अम्बिकापुर
नगर निगम के चुनाव को लेकर राजनैतिक गलियारे से लेकर समाजिक गलियो तक चर्चा का दौर तो शुरु ही हो गया है। लेकिन इस सबके बीच अम्बिकापुर के महापौर उम्मीदवार को लेकर जुबानी जुंआ खेलने का दौर भी शुरु हो गया है। हांलाकि माना ये जा रहा है कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी जंहा तय कर दिया है, वही भाजपा मौजूदा महापौर पर ही दांव लगा सकती है।
10 वर्ष पूर्व नगर पालिका से नगर निगम का दर्जा प्राप्त करने वाले अम्बिकापुर नगर पालिक निगम का चुनाव इस बार भाजपा के लिए आसान नही माना जा रहा है। स्थापना काल के बाद से अब तक दो नगर निगम के चुनाव मे वर्तमान महापौर ने भले ही राज्य मे सत्तासीन भाजपा के कंधे मे बैठ कर ये चुनाव जीत लिया हो , लेकिन इस बार महापौर पद के लिए कांग्रेस से जो नाम आ रहा है, वो बेदाम और उथली राजनिती के हटकर एक नाम है। दरअसल जिला अस्तपात के चिकित्सल और आरएमओ रहे अजय तिर्की ने चुनाव लडने की मंशा से शासकीय चिकित्सक की नौकरी छोड दी है। और उन्होने चुनाव लडने की मंशा से कांग्रेस को अपना आवेदन भी दे दिया है।
डाँ अजय तिर्की शहर के लिए भले ही एक जाना पहचाना नाम ना हो लेकिन कांग्रेस से टिकट मिलने की सूरत मे वो मौजूदा महापौर को चुनौती देने के लिए तैयार नजर आ रहे है। हांलाकि इस पहले बतौर प्रयोग कांग्रेस ने अपने विधायक को भी आजमाया था। लेकिन फिर भी जीत का सेहरा भाजपा के सर बंधा था। लेकिन इस बार बदली परस्थितियो और राजनैतिक चर्चा के बीच ये समझ पाना बेहद मुश्किल है कि भाजपा तीसरी बार अम्बिकापुर नगर पालिक निगम के लिए किस चेहरे पर दांव लगाती है। हांलाकि 10 वर्षो से विकास और शहर के कायाकल्प करने की बात कहते हुए वर्तमान महापौर ने तीसरी बार चुनाव लडने की मंशा जाहिर तो जरुर की है।
नगर पालिका के बाद नगर निगम मे भी आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित अम्बिकापुर नगर पालिक निगम मे इस बार का मुकाबला काफी दिलचस्प माना जा रहा है। क्योकि एक तरफ सात विधानसभा जीताने वाले विधानसभा नेता प्रतिपक्ष टी.एस.सिंहदेव इस जीत के लिए हर दांव खेलने के लिए तैयार नजर आ रहे है,, तो दूसरी ओर लोकसभा चुनाव मे 1 डेढ लाख से चुनाव जीतने वाली भाजपा के हौसले भी किसी मायने मे कमजोर नजर नही आ रहे है। बहरहाल देखना तो ये है कि इस बार चुनाव मे प्रत्याशी का चेहरा वजनी पडता है,, या केन्द्र और राज्य की सत्ता का असर ………..