Success Story : सेल्फ स्टडी से हासिल की सफलता, NCERT पढ़कर क्रैक की UPSC परीक्षा, दूसरे प्रयास में बने IAS, खेत में काम कर रहे पिता को फोन पर दी जानकारी

UPSC Success Story, IAS Success Story, Success Story

UPSC Success Story, IAS Success Story, Success Story : यूपीएससी 2023 परीक्षा में कोंडापाका गांव के बुद्धि अखिल ने 321वीं रैंक प्राप्त कर आईएएस बनने का सपना पूरा किया। यह उनकी दूसरी कोशिश थी। पहली बार 2021 में उन्होंने 566वीं रैंक प्राप्त की थी और दिल्ली पुलिस में असिस्टेंट कमिश्नर के रूप में नियुक्त हुए थे। आइये जानते हैं इनकी कहानी

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दोपहर का समय था और गर्मी अपने चरम पर थी। सिद्दीपेट जिले के कोंडापाका गांव में खेतों में काम कर रहे बुद्धि नरेश के मोबाइल की घंटी बजी। जब नरेश ने फोन उठाया तो दूसरी ओर उनके बड़े बेटे बुद्धि अखिल की खुशी भरी आवाज आई। अखिल ने गर्व से कहा बापू, मैं आईएएस बन गया हूँ।” यह सुनते ही नरेश का दिल गर्व से भर गया। उन्होंने तुरंत घर जाकर पत्नी ललिता और छोटे बेटे अजय को खुशखबरी दी और पूरे परिवार ने खुशी में डांस किया।

आईएएस बनने का सफर

तेलंगाना के बुद्धि अखिल ने UPSC 2023 परीक्षा में 321वीं रैंक प्राप्त की है, लेकिन यह उनकी पहली सफलता नहीं है। अखिल का संघर्ष और दृढ़ता का सफर बहुत प्रेरणादायक है। 2021 में उन्होंने UPSC परीक्षा में 566वीं रैंक प्राप्त की थी और इसके बाद उनकी नियुक्ति दिल्ली पुलिस में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर हुई थी। हालांकि उनका सपना आईएएस बनने का था, और उन्होंने तय किया कि वे फिर से प्रयास करेंगे। इसके लिए उन्होंने एक साल की छुट्टी ली और पूरी मेहनत और लगन के साथ तैयारी शुरू की।

कड़ी मेहनत और आत्म-निर्भरता

अखिल की सफलता की कहानी में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने बिना किसी कोचिंग के यह उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने काकतीय इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और यूपीएससी की तैयारी में जुट गए। घर पर रहकर, उन्होंने ऑनलाइन सामग्री का उपयोग कर नोट्स तैयार किए और सेल्फ स्टडी पर ध्यान केंद्रित किया। उनकी मेहनत रंग लाई जब उन्होंने 2019 में पहली बार परीक्षा दी और पांच प्रयासों में तीन बार मेन्स क्लियर किया। दो बार इंटरव्यू में सफलता प्राप्त करने के बाद, वे अंततः आईएएस बन गए।

हार न मानने की प्रेरणा

अखिल की सफलता के साथ-साथ, कर्नाटक पुलिस के सब-इंस्पेक्टर शांथप्पा के. की कहानी भी प्रेरणादायक है। शांथप्पा ने लगातार सात साल तक यूपीएससी की परीक्षा दी, लेकिन हर बार असफल रहे। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और आठवें प्रयास में सफलता हासिल की। यह कहानी साबित करती है कि मेहनत, लगन, और लगातार प्रयास से बड़े सपने भी पूरे हो सकते हैं।

अखिल और शांथप्पा की कहानियाँ उन सभी के लिए प्रेरणा हैं जो अपने लक्ष्यों को पाने के लिए कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। बुद्धि अखिल का आईएएस बनने का सफर केवल उनकी मेहनत और समर्पण की कहानी नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि कठिनाइयों और असफलताओं के बावजूद, सही दिशा में लगातार प्रयास करने से सफलता मिलती है