जांजगीर-चांपा (संजय यादव) भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा जारी किए गए हेल्थ प्लस प्लान लेने के बाद हितग्राही को लाभ नहीं देने के मामले में उपभोक्ता फोरम ने बीमित रकम मयब्याज, मानसिक क्षतिपूर्ति व वाद व्यय सहित एक माह के भीतर भुगतान करने का आदेश दिया है।
बलौदा रोड अकलतरा निवासी मोहम्मद मुश्ताक पिता मोहम्मद सलीम ने भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा जारी किए गए हेल्थ प्लस प्लान वर्ष २००८ में लिया था। प्लान के तहत ९००० हजार रुपए वार्षिक प्रिमियम पटा रहा था, जिसके तहत उसे दो लाख रुपए तक बीमा लाभ मिलना है। इसी बीच मुश्ताक को १० अक्टूबर २०१६ को हार्ट अटैक हुआ। इसका ईलाज मुश्ताक ने पहले बिलासपुर के न्यू लाइफ हास्पिटल में कराया, जहां ५३२१७ रुपए का बिल बना। इसके बाद मुश्ताक ने हैदराबाद के उषा मुल्लापुड़ी कार्डियक सेंटर में हार्ट का एंजियोग्राफी एवं एंजियोप्लास्टी हुआ। इसमें एक लाख ९३१७७ रुपए खर्च हुआ। इस तरह मुश्ताक के ईलाज में कुल दो लाख ४६३९४ रुपए खर्च हुआ। इस खर्च का भुगतान हेल्थ प्लान के तहत बीमा निगम से मांगा, जिसके एवज में उसे केवल ८४११ रुपए का भुगतान किया गया। बाकी रकम को बीमा योजना में शामिल नहीं होना बताया गया। इस पर मामले को लेकर मुश्ताक ने उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। उपभोक्ता फोरम में सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों की दलील सुनी गई।
फोरम के अध्यक्ष बीपी पांडेय व सदस्य मनरमण सिंह ने बीमा निगम की दलील को तत्थहीन पाया और मुश्ताक के दावे के आधार पर बीमा की रकम के बराबर ईलाज की रकम भुगतान करने का आदेश दिया। बीमा की रकम दो लाख रुपए में से पूर्व भुगतान किए गए ८४०० रुपए को छोड़कर शेष रकम एक लाख ९१६०० रुपए अदायगी तक ६ प्रतिशत ब्याज सहित एक माह के भीतर भुगतान करने कहा है। साथ ही २५००० रुपए मानसिक छतिपूर्ति के साथ दो हजार रुपए वाद व्यय बतौर भुगतान करने आदेशित किया है।