जांजगीर चाम्पा। मालखरौदा थाना को आदर्श थाना के नाम पर जाना जाता है लेकिन थाना सिर्फ नाम का ही आदर्श थाना है. यहां आदर्श नाम की कोई चीज नहीं है. इस थाना क्षेत्र में इन दिनों अवैध शराब की बिक्री जोरों पर है. इसका फायदा मालखरौदा थाना क्षेत्र में पदस्थ आरक्षक उठा रहे हैं. यहां आबकारी एक्ट की धज्जियां खुले आम उड़ाई जा रही है. यहां अपराध के हिसाब से प्रकरण नहीं बनता बल्कि यहां के आरक्षको के डिमांड के हिसाब से प्रकरण बनता है. कहने का मतलब यह है कि पहले थाने के बड़े साहब के निर्देशानुसार आरोपियों से खाकी का खौफ दिखाकर धमकी भरे लहजो से पूछा जाता है की 34(c) का बनाये कि 34(2) का..डिमांड पूरी होने के बाद तय होता है कि आरोपी को छोड़ा जाए या गैर जमानती धारा के तहत प्रकरण बनाया जाए। शराब माफिया भी पुलिस से ज्यादा आबकारी एक्ट के धारा के बारे में जानकार हो गए हैं .कि किस धारा के तहत रिहाई मिल सकती है, या किस एक्ट में गिरफ्तारी हो सकती है इसलिए शराब माफिया भी लंबे समय से धंधे में बने रहने के लिए पुलिस से संबंध बनाना ही उचित समझते है और बिना किसी झंझट के डिमांड पूरी कर देते है . यहां तक आरोपी को थाने आने की भी जरूरत नहीं पड़ती. अगर कोई आरोपी डिमांड पूरी नहीं करता तो भले ही उनसे कम मात्रा में शराब पकड़ी गई हो लेकिन इन थाना क्षेत्र के आरक्षक के पास इसका भी उपाय है.. उपाय यह है कि कहीं से और शराब लाकर ज्यादा मात्रा दिखाकर गैर जमानती धारा का खौफ दिखाया जाता है जिस के डर से आरोपी मनमाफिक डिमांड को पूरी करता है . यह कोई आज का खेल नहीं है यह खेल वर्षों से इस थाना क्षेत्र में चल रहा है. मालखरौदा क्षेत्र अवैध शराब माफियाओं का गढ़ माना जाता है. क्षेत्र में देसी शराब के अलावा अन्य प्रदेश की शराब बिक्री भी जोरों पर है. पान ठेला, होटलों में खुलेआम शराब ,बीयर की बोतल उपलब्ध हो जाती है .जब इस मामले में ठेला ,होटल वालो से पूछने पर पता चलता है कि उनकी थाने में महीना बंधा हुआ है . जिसके कारण उनके ऊपर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं होती।
क्या होता है अबकारी एक्ट की धाराएं 34(c), 34(a), 36(2)