फटाफट डेस्क. किसान रामप्रकाश ने अपने खेत में पीले रंग का सरस्वती किस्म का तरबूज उगाया है। यह तरबूज लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। कासगंज जिले के गंजडुंडवारा क्षेत्र में लोग रामप्रकाश के खेत से ही तरबूज की खरीद कर रहे हैं। इसका स्वाद भी लोगों को खूब भा रहा है। (yellow watermelon)
एक मीडिया रिपोर्ट में किसान रामप्रकाश का कहना है कि इस समय उनके खेत में पीले तरबूज हैं। उनका दावा है कि हरे रंग के तरबूज के मुकाबले पीले तरबूज का स्वाद ज्यादा बेहतर है और यह ज्यादा मीठा होता है। तरबूज का रंग ऊपर से तो पीला है, लेकिन अंदर से लाल निकलता है।
25 रुपये प्रति किलो है भाव
उन्होंने बताया कि पहले वह हरे रंग का तरबूज पैदा करते थे, लेकिन जब उन्हें पीले तरबूज के बारे में बताया गया तो उन्होंने इस किस्म के तरबूज को उगाया। किसान रामप्रकाश का कहना है कि हरे तरबूजों के मुकाबले यह पीला तरबूज थोक में 25 रुपये प्रति किलो बिक रहा है, जबकि हरा तरबूज 8-10 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। वह बताते हैं कि इसकी खेती में काफी मेहनत है। देशी खाद डालकर इसकी क्यारी बनाते हैं।
दिन में यह फसल तैयार हो जाती है। रामप्रकाश का कहना है कि उनका तरबूज थोक मंडी तक नहीं पहुंच पा रहा, लेकिन फुटकर व्यापारी ही खेत से तरबूज खरीद ले जाते हैं। किसान रामप्रकाश का कहना है कि पीले तरबूज की खेती में प्रति बीघा 10 हजार रुपये की लागत आती है।
जिला कृषि अधिकारी सुमित कुमार चौहान ने बताया कि हर फसल में विभिन्न प्रजातियां एवं विविधता होती हैं। प्रत्येक की अलग विशेषता होती है। पीला रंग का तरबूज भी तरबूज की एक अलग वैरायटी है। इसी तरह से गेहूं में भी काला गेहूं, धान में काला धान की विविधता वाली वैरायटी मौजूद है।