सीतापुर (फटाफट न्यूज) | अनिल उपाध्याय
Surguja: महाविद्यालय से अक्सर गायब रहने वाली प्राचार्य से परेशान छात्र-छात्राओं ने एनएसयूआई के नेतृत्व में विरोध जताते हुए महाविद्यालय में ताला जड़ दिया। इस दौरान महाविद्यालय में व्याप्त अव्यवस्था एवं भ्रष्टाचार के विरुद्ध मोर्चा खोलते हुए एनएसयूआई एवं छात्र-छात्राओं ने इसके लिए प्राचार्य को जिम्मेदार ठहराते हुए जमकर नारेबाजी की। विरोध प्रदर्शन के दौरान एनएसयूआई का कहना था कि प्राचार्य के अक्सर गायब रहने से महाविद्यालय की व्यवस्था पूरी तरह छिन्न भिन्न हो गई है। जिसका खामियाजा दूर दराज से आने वाले छात्रों को भुगतना पड़ता है। अगर प्राचार्य के रवैये में सुधार नही होता है तो छात्रों के हित के लिए एनएसयूआई मजबूरन उग्र प्रदर्शन करने को बाध्य होगी।
गौरतलब है कि शासकीय श्यामा प्रसाद मुखर्जी महाविद्यालय की प्राचार्य शशिमा कुजूर अक्सर अपनी महाविद्यालय से गायब रहती है। उनके अक्सर गायब रहने से टीसी एवं अन्य दस्तावेजो में प्राचार्य के हस्ताक्षर के लिए दूर दराज से महाविद्यालय आने वाले छात्र-छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। प्राचार्य की लापरवाही से छात्रों को होने वाली परेशानी को देखते हुए अपनी छः सूत्रीय मांगों को लेकर एनएसयूआई के अंकित दास गगन दास ज्ञापन सौंपने महाविद्यालय पहुँचे थे।
जहाँ वे स्वाध्यायी छात्रों को नियमानुसार सभी कक्षाओं में रिक्त पदों पर नियमित प्रवेश, वाणिज्य संकाय के लिए कक्ष की व्यवस्था, अनुशासन समिति गठित कर छात्र-छात्राओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार पर रोक लगाने, परिसर में स्वच्छता एवं पार्किंग व्यवस्था, उपस्थिति दर्ज कराने बायोमेट्रिक मशीन की व्यवस्था एवं सुचारू रूप से उसका संचालन, वर्षो से बंद खेल एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन के संबंध में प्राचार्य को ज्ञापन सौंपने वाले थे। जैसे ही एनएसयूआई एवं छात्रों का दल ज्ञापन सौंपने पहुँचा प्राचार्य अनुपस्थित थी।
यह देख एनएसयूआई एवं वहाँ मौजूद छात्र-छात्राएं आक्रोशित हो उठे। उन्होंने प्राचार्य पर महाविद्यालय में अव्यवस्था एवं भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए गेट में ताला जड़ दिया और जमकर नारेबाजी की। इस संबंध में एनएसयूआई के गगन दास ने बताया कि जब से शशिमा कुजूर ने प्राचार्य की जिम्मेदारी संभाली है तब से महाविद्यालय में मनमानी का आलम व्याप्त हो गया है। अक्सर ड्यूटी से गायब रहने वाली प्राचार्य कभी कभार दोपहर के दो बजे आती है और उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर कर कुछ देर बाद वापस चली जाती हैं। उनके इस गैर जिम्मेदाराना कार्यप्रणाली से छात्रों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अगर प्राचार्य का महाविद्यालय के छात्रों के प्रति यही रवैया रहा तो भविष्य में छात्रहित को लेकर एनएसयूआई उग्र आंदोलन को बाध्य होगी।