जांजगीर-चांपा। जिला गठन के बाद से जांजगीर के हाईस्कूल मैदान में हर वर्ष फरवरी माह में जाज्वल्य देव लोक महोत्सव एवं एग्रीटेक कृषि मेला का आयोजन किया जाता रहा है। जिला स्तर पर शुरू हुए इस महोत्सव से जाज्वल्यधानी की पहचान प्रदेश सहित देश के कई राज्यों तक बन चुकी है। महोत्सव का आयोजन 5 से 8 फरवरी के बीच किया जाता था। चार दिवसीय महोत्सव के मंच पर जाज्वल्यदेव से जुड़ी कलाकृतियों को बैनर, पोस्टर एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से फोकस किया जाता था। लेकिन इसके पीछे एक दुखद पहलू यह है कि अब यह आयोदन विगत वर्षो से कोरोना के चलते नही हो पा रहा है। देश विदेश में जिले की पहचान रही जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव एवं एग्रीटेक मेला का आयोजन लगातार दो वर्षो से नही हो रहा है। और इस वर्ष भी संशस की स्थिति बना हुआ है। आयोजन को लेकर अभी तक जिले के जनप्रतिनिधि व अधिकारी रूचि नही ले रहे है। लग रहा धीरे-धीरे जिले के पहचान रही विशाल जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव एवं एग्रीटेक मेला समाप्ति के कगार पर है। कोराना के चलते दो वर्षो से यह आयोजन नही हो पाया है।
सरगुजा संभाग में मैनपाट आयोजन किया जा रहा तो जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव का आयोजन क्या नही हो सकता..पूरे प्रदेश मे कई निजी व शासकीय संस्कृति कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है, बावजुद यह आयोजन को लेकर अधिकारी भी कुछ बोलने में कतरा रहे है। इस वर्ष भी यह आयोजन होगा कि नही इस बारे कोई कुछ नही बता पा रहा है। जिले की एक पहचान बनी जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव एवं एग्रीटेक मेला मे देश विदेश से लोग अपनी कला एवं संस्कृति का प्रस्तृति देते थे। जो अब गुमनामी की ओर जा रहा है। कृषि, कला, संस्कृति में रूचि रखने वाले लोग इस आयोजन के नही होने से मायुस नजर आ रहे है।
कृषि एग्रीटेक मेला का पहचान देश विदेशो में…
जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव एवं एग्रीटेक मेला का चर्चा देश, विदेशो तक पहुचं गया था. जिसके कारण जांजगीर चांपा जिले एक अलग पहचान थी। लेकिन जिले के जनप्रतिनिधि व अधिकारी इस वर्ष इस आयोजन को लेकर ध्यान नही दे रहे है।
कोरोना काल मे हो रहे कई आयोजन..
सोशल डिसटेंस का पालन करते हुए कई निजी व शासकीय संस्कृति का आयोजन हो रहा है तो जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव एवं एग्रीटेक मेला का आयोजन क्यो नही किया जा सकता है। अगर जनप्रतिनिधि व अधिकारी चाहे तो यह आयोजन हो सकता हैं। जिले मे रोजाना राजनीति पार्टीयो के कार्यक्रम हो रहे है। नेता हजारो की संख्या मे रैली प्रदर्शन कर रहे हैं।
पहली बार सजा था विष्णु मंदिर …
ढ़ेर दशक पहले महोत्सव का जब पहली बार आयोजन हुआ. तब विष्णु मंदिर प्रमुख आकर्षण का केन्द्र था। छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेशनंदन सहाय ने महोत्सव की शुरूआत इसी मंदिर से की थी, तब मंदिर सहित आसपास के क्षेत्र को फूल.माला व लाइटिंग से सजाया गया था। जिसकी दूधिया रोशनी से मंदिर का नजारा देखने लायक था।