फटाफट स्पेशल : जब रावण माता सीता का हरण कर लंका ले कर आया था उसी दिन से उसके सिर में काल मंडराने लगा था। रावण की मृत्यु निश्चित थी लेकिन अहंकार में डूबा हुआ रावण यह नहीं देख पा रहा था। ऐसे तो रावण कोई मामूली व्यक्ति नहीं था,, वह एक बहुत बड़ा विद्वान् और बलशाली था। लेकिन एक बात सच है, विनाश कालीन विपरीत बुद्धि ‘ रावण के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ परिणामस्वरूप उसे अपने प्राण गवाने पड़े।
लेकिन भगवान राम इस बात को बहुत अच्छे से जानते थे कि रावण एक बहुत बड़ा विद्वनी व्यक्ति है इसलिए उसने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को रावण के मरणोपरांत ज्ञान लेने भेजा। बड़े भाई की अज्ञा का पालन करते हुए लक्ष्मण रणक्षेत्र में कराह रहे रावण से मिलने पहुंचे और उसके सिर के पास जाकर खड़े हो गए। वे कुछ देर वहां खड़े रहे, लेकिन रावण ने कुछ भी नहीं कहा। लक्ष्मण वहां से लौटे और राम को बताया कि रावण ने उनसे कुछ नहीं कहा। वे उसके सिर के पास खड़े थे। रामचंद्र समझ गए। उन्होंने कहा कि जब भी हम किसी से शिक्षा लेने जाते हैं तो उससे विनम्र निवेदन करते हैं और उसे सम्मान देते हुए शिक्षा का आग्रह करते हैं। इस बार जाओ और रावण के पैर की तरफ खड़े होना।
इस बार लक्ष्मण ने ऐसा ही किया जिसके बाद रावण ने कुछ महत्वपर्ण बाते बताई वो ये थीं…
1. रावण ने लक्ष्मण जी से कहा कि जीवन में जो भी शुभ कार्य करना है, उसके लिए देरी न करें। यदि आपकी जानकारी में कोई अशुभ कार्य होना है, तो उसे जितन टाल सकते हैं, उसे टाल दें। रावण ने कहा कि वह साक्षात् नारायण स्वरूप श्रीराम को पहचान नहीं पाया। उनकी शरण में आने में उससे बिलंब हो गई। इसका ही परिणाम है कि आज वह रणक्षेत्र में मरणासन्न है।
2. दशानन ने लक्ष्मण जी को दूसरी महत्वपूर्ण बात बताई। उसने कहा कि अपने जीवन के किसी भी गोपनीय बात या राज को किसी अन्य व्यक्ति के समक्ष प्रकट न होने दें। यह गलती उसने की है। उसकी मृत्यु का राज विभीषण को पता था, जिस कारण से आज वह इस हाल में पड़ा है। यदि वह अपनी मृत्यु का राज विभीषण को नहीं बताता तो आज वह मरणासन्न नहीं होता। विभीषण ने ही श्रीराम को बताया था कि रावण की नाभि में अमृत है, वहां पर प्रहार करने से ही उसकी मृत्यु होगी।
3. रावण ने तीसरी महत्वपूर्ण बात यह बताई कि अपने शत्रु और प्रतिद्वंदी को कभी भी छोटा या कमतर नहीं आंकना चाहिए। यह गलती उससे हुई है। उसने श्रीराम को साधारण और तुच्छ मनुष्य समझा।