मनोरम झाँकियो से सजेगा शहर..महामाया मंदिर में व्यवस्थाए दुरुस्त..
अम्बिकापुर- देश दीपक”सचिन”
कुंवार महीने के पहले दिन शुरू हो रहे शारदीय नवरात्री पर्व की तैयारियां शहर में जोरो पर है, शहर के विभिन्न चौक चौराहों में दुर्गा पंडाल की सजावट का काम लगभग पूर्ण होने को है, माँ दुर्गा की उपासना के इस नौ दिवसीय पर्व को मानाने के लिए हर दुर्गा पंडालो में मनोरम झाकियो का निर्माण किया जा रहा है, साथ ही सरगुजा में विराजी माँ महामाया मंदिर जो की यहाँ के लोगो की आस्था का मुख्य केंद्र है हर वर्ष की भांती इस वर्ष भी वहा नवरात्री के पहले दिन से ही स्वाभाविक जन सैलाब उमड़ता है, जिसके मद्देनजर प्रशासन व पुलिस ने भी अपनी व्यवस्थाये सुनिश्चित कर ली है, अम्बिकापुर में महामाया मंदिर व समलाया मंदिर दोनों में ही नवरात्री में श्रधालुओ की भारी भीड़ होती है, लिहाजा मंदिरों की साज सज्जा का काम भी लगभग पूर्ण हो चुका है वही शहर के शदर रोड दुर्गा पूजन समित सहित जय स्तम्भ चौक, देवी गंज रोड, चम्बोथी तालाब, बाबूपारा, गांधी चौक, बंगाली मैदान व शहर भर में कई स्थानों पर दुर्गा पूजन का नौ दिवसीय आयोजन किया जा रहा है, जिसके लिए युवाओं की टीम दिन रात मेहनत में लगी हुई है, और पूजन कार्य के साथ साथ झाँकियो का बेहतर निर्माण में भी ध्यान दिया गया है,
गौरतलब है की कही मध्यप्रदेश के कलाकारों द्वारा तो कही कलकत्ता से आये कलाकारों द्वारा दुर्गा पंडालो की साज सज्जा का कार्य किया जा रहा है, इसके साथ ही शहर के विभिन्न दुर्गा पंडालो में माता के जागरण का आयोजन भी किया जाना है, जिसके तहत पूरे नौ दिनों तक शहर में विभिन्न पंडालो में रोजाना ही जागरण का लाभ भक्त जन ले सकेंगे, वही महायाया मदिर में घृत ज्योति व तेल की ज्योति हर वर्ष भक्तो के सहयोग से जलाई जाती जो इस वर्ष भी विधी विधान से जलाई जाएगी दरअसल यह अखंड ज्योति स्थापना के दिन से ही अनवरत जलती रहती है हजारो दीप में से पूरे नौ दिन तक किसी ज्योति को बुझने नहीं दिया जाता है, इस कार्य के लिए मदिर में विशेष कार्यकर्ताओं को निगरानी में लगाया जाता है,
संभाग भर में सरगुजा जिले में महामाया मंदिर, समलाया मंदिर, दुर्गा मंदिर, गौरी मंदिर, वन देवी मंदिर, में जहां दर्शको की की भीड़ होती है वहीं सूरजपुर जिले में महामाया मंदिर व ओडगी में स्थित कूदरगढ़ी धाम में विराजी माँ वागेश्वरी के दर्शन के लिए भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, बहरहाल शक्ति की उपासना का यह नौ दिवसीय पर्व माँ शक्ति की पूजा उपासना कर भक्त मनाते है, कोई नौ दिनों तक उपवास रखता है तो कोई नौरात्री के पहले और आंठवें दिन उपवास रखता है, सबकी अपनी अपनी श्रद्धा है जिसके अनुरूप लोग माँ की उपासना करते है, नौ दिनों तक मंदिरों में जाकर माँ शक्ति को जल चढ़ाकर पूजन किया जाता है,
गुफा सेवा समिति की सेवा
शहर में युवाओं का समूह गुफा सेवा समिति जो की सावन के महीने में कैलाश गुफा जाने वाले श्रद्धालुओ की सेवा के लिए कई वर्षो से उत्कृष्ट कार्य करती आ रही है, इस समिति के द्वारा नवरात्री में भी शहर की मंदिरों की साफ़ सफाई व अन्य अयावास्थाओ को बनाने के लिए विशेष योगदान दिया जाता है, साथ ही समिति के द्वारा नवरात्री में प्रसाद वितरण की व्यवस्था भी की जाती है,
नुकीले शूल शरीर में चुभाने का रिवाज
समाज का ग्रामीण तपका अपने अलग ही अंदाज में पूजन करता है जिसमे लोग लोहे के शूलो को अपने गाल में जीभ में आर पर करके झूमते हुए सडको पर निकलते है और माँ के मंदिर में जाकर पूजन अर्चन करते है, बड़ी बात यह की लोहो के नुकीले शूल जिसको स्थानीय भाषा में बाना भी कहा जाता है उसे अपने शरीर से आर पर करने वाले भक्तो के शरीर से खून की एक बूँद तक नहीं निकलती और ना ही ऐसा करने में इन्हें को कष्ट होता है लिहाजा भक्त इस क्रिया को माँ की अद्भुत शक्ति के रूप में मानते है, समाज के अलग अलग लोगो के द्वारा अलग अलग रंगों में रंगी नवरात्री जहां एक और भक्तिमय माहौल में शहर को सराबोर कर देती है तो वही दूसरी ओर दुर्गा पंडालो की खूबसूरती से आकर्षित लोगो का नौ दिवसीय मेला सा लग जाता है, और नौ दिन के पूजन के बाद हवन व माता की मूर्ती का विसर्जन किया जाएगा जिसके बाद असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक दशहरा के दिन रावन दहन का कार्यक्रम किया जाएगा,