वहीं अब किसी अपराधिक गतिविधियों में सलिप्त होने से पहले जरूर एक बार सोचते हैं. क्योंकि उनके अफसर का नाम एक ईमानदार पुलिस ऑफिसर के रूप में लिया जाता है। जिनके कार्य करने के तरीके सबसे अलग है। उसी का असर अब थाना प्रभारियों पर भी दिखने लगा है। पुलिस अधीक्षक के कार्यप्रणाली से जिले की जनता खुश नजर आ रहे हैं. पूरे प्रदेश की बात करें तो गिने-चुने ही अफसर पुलिस विभाग में ऐसे होंगे जो इमानदारी से पूरी जीवन नौकरी में ही खपा देते हैं. ऐसे ही पुलिस अफसर विजय अग्रवाल को माना जाता है. जो अपनी नौकरी पुलिस विभाग में ईमानदारी से करते आये है. इसका साइड इफेक्ट जिले में इन दिनों पुलिस विभाग में देखने को मिल रहा है. जिले के 90 फीसदी अपराध कम हो गए हैं, अवैध शराब जुआ, सट्टा, चोरी का आंकड़ा पिछले वर्षों से कम हो गया है. वही संबंधित थानों की केस पेंडेंसी के अलावा अपराध के आंकड़े कम हो गए हैं. थाना प्रभारियों द्वारा अनाप-शनाप इधर-उधर की जो कमाई की होती थी वह पूरी तरह लगाम लग गया है.
अब जिले के थाना प्रभारियों एवं आरक्षकों को अपने खर्चे के लिए अपना एटीएम उपयोग करना पड़ रहा है। यह बहुत ही कम देखने को मिलता है कि कोई थाना प्रभारी अपना इधर-उधर का खर्च के लिए अपना एटीएम उपयोग करते होंगे. कहा जाता है कि थाना प्रभारियों के पास इधर उधर का पैसा आता रहता है। जिससे वे अपना बाहरी खर्चा को वहन करते हैं लेकिन जिले में अब उल्टा हो चला है. अब थाना प्रभारी को अपने खर्चे के लिए खुद की सैलरी से खर्चा चलाना पड़ रहा है. यह चर्चा अब जिले में हर चौक चौराहों में होने लगी है. वही यह कोई आम जनता नहीं खुद थाना प्रभारी एवं आरक्षक के मुंह से सुनने को मिल रहे हैं कि अब ऐसा दिन देखने को मिलेगा यह कोई सोचा नहीं था। लेकिन अब ऐसा हो रहा है।
जिले के कई थाना प्रभारी एवं आरक्षक, पुलिस अधीक्षक के काम को पसंद भी कर रहे हैं तो कोई अपने आप को कोस रहे हैं. एक ईमानदार अफसर के साथ में रहकर कोई भी इंसान बहुत कुछ अच्छा चीज सीख सकता है जो उनके जीवन एवं नौकरी में आगे चलकर बहुत कुछ काम आ सकता है. लेकिन ऐसा इंसानो में बहुत कम देखने को मिलता हैं।