परसा कोल ब्लाक जनसुनवाई… बाहर से बुलाये गए भाड़े के लोगो का समर्थन…

पुनः आंकड़े समर्थन में मुद्दे विरोध में पुनः आंकड़े समर्थन में मुद्दे विरोध में परसा ओपन कास्ट परियोजना पर्यावरणीय स्वीकृति लोक सुनवाई सम्पन्न

अम्बिकापुर (क्रांति रावत) रविवार को ग्राम तारा में आयोजित पर्यावरणीय जन सुनवाई में अजीब सा नजारा देखने को मिला जिनकी जमीनें नहीं जा रही ऐसे लोग भी दूर दराज के गांव से आकर कंपनी के पक्ष में समर्थन देने के लिए रात 11 बजे तक लाईन में लगे रहे। प्रभावित क्षेत्र के वास्तविक बोलने वाले सैकड़ों लोगों को बोलने का अवसर नहीं मिल पाया जिन्हे अवसर मिला उन्होने तर्काें के साथ अपनी बात दमदारी से रखा और खदान का भरपूर विरोध किया। बोलने का अवसर नही मिलने का बड़ा कारण सैकड़ों वाहनों से किराए पर ढोकर पक्ष में बोलने के लिए लाए गए ग्रामीणों का सुबह आठ बजे से ही लाईन में लगना रहा।

जो प्रभावित नहीं वो दे रहे थे समर्थन

षासन द्वारा जन सुनवाई के लिए निर्धारित समय सुबह 11 बजे प्रभावित किसान जब सुनवाई स्थल पर पहुंचे तब तक प्रभावित क्षेत्र से बाहर के लोगों और कंपनी के प्रलोभन में आये स्थानीय लोगों से अटा पड़ा था। फिर भी जिन लोगों को मौका मिला लाईन में लगने लगे और अपनी बात को बीच बीच में रखते जा रहे थे। सुनवाई स्थल मंच से पंडाल के बाहर तक जहां पंडाल समाप्त होता था वहां तक लंबी लाईन सुबह से लेकर रात 11 बजे तक सुनवाई समाप्त होने तक लगी रही। इतनी लंबी लाईन हमेें या आपको लोक सभा और विधान सभा चुनाव में अपने जन प्रतिनिधि को चुनने के लिए भी देखने को नहीं मिलता। ऐसा अदूभुत लंबी लाईन का नजारा क्षेत्र के लोगों को पहली बार देखने को मिला क्योंकि पैसे लिए है तो उपस्थिति दर्ज करानी ही पड़ेगी नहीं तो हाजिरी गोल।

राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के द्वारा जिला सरगुजा एवं सूरजपुर (छ.ग.) में प्रस्तावित परसा ओपन कास्ट कोल माईंस प्रोजेक्ट पांच एमटीपीए एवं पिट हेड कोल वाशरी पांच एमटीपीए की पर्यावरणीय स्वीकृति हेतु लोक सुनवाई का आयोजन सूरजपुर जिले के जनपद प्रेमनगर के ग्राम तारा में 12 नवम्बर 2017, दिन रविवार को सुबह 11 बजे से किया गया। छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल क्षेत्रीय कार्यालय अम्बिकापुर के द्वारा आयोजित लोक सुनवाई में कोल प्रभावित क्षेत्र जर्नादनपुर, साल्ही, परसा, केते घाटबर्रा, फत्तेपुर, हरिहरपुर, सैदू सुसकम, षिवनगर तारा, पतुरियाडांड, मदनपुर सहित आसपास के ग्रामों के लगभग 5 हजार ग्रामीण उपस्थित हुए। इनमें से 1728 (एक हजार सात सौ अटठाईस) लोगों ने अपना मत रखा। जिसमें से अधिकतर लोगों ने अदानी एवं कुछ लोगों ने लोक सुनवाई, कोयला खदान तथा कुछ लोगों ने राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को समर्थन दिया।

 

स्कूल, एम्बुलेंस, सिलाई प्रषिक्षण, कम्प्यूटर प्रषिक्षण और विकास कार्याें का हवाला

समर्थन में बोलने वालों ने स्कूल, एम्बुलेंस, महिलाओं को सिलाई प्रषिक्षण, युवाओं को कम्प्यूटर प्रषिक्षण और विकास कार्याें का हवाला देते हुए कंपनी के पक्ष में अपना मत रखा। दूसरी तरफ विरोध करने वालों ने पूर्व से संचालित परसा ईस्ट एवं केते बासेन कोल खदान के कड़वे और डरावने अनुभवों को बयान किया। लोगों ने यह भी बताया कि खदान खुलने के बाद क्षेत्र में सड़क दुर्घटनाओं से सैकड़ों मौते हो चुकी है। कोयला परिवहन से होने वाले धुल से ष्वास संबंधी बीमारियों से लोग संक्रमित हो रहे है। जलते कोयले की धुंए ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। पहले नदी नालों में साफ स्वच्छ एवं पर्याप्त पानी की उपलब्धता रहती अब इनमें काफी गंदगी है और निस्तार मुष्किल हो गया है। ईआईए रिपोर्ट में तथ्यों को छुपाकर विधि विरूद्ध जन सुनवाई किये जाने का आरोप लगाया तथा नियम, कानून, तथ्यों एवं तर्काें के हवाले से जन सुनवाई को रद्द करते हुए कोल ब्लाॅक के आबंटन को ही निरस्त करने की पुरजोर मांग की।

