रवेश में आ रही कठिनाईयों को देखते हुए प्रवेश के मापदण्डों को शिथिल किया जाये। श्री कश्यप ने आज नई दिल्ली में एक प्रतिनिधि मण्डल के साथ केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से मुलाकात कर कहा कि वर्तमान मापदण्डों के अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य के मेडिकल कालेजों में आदिवासी छात्र-छात्राओं के लिए आरक्षित 166 सीटों में से केवल 32 सीटों पर ही प्रवेश संभव हो पाया है। ऐसे वक्त जब राज्य में आदिवासी इलाकों में चिकित्सकों की व्यापक कमी है और उसे दूर करने में आदिवासी क्षेत्रों से आए छात्र-छात्राएं मदद कर सकते है, केन्द्र सरकार को प्रवेश मापदण्ड शिथिल करने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। इस प्रतिनिधि मण्डल में कांकेर लोकसभा क्षेत्र के सासंद श्री विक्रम उसेण्डी, बीजापुर विधायक श्री महेश गागड़ा और आदिवासी छात्र-छात्राएं शामिल थे। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से प्रस्ताव भिजवाने पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया।
श्री केदार कश्यप ने कहा कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचलों में राज्य सरकार के प्रयासों से शिक्षा के क्षेत्र में काफी उन्नति हुई है। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं का रूझान इंजीनियरिंग और मेडिकल शिक्षा की ओर बनने लगा है। ऐसे में यदि आदिवासी छात्र-छात्राओं के लिए आरक्षित सीटे खाली रह जायेगी तो इन विद्यार्थियों के मनोबल पर विपरीत असर पड़ेगा। उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मांग की कि स्थानीय चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों को देखते हुए प्रवेश मापदण्डों को शिथिल किया जाये।
श्री कश्यप ने बस्तर क्षेत्र में चिकित्सा सुविधाओं की कमी को देखते हुए जगदलपुर में एम्स या उसके स्तर का कोई सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सालय प्रारंभ करने की मांग भी रखी। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बस्तर क्षेत्र की चिन्ता से सहमति जताते हुए कहा कि वे राज्य सरकार से इस संबंध में एक प्रस्ताव भिजवाये। केन्द्र सरकार इस दिशा में जरूर कोई कदम उठायेगी।