बाबू साहब और पंडित जी के आपसी खींचतान का खामियाजा भुगत रहे है मजदूरी पर तैनात कर्मचारी, बाबू साहब ने कहा- नहीं दूंगा

बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार)..बलरामपुर में स्थित डीएफओ बंगला में काम करने वाले 10 कर्मचारियों को दो साल से वेतन नही मिलने का मामला सामने आया है..मजदूरी दर पर तैनात कर्मचारी शासन-प्रशासन से कई दफे मदद की गुहार लगा चुके है..लेकिन उनकी सुनवाई कही नही हो पा रही है..

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दरअसल यह पूरा मामला जिला मुख्यालय में स्थित डीएफओ के सरकारी आवास से जुड़ा हुआ है.. जहाँ पर दो वर्ष पूर्व जिले के तत्कालीन डीएफओ प्रणय मिश्रा के कार्यकाल के दौरान 10 कर्मचारियों को मजदूरी दर- पर बंगले के रखरखाव के लिए रखा गया था..जिसमे से माली ,कुक,गार्ड और चौकीदार का काम कर्मचारियों ने किया था ..लेकिन वर्ष 2020 में जिले में एक हाथी की मौत के बाद तत्कालीन डीएफओ को राज्य सरकार ने वापस रायपुर बुला लिया था..और लक्ष्मण सिह को जिले के डीएफओ के पद पर पदस्थ किया गया था..जिसके बाद डीएफओ बंगले में काम करने वाले सभी कर्मचारियों का मजदूरी भुगतान रुक गया..

विधवा महिला कर्मचारी की भी नही हो पा रही सुनवाई!..

डीएफओ बंगले में कुक के पद पर काम करने वाली एक विधवा महिला मुमित्री नाग का कहना है..अपने परिवार का भरण पोषण करने की जिम्मेदारी खुद उसके ऊपर है..लेकिन उसको दो वर्ष काम करने के बाद भी उसकी मजदूरी नही मिल पाई है..जिसके कारण परिवार की आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो गई है..वही मुमित्री ने अपने मजदूरी भुगतान को लेकर विभागीय अधिकारियों के पास गुहार लगा चुकी है.. लेकिन अभी तक कही भी उसकी समस्या का समाधान नही पाया है!

मजदूरी दर पर काम करने वाली सेविस्टिना खेस ने समय पर मजदूरी नही मिलने से उसके बच्चों की पढ़ाई लिखाई पर भी बुरा असर पड़ा है..और इसके साथ ही पैसा नही होने से लडक़ी की शादी भी नही कर पा रहे है..वर्तमान डीएफओ से मजदूरी मांगते है..तो उनका कहना है..”मेरे समय का नही है जो आपसे काम करवाया आप उसी से पैसा मांगिये” इसलिए हम लोग अपने मजदूरी के लिए दर दर भटक रहे है..

डीएफओ ने नही उठाया फोन!..

इधर इस पूरे मसले को लेकर डीएफओ लक्ष्मण सिह से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई..लेकिन इन पंक्तियों के लिखे जाने तक उनकी ओर से किसी प्रकार की प्रतिक्रिया प्राप्त नही हुई है!..

बहरहाल सवाल यही है.. की सरकारी बंगलो की चमक – धमक जिन कर्मचारियों के मेहनत से बरकरार रहती है..आज वही कर्मचारी अपनी मजदूरी के लिए दर- दर भटकने के लिए क्यों मजबूर है..क्या एक डीएफओ के हट जाने से अब उन तमाम कर्मचारियों की मजदूरी जो दिन रात सरकारी आवास में अपनी सेवाएं दे रहे थे..उनका मेहताना डूब जाएगा?..