बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार)..पिछले महीने मनरेगा की राशि का फर्जी तरीके से आहरण करने के दो मामले सामने आए थे..एक वाड्रफनगर जनपद पंचायत का था.. जबकि दूसरा कार्यपालन अभियंता जलसंसाधन विभाग क्रमांक 02 से प्रकाश में आया था..और दोनो ही मामलों में पुलिस ने विभागीय अधिकारियों की शिकायत पर एफआईआर भी दर्ज किया था..वही वाड्रफनगर जनपद पंचायत के मामले में त्वरित कार्यवाही हुई..और तत्कालीन जनपद पंचायत सीईओ को सरगुजा कमिश्नर ने निलंबित कर दिया था..लेकिन जलसंसाधन विभाग में हुए लाखो के गबन के मामले में ना ही अबतक किसी की गिरफ्तारी हुई है..और ना ही दोषित अधिकारियों को निलंबित किया गया है..जो अपने आप मे कई सन्देहों को जन्म दे रहा है..इस मामले का एक पहलू यह भी है..की जिस अधिकारी ने जांच कराई है.. अब वही उस जांच में दोषी पाए गए है..
दरअसल वर्ष 2017-18 में मनरेगा में फर्जीवाड़े के एक मामले में एफआईआर होने के बावजूद जलसंसाधन विभाग के सम्भागीय लेखापाल केके सुमन,कार्यपालन अभियंता उमाशंकर राम,कम्प्यूटर ऑपरेटर सुरेंद्र सिंह,ठेकेदार मजरुल हक,कलाम अंसारी के विरुद्ध धोखाधड़ी का मामला दर्ज होने के बावजूद उनकी गिरफ्तारी नही हुई है..और अब यह मामला पूरी तरीके से हाईप्रोफाइल मामले के रूप में बदल गया है..दोषी अधिकारी आज भी अपने पद पर बने हुए है..जिससे जांच प्रभावित होने की प्रबल सम्भावनाओ से इनकार नही किया जा सकता है..जबकि यही कारनामा विभाग के निचले तबके से अगर हो गया होता तो ..तो अधिकारी उनपर कार्यवाही करने में कोई कोर कसर नही छोड़ते..
यह है पूरा मामला!..
बता दे कि..26,05,2018 को उप अभियंता एके तिवारी ने विभागीय कार्यालय से लेकर पुलिस तक मे यह लिखित शिकायत दर्ज कराई थी..की वर्ष 2017-18 में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत रामचंद्रपुर विकासखण्ड के देवीगंज जलाशय में स्लुस और वेस्ट वियर निर्माण कार्य के लिए..24 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति मिली थी..जिसमे मजदूरी भुगतान केवल 0.51 लाख ही किया गया था..तथा ऑनलाइन मनरेगा पेमेंट शीट देखने पर उन्हें ज्ञात हुआ कि..मटेरियल सप्लाई के नाम 12.25लाख का आहरण हो गया..जिसके बाद कार्यपालन अभियंता जलसंसाधन विभाग उमाशंकर राम के द्वारा खुटपाली (कोटपाली) व्यपवर्तन के एसडीओ एस मिंज की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई गई थी..
खुद की बनाई जांच कमेटी ने पाया दोषी..
जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि..देवीगंज जलाशय में स्लुस व वेस्ट वियर निर्माण कार्य के लिए मटेरियल सप्लाई के नाम पर 12.25 लाख की राशि बिना बिल व्हाउचर के ही सम्भागीय लेखापाल केके सुमन,कार्यपालन अभियंता उमाशंकर राम के डिजिटल सिग्नेचर से आहरित कर राशि मजरुल हक के खाते में 68219रुपये ,कार्यपालन अभियंता कार्यालय में पदस्थ सविंदा कम्प्यूटर ऑपरेटर के खाते में 297700 रुपये तथा मटेरियल सप्लाई के लिए आशु आईटी वर्ल्ड को बगैर सत्यापन के 147748 रुपये का भुगतान करना पाया गया था..और जांच प्रतिवेदन कार्यपालन अभियंता को सौप दी थी..बावजूद इसके कार्यपालन अभियंता उमाशंकर राम ने इस मामले को नजरअंदाज करते हुए..दो वर्षों तक पेंडिंग रखा..और मजरुल हक को केवल कागजी खानापूर्ति के लिए पत्र लिखा..तथा उन्होंने विभाग के बढ़ते दबाव को देखते हुए..मजरुल हक ,कम्प्यूटर ऑपरेटर सुरेंद्र सिंह पर ,कलाम अंसारी के विरुद्ध पुलिस में मामला दर्ज कराने के निर्देश विभाग के उपसंभाग क्रमांक 04 के एसडीओ संजय ग्रायकर को निर्देशित किया था..
वही एसडीओ संजय ग्रायकर ने रामानुजगंज थाने मे लिखित शिकायत दर्ज कराई थी..और पुलिस जांच में पुलिस को यह पता चला कि वाड्रफनगर ब्लाक के कनकेशा जलाशय में पुलिया निर्माण में भी आर्थिक अनियमितता हुई है..और फर्जी तरीके से मजरुल हक को 1747655.75 ₹ भुगतान किया गया है..जिसके बाद पुलिस ने इस मामले में सम्भागीय लेखापाल केके सुमन,कार्यपालन अभियंता उमाशंकर राम,कम्प्यूटर ऑपरेटर सुरेंद्र सिंह,मजरुल हक,कलाम अंसारी के विरुद्ध मामला दर्ज किया था..मगर दिलचस्प तो यह है..की इस मामले में दोषी अधिकारियों की गिरफ्तारी तो दूर उन्हें निलंबित तक नही किया गया है..और वे पद पर बने हुए है..
इधर क्षेत्रीय विधायक बृहस्पत सिह ने इस मामले को लेकर कहा है..की दोषियों पर सख्त से सख्त कार्यवाही होगी किसी को बख्शा नही जाएगा..
इसके अलावा जिला पंचायत उपाध्यक्ष राधा सिंहदेव ने इस मामले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए..दोषियों के विरुद्ध जल्द से जल्द कड़ी कार्यवाही करने की मांग की है..