मार्च में लगाए गए लॉकडाउन के बाद सोमवार से संसद का मॉनसून सत्र शुरू हुआ जिसमें विपक्ष ने लिखित रूप में श्रम मंत्रालय से पाँच सवाल पूछे थे. उनमें एक सवाल था, “लॉकडाउन के दौरान क्या हज़ारों मज़दूरों की मौत हुई थी. अगर ऐसा है तो इसकी विस्तृत जानकारी दी जाए. लेकिन केंद्र के पास इस सवाल का कोई भी जवाब नहीं है। केंद्र सरकार को इस बात की जानकारी नहीं है कि कोरोना महामारी के कारण देश भर में लगाए गए लॉकडाउन के दौरान कितने प्रवासी मज़दूरों की मौत हुई थी.
केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने ख़ुद इस बात को स्वीकार किया.इस सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि सरकार के पास ऐसा कोई डेटा मौजूद नहीं है. इस बात को लेकर भी सवाल उठाए गए कि आभी तक सरकार द्वारा मजदूरों को कितना मुआवजा दिया गया है, तो मंत्री का कहना था कि जब लॉकडाउन के दौरान मरने वाले मज़दूरों के बारे में कोई डेटा ही मौजूद नहीं है तो फिर मुआवज़ा देने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता.सरकार के पास लॉकडाउन के कारण जाने वाली नौकरियों के बारे में भी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है.
राहुल गांधी ने केंद्र सरकार की लिखा अपना शायराना तंज़
जब सरकार को यही नहीं पता है की अभी तक कितने मजदूर मरे है, सरकार के इस जवाब पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तंज़ करते हुए मोदी सरकार को निशाना बनाया.राहुल गांधी ने ट्वीट किया, “तुमने ना गिना तो क्या मौत ना हुई? हाँ मगर दुख है सरकार पे असर ना हुई, उनका मरना देखा ज़माने ने, एक मोदी सरकार है जिसे ख़बर ना हुई.
राहुल गांधी सुरु से ही कोरोना को ले कर देश की सरकार को सतर्क करते रहे है, उन्होने फरवरी में ही ट्वीट करके सरकार को सतर्क किया था पर केंद्र सरकार द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया।जब 24-25 मार्च को देश भर में लॉकडाउन लागू किया गया, तब भी राहुल गांधी लॉकडाउन के तौर-तरीक़ों पर सवाल उठाते रहे हैं.
आर्टिकल 14 – ज़रिए जमा किए गए आंकड़ों के अनुसार केवल चार जुलाई तक 971 लोगों की मौत हुई थी.उनके अनुसार 216 लोग भूख से, 219 लोग अपने घरों को जाते हुए रास्ते में दुर्घटना से मौत हुई थी और 133 लोगों ने आत्महत्या की