रायपुर24 नवंबर 2014
बिलासपुर नसबंदी षिविर में 15 महिलाओं की मौत के जवाबदार स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल के बचाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता सुंदरानी द्वारा लगातार की जा रही बयानबाजी ने असंवेदनषीलता की सारी सीमाओं को तोड़ दिया है। प्रदेष कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कोई जनप्रतिनिधि इतने गंभीर आरोपों से घिरे व्यक्ति का कैसे बचाव कर सकता है? अमर अग्रवाल के कार्यकाल में लगातार प्रदेष में लोग सरकारी षिविरों में नकली दवाओं और अनियमितता के कारण मौत के मुंह में समा रहे है। नकली दवाओं की खरीदी के लिये क्या स्वास्थ्य मंत्री की जवाबदारी नहीं बनती? स्वास्थ्य मंत्री का काम क्या है? स्वास्थ्य विभाग से संबंधित नीति और नियम कायदे निर्धारण की उनकी जिम्मेदारी नहीं है? अमर अग्रवाल के कार्यकाल में स्वास्थ्य विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है। बिना गुणवत्ता का परीक्षण किये छोटी-छोटी और कागजी कंपनियों की दवाओं की खरीदी की गयी। दवा कंपनियों की कार्यप्रणाली उत्पादन के तरीके इनके द्वारा उत्पादित दवाओं की गुणवत्ता का राज्य सरकार ने कभी परीक्षण कराना जरूरी नहीं समझा। बालोद, बागबाहरा, धमतरी, कवर्धा के नेत्र षिविरों में लगभग 100 लोगो की आंखों की रोषन जाने और 5 लोगो की मौतों के बाद ही स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल को हटा दिया जाता तो शायद प्रदेष में महिलाओं के गर्भाषय नहीं निकाले जाते और न ही बिलासपुर की दुर्भाग्यपूर्ण घटना होती। भ्रष्टाचार के विरूद्ध लड़ाई और लोगो के स्वास्थ्य और जीवन के साथ खिलवाड़ करने वाले मंत्री के विरूद्ध आवाज उठाना भाजपाईयों को नौटंकी लगती है तो कांग्रेस यह बार-बार करेगी। भाजपाई एक कारण बतायें कि अमर अग्रवाल को उनके पद से क्यों नहीं हराया जा रहा है? ऐसी क्या मजबूरी है कि पूरी भारतीय जनता पार्टी रमन सिंह और अमर अग्रवाल के सामने बौनी और मजबूर नजर आ रही है? अयोग्य से अयोग्य व्यक्ति भी अमर अग्रवाल से बेहतर तरीके से स्वास्थ्य विभाग संभाल सकता है। कम से स्वास्थ्य मंत्री के भ्रष्टाचार और अक्षमता के कारण गरीबों की ईलाज के दौरान मौते तो नहीं होगी।