अम्बिकापुर
अम्बिकापुर मे एक साथ पांच बच्चियो के जन्म के बाद उन्हे देखने जिला अस्तपताल मे लोगो का तांता लगने लगा है। बच्चियो को जन्म देने वाले परिजन जिले के लखनपुर विकासखण्ड के बिनकरा गांव के है.. और उनकी परिवारिक पृष्टभूमि उतनी मजबूत नही है कि परिवार एक साथ पांच बच्चियो को पालन पोषण कर सके, लिहाजा बच्चो और प्रसुता से मिलने पंहुची, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष हर्षिता पाण्डेय ने इस परिवार सरकार की ओर से हर संभव मदद कराने की भरोसा दिलाया है ।
सरगुजा जिला के लखनपुर निवासी मनीता ने दो दिन पहले अम्बिकापुर जिला अस्पताल मे पांच बच्चियो को जन्म दिया है और ये खबर प्रदेश मे ही नही देश मे भी चर्चा का विषय बनी हुई है। लेकिन दूसरी ओर जिले के बिनकरा निवासी पांच बच्चियो के परिजनो की आर्थिक स्थिती इतनी अच्छी नही है कि वो एक साथ पांच बच्चियो को पालन पोषण कर सके,, लिहाजा आज राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष हर्षिता पाण्डेय जब बच्चियो और उनकी मां के स्वास्थ का हाल चाल जानने जिला अस्पताल पंहुची , तो हमने श्रीमति पाण्डेय से इस परिवार के आर्थिक दर्द का इलाज पूंछा। तो उन्होने पूरी संवेदना के साथ मामले पर गंभीरता जताई और बच्चियो के बेहतर परवरिश के लिहाज से मामले कि चर्चा मुख्यमंत्री से कर बेहतर मदद कराने का आश्वासन भी दिया है।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने बताया कि वैसे तो छत्तीसगढ मे जन्म लेने वाली हर बच्ची के पालन पोषण, शिक्षा के लिए राज्य सरकार लागू योजनाओ के तहत आर्थिक मदद करता है।लेकिन मनीता की पांच बच्चियो के जन्म के मामले मे मुख्यमंत्री से अलग से चर्चा कर बेहतर मदद दिलाई जाएगी। गौरतलब है कि मामला एक साथ पांच बच्चियो के जन्म का है तो उन बच्चियो के परिजनो के साथ लोगो को भी सरकार की उस संवेदनशीलता का इंतजार है, जिससे बलबूते एक साथ पांच बच्चियो के पालन पोषण बेहतर ढंग से हो सके। इधर पांच बच्चियो के जन्म से खुश लेकिन उनके भविष्य को बेहतर ढग से संवारने का सपना संजोए परिवार के सदस्य भी सरकार से ये उम्मीद कर रहे है कि अगर उन्हे सरकारी मदद मिल जाए तो वो पांचो बच्चियो की परवरिश और बढिया ढंग से कर सकते है।
वैसे इनको जन्म देने वाली मां मनीता और बेटियो के पिता महेश की इससे पहले कोई संतान नही थी, एक बच्ची हुई भी तो उसका जन्म के बाद देहांत हो गया था,, ऐसे मे उपर वाले ने इस परिवार पर दिल खोल कर मेहरबानी तो कर दी ,लेकिन सवाल फिर वही कि गरीब परिवार मे पैदा हुई पांच बच्चियो को राज्य शासन आखिर क्या मदद कर सकता है, जिससे परिवार की खुशिया मे चार चांद लग जाए…. और बेटी बचाओ बेटी पढाओ का नारा भी बुलंद हो जाए।
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