Success Story : कैंसर से जूझ रहे थे पिता, माता-पिता की मौत के बाद भी नहीं मानी हार, बिना कोचिंग 22 की उम्र में पास की UPSC परीक्षा, बनी IAS

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Success Story, UPSC Success Story, IAS Success Story :पंजाब के मोगा शहर की रहने वाली रितिका जिंदल वर्तमान में एसडीएम (सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट) के पद पर तैनात हैं।

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हाल ही में वह ट्रांसफर लिस्ट में शामिल होने के बाद चर्चा में हैं। रितिका की कहानी न केवल एक आईएएस अफसर की प्रेरक यात्रा है, बल्कि एक कठिन संघर्ष की भी कहानी है, जिसने उन्हें एक मिसाल बना दिया है।

सीबीएसई 12वीं की बोर्ड परीक्षा में टॉप

रितिका का जन्म और पालन-पोषण पंजाब के मोगा शहर में हुआ। उनकी शिक्षा की शुरुआत मोगा के ही एक स्थानीय स्कूल से हुई। स्कूली शिक्षा में अपनी प्रतिभा ने उन्होंने सीबीएसई 12वीं की बोर्ड परीक्षा में टॉप किया। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन की। उनकी शैक्षिक उपलब्धियों ने यूपीएससी परीक्षा के लिए तैयारी को भी एक मजबूत आधार दिया।

यूपीएससी परीक्षा को पार करना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि

हालांकि यूपीएससी परीक्षा को पार करना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। रितिका ने इस परीक्षा की तैयारी के दौरान कई कठिनाइयों का सामना किया। उनका परिवार एक गंभीर संकट का सामना कर रहा था, क्योंकि उनके पिता को ओरल कैंसर था। रितिका ने अपने परिवार की जिम्मेदारियों को संभालते हुए, अपने पिता की देखभाल के लिए अस्पताल में समय बिताया। इस कठिन समय के बावजूद, उन्होंने अपनी यूपीएससी की तैयारी को जारी रखा और इसके लिए आवश्यक समर्पण और मेहनत की।

88वीं रैंक के साथ आईएएस अफसर

दूसरे प्रयास में जब उनका परिवार कठिन परेशानियों का सामना कर रहा था, रितिका ने हार मानने के बजाय अपने प्रयासों को और भी मजबूत किया। उनके पिता की हालत और बिगड़ गई और उन्हें फेफड़ों का कैंसर हो गया। लेकिन रितिका ने कभी भी अपने लक्ष्यों से समझौता नहीं किया। उनके दृढ़ संकल्प और मेहनत के बलबूते 2019 में उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में सफलता प्राप्त की और 88वीं रैंक के साथ आईएएस अफसर बनीं।

रितिका चंबा जिले के पांगी क्षेत्र में तैनात

हाल ही में हिमाचल प्रदेश सरकार ने 16 आईएएस अधिकारियों के ट्रांसफर की सूची जारी की। इसमें रितिका जिंदल का नाम भी शामिल था। ट्रांसफर की इस सूची में, रितिका को चंबा जिले के पांगी क्षेत्र में तैनात किया गया है। पांगी एक ऐसा दुर्गम क्षेत्र है जो सर्दियों में छह महीने तक बर्फ से ढका रहता है और बाकी देश से कट जाता है।

इसे अक्सर ‘काला पानी’ के रूप में देखा जाता है, और यहां पोस्टिंग को सरकारी कर्मचारियों के लिए एक सजा के तौर पर माना जाता है। हालांकि रितिका जिंदल ने इस चुनौतीपूर्ण स्थान पर अपनी पोस्टिंग के लिए खुलकर सहमति दी है।

उनकी यह स्वीकृति न केवल उनकी प्रतिबद्धता और कर्तव्य परायणता को दर्शाती है बल्कि यह भी प्रमाणित करती है कि वे किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। चंबा के पांगी में अब रितिका जिंदल रेजिडेंट कमीशनर के रूप में अपनी सेवाएं देंगी।

रितिका जिंदल की कहानी एक प्रेरणा है कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से सफलता प्राप्त की जा सकती है। उनकी यात्रा न केवल aspirants के लिए एक आदर्श उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सच्चे समर्पण और मेहनत से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।