अम्बिकापुर. 11 साल के इतिहास में पहली बार सरगुजा विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित प्रथम दीक्षांत समारोह रद्द हो गया और इसी खबर के साथ 11 साल तक गोल्ड मेडल और ससम्मान उपाधि का इंतजार कर रहे विद्यार्थियों की उम्मीदों पर पानी फिर गया. अंत में तड़के की सुबह कड़कड़ाती ठण्ड में संभाग के दूर दराज इलाकों से अपना सम्मान पाने पहुंचे सैकड़ों छात्र-छात्राएं बिना ससम्मान और मेडल के ही मायूस लौट गए. इनमे से एक छात्र ऐस अभी था जो रायपुर से आया हुआ था.
दरअसल, आज सरगुजा विश्वविद्यालय का स्थापना के एक दशक बाद प्रथम दीक्षांत समारोह आयोजित किया जाना था. जिसकी तैयारियों में विश्वविद्यालय प्रबंधन कई महीनो से जोरों शोरो से लगा हुआ था. समारोह का आयोजन ग्राम भकुरा के निर्माणाधीन विश्वविद्यालय परिसर में किया गया था. समारोह में प्रदेश की राज्यपाल अनुसुइया उइके, विश्वविद्यालय आयोग के अध्यक्ष धीरेन्द्र पाल सिंह, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह, स्वास्थय मंत्री टीएस सिंहदेव, उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, सरगुजा विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष खेलसाय सिंह अतिथि के रूप में शामिल होने वाले थे.
समारोह में सरगुजा संभाग के 52 कॉलेजों के 261 स्वर्ण पदक एवं 72 पीएचडी की उपाधि छात्र-छात्राओं को अतिथियों के हाथों पुरस्कार प्रदान किया जाना था. दीक्षांत समारोह के आयोजन को कार्य परिषद की बैठक में मंजूरी मिलने के बाद से ही विश्वविद्यालय प्रबंधन समारोह की तैयारियों में जोर-शोर से जुटा हुआ था. जिसको लेकर रायपुर से दिल्ली तक निमंत्रण दिए गए. इस कार्यक्रम के आयोजन की तैयारियों में लाखों रूपये खर्च किये गए. लेकिन एक शाम पहले छात्र-छात्राओं के चेहरों पर देख रही रौनक एक सुबह होते ही मायूसी में बदल गई. जिसके बाद दूर दराज से आए सैकड़ों छात्र-छात्राएं खाली हाथ लौट गए.
वहीँ इतना बड़ा समारोह रद्द होने की वजह जानने के लिए जब हमने विश्वविद्यालय के कुलपति और कुल सचिव से संपर्क करना चाहा. लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया. प्रबंधन की ओर से बताया जा रहा है की समारोह बारिश और ख़राब मौसम की वजह से रद्द किया गया है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए सवा सौ करोड़ की राशि का बजट बनाया गया था. जिसमे से 70 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति भी मिल चुकी थी. माना जा रहा है की प्रोटोकॉल के अनुसार कार्यक्रम का अध्यक्ष राज्यपाल अनुसुइया उइके को बनाया गया था. मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष धीरेन्द्र पाल सिंह व् विशिष्ट अतिथि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बनाया गया था. वहीँ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को मुख्य अथिति नहीं बनाये जाने से मंत्रियों की नाराज़गी को समारोह के रद्द होने का कारण बताया जा रहा है.
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