विधायक के मेहनत पर फिरा पानी,अपेक्षा के अनुरूप नहीं आई सीटे पर जनादेश स्वीकार…अब पंचायत चुनाव में दिखाएंगे दमखम…!

जांजगीर चांपा। जांजगीर चांपा के विधायक व्यास कश्यप निकाय चुनाव में अपने अध्यक्ष एवं पार्षदों को जिताने जिस तरह हाड़ तोड़ मेहनत किए थे, उस मेहनत के अनुरूप उन्हें प्रतिफल नहीं मिल पाया. जिले में कांग्रेसी पार्षद एवं अध्यक्ष अपेक्षा से कम जीतकर आए। हालांकि विधायक चुनाव में लगातार गली-गली घूम कर देर रात एक कर दिए थे, लेकिन जनता का साथ उन्हें नहीं मिल पाया। अपने ही विधानसभा में चांपा,नवागढ़, जांजगीर नैला हार गए।
परिणाम के बाद विधायक ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से लिखा है कि..
“जनादेश स्वीकार है, इस बात की पीड़ा है कि नगरीय निकाय के चुनाव में परिणाम कांग्रेस पार्टी के पक्ष में आशाअनुरूप नहीं आया, कांग्रेस पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं पदाधिकारियों का आभार जिन्होंने जी जान से मेहनत की,इस हार से हम रुकेंगे नहीं बल्कि और मजबूती से आगे बढ़ेंगे जनता के बीच रहेंगे जनता के हक के लिए लड़ाई जारी रहेगी..
जय कांग्रेस.!”

हालांकि पूरे विधानसभा में चुनाव के दौरान विधायक व्यास कश्यप की खूब तारीफ होती रही,अपने कार्यकर्ताओ के दम पर अपने क्षेत्र के सभी पार्षद एवम अध्यक्ष प्रत्याशी को जिताने में कोई कसर नहीं छोड़े,लगातार जनसंपर्क के साथ उनके हाथ में हाथ मिलाकर साथ चलते रहे। पहली बार जांजगीर चांपा जिले में चुनाव के दौरान दोनों पार्टी में दमखम दिखा.ऐसा लगा कि जिले में चुनाव हो रहा है।

जांजगीर चांपा जिले में कांग्रेसी अध्यक्ष एवं पार्षदों की सीट हारने के कई कारण नजर आए, सबसे पहले अध्यक्ष प्रत्याशी का शुरू से ही चुनाव प्रचार प्रसार में कमी दिखी. अध्यक्ष प्रत्याशी के पति संतोष गडवाल खुद पार्षद पद पर चुनाव लड रहे थे जिसके चलते वार्ड में ही सिमट कर रह गए. और हार गए.अध्यक्ष की टीम पूरे शहर के विभिन्न वार्डो तक नहीं पहुंच पाए। दूसरा कारण कांग्रेसी प्रत्याशियों का चयन तो लगभग ठीक ही था लेकिन चुनाव प्रबंधन की कमी दिखी। तीसरा सबसे बड़ा कारण पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष भगवान दास के कार्यकाल की खामियां विपक्ष द्वारा पूरे शहर में गिनाई गई जिसके चलते जनता में पार्टी के प्रति रोष व्याप्त हुआ. जिसका परिणाम कांग्रेस के खिलाफ रहा।
हालांकि विधायक व्यास कश्यप अपने अध्यक्ष एवं पार्षदों को जिताने में कोई कसर नहीं छोड़ा, हमेशा अपने पार्षदों एवं अध्यक्ष के लिए मैदान पर डटे दिखे। पूरे प्रदेश में बीजेपी को भी विश्वास नहीं था कि उनकी इतनी सीटें आएगी.बीजेपी का जीत अपेक्षा से अधिक होने के पीछे सबसे बड़ा कारण हिंदुत्व एवं महतारी वंदन योजना से लेकर दिल्ली चुनाव का परिणाम का भी असर रहा।