अम्बिकापुर
आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिला मे शिक्षा के रिकार्ड और शिक्षा के लिए निर्माण दोनो कागजो में है ,, और यही वजह है कि सरगुजा मे बेहतर शिक्षा के तमाम दावे सतह पर खोखले साबित हो रहे है। इसका जीता जागता सबूत जिले के कुदरबसवार गांव का माध्यमिक शाला है। जंहा आठ वर्षो से स्कूल भवन का निर्माण अधूरा है,, और बच्चे वर्षो से बिना लाईट के एक तंगहाल कमरे मे शिक्षा की अलख जगा रहे है।
कभी जिले के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र मे आने वाले सरगुजा के कुदरबसवार गांव का माध्यमिक शाला और वंहा पढने वाले बच्चे आज भी अपनी बेहतरी का आस टटोल रहे है। ऐसा इसलिए ,, क्योकि उदयपुर विकासखण्ड के कुदरबसवार गांव का शासकीय माध्यमिक शाला दान के ऐसे भवन में संचालित है,, जिसमें एक भी कमरे मे सातवी और आठवी दोनो कक्षाएं संचालित हो रही है। इतना ही नही बेहद खस्ताहाल कच्चे माकान की छप्पर के नीचे संचालित इस माध्यमिक शाला मे विद्युत की व्यवस्था भी नही है,, लिहाजा यंहा पढने वाले बच्चो किसी तरह पढाई कर लिया करते है।
इस स्कूल के सातवी के छात्र मदन तिर्की की माने तो उनको और आठवी के छात्र छात्राओ को एक ही कमरे मे बैठ कर पढाई करना पडता है। और लाईट भी नही होने से काफी परेशानी होती है।
जिले के कुदरबसवार माध्यमिक शाला के आस पास के कई गांव के बच्चे इसी स्कूल पर आश्रित है,, लेकिन स्कूल की तंगहाल व्यवस्था के कारण दिन प्रतिदिन यंहा स्कूली बच्चो की संख्या भी घटती जा रही है। औ इसी वजह से यहां के शिक्षक भी परेशान हैं । कुदरबसार गांव के माध्यमिक शाला के प्रधानपाठक सी.पी.सोनी के मुताबिक स्कूल भवन की समस्या से उच्चाधिकारियो कओ कई बार अवगत कराया है ,लेकिन फिर भी स्कूल बिल्डिंग का काम आठ साल से बंद पडा है।
दरअसल इस स्कूल के भवन निर्माण की शुरुआत सन 2006 – 7 में हुई थी जिसके लिए सर्वशिक्षा अभियान के माध्यम से ग्राम पंचायत को निर्माण एजेंसी बनाया गया था ,, लेकिन आधा आधुरा निर्माण करा कर पंचायत के नुमाईंदो ने निर्माण की राशी हजम कर ली ,, लेकिन जिला प्रशासन और विभाग अब आठ साल बाद कुंभकरणी निंद से जागा हैं और निर्माण एजेंसी के खिलाफ कार्यवाही की बात कर रहा हैं ,,,
बहरहाल कुदरबसवार स्कूल की हालत देख कर आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिले की शिक्षा व्यवस्था का अंदाजा लगाना कठीन काम नही होगा