Success Story : मजबूरी से लड़ाई, रसोई गैस में पढ़ाई, मजदूर के बेटे ने ऐसे रचा इतिहास, बना यूपीएससी अधिकारी

Success Story, UPSC Success Story : बड़ी मेहनत के बावजूद, नीलेश ने यूपीएससी के 2021 और 2022 के प्रीलिम्स परीक्षा में पास नहीं कर पाए।

Success Story, UPSC Success Story

Success Story, UPSC Success Story : यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2023 के परिणाम के बाद से मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव, ईशपुर, में बहुत हलचल है। गांव के इस आमदनी-खर्चे वाले मकान में रहने वाले 24 वर्षीय नीलेश अहिरवार ने अपनी मेहनत और संघर्ष से देश की सबसे बड़ी और सबसे कठिन परीक्षा, यूपीएससी, में 916 वीं रैंक हासिल की है।

Success Story : महनत ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया

इस सफलता में उनके माता-पिता का बड़ा हाथ है, जिनकी महनत ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है। नीलेश के पिता रामदास गांव में ही राज मिस्त्री का काम करते हैं, जबकि उनकी मां हाउसवाइफ हैं। उनके लिए यूपीएससी की सफलता का महत्वपूर्ण कारक रहा है कि वे दलित समाज से हैं और इस बारे में उनके परिवार और समुदाय में गर्व की बात है।

Success Story : एग्रीकल्चर में बीटेक की डिग्री हासिल की

नीलेश की प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने अपने गांव की प्राइमरी स्कूल से प्रारंभ की थी। उसके बाद उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा के लिए गांव से ही दूर एक नगर तवानगर के मॉडल स्कूल में पढ़ाई की। उन्होंने इंटरमीडिएट तक अपनी पढ़ाई पूरी की, फिर 2020 में महात्मा गांधी ग्रामोद्योग यूनिवर्सिटी, चित्रकूट से एग्रीकल्चर में बीटेक की डिग्री हासिल की।

Success Story : घर पर ही रहते हुए यूपीएससी की तैयारी शुरू

अपने बीटेक के बाद, नीलेश गांव वापस लौट आए और घर पर ही रहते हुए यूपीएससी की तैयारी शुरू की। उन्होंने अपने छोटे से खपरैल घर के रसोई घर को पढ़ाई के लिए बदल दिया और वहां एक अस्थायी स्टडी रूम बनाया। उन्होंने गर्मियों की तपती धूप और चूल्हे की गर्मी में भी अपनी मेहनत और लगन से पढ़ाई करते रहे। बड़ी मेहनत के बावजूद, नीलेश ने यूपीएससी के 2021 और 2022 के प्रीलिम्स परीक्षा में पास नहीं कर पाए।

Success Story : दोस्तों के साथ मुख्य परीक्षा की तैयारी

यूपीएससी की तैयारी के दौरान लगातार दो बार झटके के बाद, उन्होंने तैयारी के लिए भोपाल जाने का निर्णय लिया। यहां उनकी तैयारी ने रंग लाया और उन्होंने तीसरे अटेम्पट में प्रीलिम्स को पास कर लिया। उसके बाद वे दिल्ली गए और अपने दोस्तों के साथ मुख्य परीक्षा की तैयारी करने लगे। उन्होंने यहां तीन महीने दिन-रात की पढ़ाई की और अपनी मेहनत और लगन से मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू को पारित कर लिया। फाइनल रिजल्ट में उनकी 916 वीं रैंक आई।

नीलेश अहिरवार ने अपने जीवन में गांव की छोटी-मोटी संघर्षों को पार करके एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। उनकी इस सफलता ने उनके परिवार, समुदाय और गांव को गर्वित किया है, जो उनकी मेहनत और लगन को सराहनी वाला है।