जांजगीर चाम्पा, सक्ति, अकलतरा विधानसभा में कांग्रेस की वापसी…तो पामगढ़, जैजैपुर में बीएसपी और कांग्रेस के बीच होगी कांटे की टक्कर…चन्द्रपुर से बीजेपी मार सकती हैं बाजी….?

जांजगीर-चाम्पा..(संजय यादव)… छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही हैं। राजनीति पार्टियों में सरगर्मी तेज हो गई वही राजनीतिक पार्टियों के नेता अब जनता की सुध लेना शुरू कर दिए हैं। दिल्ली से बड़े-बड़े नेता विधानसभा में पहुंचकर कार्यकर्ताओं से रूबरू हो रहे हैं। तो वही जनता की नब्ज टटोलने में लगे हुए हैं।

2023 विधानसभा में बीजेपी वापसी करने दम लगा रही हैं। तो वहीं कांग्रेस की मौजूदा सरकार अपने योजनाओं एवं विकास को लेकर जनता के पास जा रही हैं। जांजगीर चांपा की बात करें तो सक्ति, एवं जांजगीर चाम्पा जिला मिलाकर 6 विधानसभा सीट हैं। जिसमें बीएसपी बीजेपी एवं कांग्रेस को जनता बराबर-बराबर सीट देकर संतुष्ट की हैं। लेकिन, इस बार समीकरण कुछ और ही होने वाला हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा मुकाबला पुराना जांजगीर-चांपा जिले में देखने को मिलेगा। क्योंकि, जांजगीर-चांपा एवं सक्ति विधानसभा अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष दोनों का निर्वाचन क्षेत्र हैं। जिसके कारण यहां चुनावी सरगर्मियों का पारा सबसे ज्यादा बढ़ा हुआ हैं।

सक्ति विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत का निर्वाचन क्षेत्र है, तो वहीं जांजगीर चांपा विधानसभा से नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल निर्वाचित है. हमारे रिपोर्टर द्वारा सर्वे की मानें तो इस जांजगीर चांपा एवं सक्ति जिले को मिला दे तो यहां कांग्रेस 3 सीट में कब्जा करके 1 सीट से अपना बढ़त बना रही हैं। वही बीजेपी को 1 सीट का नुकसान हो रहा हैं। पामगढ़ और जैजैपुर से बीएसपी को कांग्रेस से चुनौती मिल रही हैं। चुनौती कारण कांग्रेस का सत्ता में होना हैं। जिसके कारण कांग्रेस यहां अपनी कब्जा जमाने के लिए बीएसपी कार्यकर्ताओं को तोड़ने में लगी है तो वही जनता को रिझाने में लगी हुई हैं। हो सकता है जैजैपुर से बीएसपी के मौजूदा विधायक केशव चंद्रा हैट्रिक मार दे लेकिन यह तय करेगा वहां की कांग्रेस उम्मीदवार पर। हालांकि, अभी कांग्रेस में जिस तरह वहां दावेदारो के नाम सामने आ रहे हैं। उससे कांग्रेस के दावेदार मौजूदा विधायक केशव चन्द्रा से कमजोर दिखाई दे रहे हैं। वहीं बीजेपी में भी कुछ खास चेहरा नजर नही आ रहा हैं। जिसके चलते इसका फायदा केशव चंद्र को फिर से होते दिख रहा हैं। पामगढ़ विधानसभा बीएसपी का गढ़ माना जाता हैं। यहाँ बीएसपी से इंदु बंजारे विधायक है.पिछले विधायक चुनाव में जोगी कांग्रेस और बीएसपी के गठबंधन का फायदा बीएसपी को मिला जिससे इंदु बंजारे विधायक बनी लेकिन जीत मार्जिन कांग्रेस 4 से 5 हजार के बीच मात्र रहा…इस बार कांग्रेस इस बीएसपी को भेदने में लगी है, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस की सबसे ज्यादा कमजोर आपसी गुटबाज़ी दिख रही है…जिसके कारण वहां दोनो पार्टी कमजोर हैं…अगर जांजगीर चांपा, अकलतरा एवं सक्ति विधानसभा की बात करे यहाँ पूरी मजबूती के साथ कांग्रेस की वापसी होते दिख रही हैं। हालांकि, सक्ति विधानसभा में सक्ति राजा पूर्व मंत्री राजा सुरेन्द्र सिंह कांग्रेस के लिए रोड़ा अटका सकते हैं..अगर डॉ चरणदास महंत फिर से इसी सीट से चुनाव लड़ते है तो जीत होगी। लेकिन, पिछले विधानसभा चुनाव की अपेक्षा जीत का मार्जिन कम हो सकता हैं।

जांजगीर चाम्पा विधानसभा से भी मुकाबला दिलचस्प होने वाला हैं। इस बार यहाँ बीजेपी नया चेहरा उतारने वाली हैं। वही कांग्रेस मोतीलाल देवांगन को रिपीट करती है तो कांग्रेस सीट गंवा सकती हैं। लेकिन, कांग्रेस नया चेहरे पर दांव लागती है..तो जीत तय है..क्योंकि सीट में कोई भी पार्टी रिपीट अभी नही हुई हैं। जनता हर पांच साल में अपना विधायक बदल देती हैं। वही अकलतरा विधानसभा में बीजेपी कमजोर दिख रही हैं। यहाँ कांग्रेस की फिर वापसी हो रही हैं। मात्र 11 से 12 सौ की मार्जिन से बीजेपी से जीते सौरभ सिंह का भारी विरोध देखने को मिल रहा। वही अकलतरा नगर पालिका में बीजेपी के अध्यक्ष से नगरवासी ऐसे भी परेशान हैं। बचा बचाया यहाँ सौरभ सिंह का खेल को आप पार्टी बिगाड़ रही हैं। क्योकि, आप पार्टी की दखल जांजगीर चाम्पा व सक्ती जिले में सबसे ज्यादा हैं। दूसरी बात इस बार अकलतरा से कांग्रेस ओबीसी वर्ग से मजबूत उम्मीदवार उतारने वाली हैं। जो सौरभ सिंह को सीधे टक्कर देगा..चन्द्रपुर विधानसभा की बात करे तो यहां बीजेपी खाता खोल सकती हैं। यहां के मौजूदा विधायक रामकुमार यादव की स्थिति कुछ खास नही हैं…उनके पुराने समय के कर्ताधर्ता उनको छोड़कर चले गए हैं। वही अब ठेकेदारो के इर्दगिर्द उनकी राजनीति चल रही हैं। बीजेपी अगर पूर्व विधायक युद्धवीर सिंह की पत्नी को टिकट देती है तो उन्हें इस बार सेमपेथी वोट मिल सकता हैं। पिछले चुनाव में भी उनकी पत्नी संयोगिता जूदेव चुनाव लड़ी थी उस समय युद्धवीर सिंह जूदेव अपनी जगह अपनी पत्नी को चुनाव लड़वाये थे।

हालांकि, उनकी बुरी तरह हार हुई थी। लेकिन, इस बार चन्द्रपुर विधानसभा का समीकरण बदला हुआ हैं..कापी दिनों से युद्धवीर सिंह जूदेव की पत्नी राजनीति में सक्रिय हैं..हमेशा कार्यकर्ताओं व जनता के संपर्क में हैं। वही कांग्रेस से रामकुमार यादव का पहले की अपेक्षा इस बार हावभाव बदला हुआ नजर आ रहा हैं।