उपस्थित लोगों ने लोक सुनवाई पैनल के समक्ष अपने अपने विचार रखे तथा लिखित आवेदनों के द्वारा भी अपना मत प्रस्तुत किया। सुनवाई के पश्चात् कंपनी की ओर से मांगों और आपत्तियों के संबंध में अपना जवाब प्रस्तुत किया गया।  परोगिया के अनिल तिर्की ने एम्बुलेंस सेवा की सराहना की, उदयपुर की सुखपति बाई, नान बाई, धनेष्वरी, पुटा निवासी सुनीता खेस, गीता, परसा के सरपंच धरमसाय एवं उप सरपंच उमाषंकर यादव, घाटबर्रा की संगीता, जनार्दनपुर की फुलबसिया, फतेपुर की मुन्नी बाई तथा जयनाथ सिंह केराम सहित अन्य लोगों ने भी कंपनी के पक्ष में अपने विचार रखे।

क्या कहते है मेहंदी यादव 

मेंहदी यादव ने ईआईए रिपोर्ट में तथ्यों को छुपाने तथा भ्रामक जानकारी का आरोप लगाते हुए कहा कि रिपोर्ट में पर्यावरण संरक्षण के लिए बजट के बारे में स्पश्ट नही किया गया है। प्रस्तावित खदान में भारी मात्रा में पानी का उपयोग होगा उसकी पूर्ति के लिए इनके द्वारा भूमिगत जल का उपयोग किया जाना दर्षाया गया है इतनी मात्रा में बोर खनन कर पानी का उपयोग करने से भूजल स्तर बहुत नीचे चले जाने की बात कहीं। रोजगार के लिए 768 लोगों की बात कही गयी है परंतु यह नहीं बताया गया इन्हे वाषरी में रोजगार दिया जाएगा या माईनिंग में। पतुरियाडांड निवासी ग्रामीण सुकुल राम नेकोल खदान का विरोध करते हुए बताया कि सरगुजा जिले के घाटबर्रा, फत्तेपुर से उद्गम होकर कोरबा जिले में बहने वाली डोड़का झरिया नाला, डूमरखेती नाला, केर्रीबांध नाला का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। आज इन नालों के स्वच्छ और बारहों महीने मिलने वाले प्र्याप्त पानी से लोगों की खेती होती है। सैकड़ों किसान इन्ही नालों पर आने वाले पानी पर आश्रित है उनका भविश्य तथा पालतु मवेषियों के अतिरिक्त इन्ही नदी नालों के पानी पर आश्रित वन्य जीवों का अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा।

सुरेन्द्र सिंह की कहानी

षिवनगर निवासी सुरेन्द्र सिंह करियाम ने प्रस्तावित खदान का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि यह क्षेत्र पांचवी अनुसूची क्षेत्र है इस क्षेत्र में पेषा एक्ट लागु है ग्राम सभा का निर्णय सर्वाेपरि है। खदान के खुलने से क्षेत्र का भू-जल स्तर बहुत नीचे चला जाएगा। सब लोग सोचिए धान नहीं होगा तो क्या पैसों को खाएंगे।  कोरिया निवासी गिरीष कुमार ने कहा कि जिस तरह से लगातार नई नई खनन परियोजनाओं को अनुमति दी जा रही है । भारत में प्रतिवर्श 30 लाख पेड़ों की कटाई की जा रही है और प्र्यावरण संरक्षण के नाम पर पर्यावरण संतुलन के प्रतिकुल प्रजाति के पेड़ पौधे लगाए जा रहे है। जिस गति से पेड़ों की कटाई हो रही है और कोयले का उत्खनन किया जा रहा है उससे पूरी पृथ्वी का ही अस्तित्व खतरे में आ गया है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंस के रिपोर्ट का जिक्र करते हुए बताया कि उनके अनुसार आने वाले सन 2600 में हमारी पृथ्वी आग के गोले में तब्दील हो जाएगी। इसलिए खनन परियोजना को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

जनपद सदस्य का विरोध

स्वीकृति के प्रस्ताव का विरोध करते हुए जनपद सदस्य बालसाय कोर्राम ने कहा कि ई आई ए रिपोर्ट में कई वनस्पति, जीव जन्तु और आदिवासी संस्कृति को छुपाया गया हैं । इस परियोजना से 3 गांव का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा इसलिए हम इसका विरोध कर रहे हैं। कांटारोली के सरपंच ने कहा कि अभी परसा ईस्ट केते बासेन कोल परियोजना से भारी प्रदूषण हो रहा हैं यदि ये नई खदान और खुल गई तो हम लोगो का रहना ही मुश्किल हो जाएगा। खदान से निकलने वाले गंदे पानी से पूरी अटेम नदी प्रदूषित हो गई हैं जिसमे हम लोगो का निस्तार होता हैं। ग्राम साल्ही की प्रीति पोर्ते ने कहा कि हम अपने जंगल से आश्रित हैं जिस पर 6 महीने आजीविका  चलाते हैं। जिस जंगल मे खनन होने वाला हैं वहाँ हमारे बूढ़ा देवता करमदेव का निवास है हमारी पूरी संस्कृति खत्म हो जाएगी। पहले अडानी कंपनी ने हमारे गांव में कम्प्यूटर और सिलाई केंद्र खोले थे जो आज देखने लायक भी नही बचे हैं।

आलोक शुक्ला ने फिर जताई आपत्ति

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला ने कहा कंपनी के पक्ष में बोलने वाले लोगों के द्वारा इस क्षेत्र में स्कूली षिक्षा, रोजगार मूलक प्रषिक्षण, पेयजल, स्वास्थ्य सुविधाएं, एसडीएम कार्यालय और व्यवहार न्यायालय सहित तमाम तरह के अन्य विकास कार्य जब अदानी कंपनी के द्वारा ही किये जाने की बात कही  जा रही है तो ऐसी स्थिति में मैं माननीय मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह से मिलने का समय मांग कर यह निवेदन करूंगा कि इस क्षेत्र से षासन को विथड्रा कर लिया जाए । ई आई ए रिपोर्ट में हाथी कॉरिडोर और हाथी की उपस्थिति को छुपाया गया हैं। इस रिपोर्ट में वर्श 2013 तक ही हाथी की उपस्थिति दर्षायी गयी है। जबकि वन विभाग के द्वारा 2015 में हाथी प्रभावित लोगों को मुआवजे का वितरण किया गया है। उन्होने यह भी कहा कि जो कंपनी पर्यावरणीय स्वीकृति में षामिल षर्ताें का पालन नही कर पाई है, ऐसी कंपनी के हाथों में कोई नया कोल ब्लाॅक नहीं दिया जाना चाहिए। ईआईए रिपोर्ट फर्जी है 1250 हे. से भी अधिक क्षेत्र में प्रस्तावित खदान क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जैव विविधता के बहुत से तथ्यों को इस रिपोर्ट में छुपाया गया है। ईआईए रिपोर्ट में यदि कोई झुठी जानकारी दी जाती है या तथ्यों को छिपाया जाता है तो कानून के आधार पर परियोजना प्रस्ताव के विरूद्ध एफ आई आर होनी चाहिए तथा पर्यावरणीय स्वीकृति प्रस्ताव को तत्काल निरस्त कर दिया जाना चाहिए। उन्होने तथ्यों के अधार पर बताया इससे पूर्व जब यह खदान छ.ग. पावर जनरेशन कंपनी के पास थी तब तब खनन योग्य कोयले की मात्रा 189 मिलियन टन आंकी गयी थी अब जबकि यह खदान राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के पास है तब कोल की कुल मात्रा 200 मिलियन टन आंकी गई है जो भ्रम पैदा करता है। खदान में प्रति सप्ताह 185 टन विस्फोटक का उपयोग किया जाना प्रस्तावित है इतनी भारी मात्रा में विस्फोटकों के उपयोग से आसपास के घर ही नही दूर दराज जंगलों में रहने वाले वन्य जीवों के लिए भी घातक साबित होगा क्योंकि विस्फोट के कंपन को काफी दूर से महसूस कर लेते है ऐसी स्थिति में जंगलों से वन्य जीव स्वाभाविक रूप से विलुप्त होते चले जाएंगे। वन्य जीव प्रबंधन के बारे में बताया कि यह क्षेत्र हाथियों एवं भालुओं का विचरण क्षेत्र है। इस खदान के खुलने की अनुमति मिलने से इस क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे हसदेव अरण्य वन्य क्षेत्र पर गंभीर संकट पैदा हो जाएगा।

रात ग्यारह बजे के बाद कार्यक्रम के समापन से पहले राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड की ओर से जवाब प्रस्तुत किया गया।  शिविर में प्रशासन की ओर से सूरजपुर अपर कलेक्टर एच.एन.राम ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की तथा क्षेत्रीय पर्यावरणीय अधिकारी सितेश वर्मा, एसडीएम बिजेन्द्र पाटले अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सूरजपुर एस.आर.भगत, सी.एस.पी. डी.के.सिंह, डी.एस.पी.निमिशा पांडे, एसडीओपी चंचल तिवारी, मनोज धु्रव सरगुजा जिले से एसडीओपी गरिमा द्विवेदी सहित सरगुजा पुलिस रेंज के 450 पुलिस बल तैनात रहे।