बलरामपुर…जिले के रामानुजगंज नगर पंचायत में कल अप्रत्यक्ष प्रणाली से अध्यक्ष चुने जाने की प्रक्रिया दिलचस्प रही..और जिस उम्मीदवार के नामपर पार्टी के स्थानीय नेताओं ने बगावत करने की ठानी थी..उसी नेता ने एक बार फिर नगरीय सत्ता में भाजपा की बादशाहत को बरकरार रखने में सफलता हासिल की ..या यूं कहें कि अपने आत्मबल के बलबूते वह नेता फिर से अपने कुर्सी पर बैठने में कामयाब रहा..
दरअसल 15 वार्डो वाले रामानुजगंज नगर पंचायत में भाजपा के स्थानीय नेता तत्कालीन नगर पंचायत रमन अग्रवाल को टिकट नही देने की जिद पर अड़े हुए थे..जिसको लेकर रामानुजगंज भाजपा कार्यालय में जिलाध्यक्ष शिवनाथ यादव व महामंत्री ओमप्रकाश सोनी की मौजूदगी में शोर शराबा हुआ था..नौबत तो हाथापाई तक आ पहुँची थी..तब जिलाध्यक्ष ने स्थिति को भांपते हुए भाजपा कार्यालय से नेताओ को आश्वस्त कर वापस लौटना ही मुनासिब समझा था..लेकिन सियासत है..शतरंज की मोहरों की तरह ही सियासी खेल खेला गया..और जिलाध्यक्ष बलरामपुर पहुँचे..लेकिन यहाँ भी कुछ स्थानीय नेता रमन अग्रवाल को टिकट नही देने की मांग को पीछे -पीछे पहुँच गए..और अंत मे महामंत्री के घर बैठकर जिलाध्यक्ष ने पार्टी के उम्मीदवारों की सूची बनवाई..जिसमे रमन का नाम शुमार नही था..इसी दौरान पार्टी संगठन से जुड़े एक कद्दावर नेता के फोन ने रमन विरोधी नेताओ की मंशा पर पानी फेर दिया..और वार्ड क्रमांक 10 से कृष्णा गुप्ता का नाम हटाकर रमन अग्रवाल का नाम शामिल किया गया..
यह वही रमन है..जो पिछले पंचवर्षीय में भी नगर पंचायत के अध्यक्ष रहे..और इस बार भी अप्रत्यक्ष प्रणाली से हुए चुनाव में जीत दर्ज करते हुए..अपनी हुकूमत को बरकरार रखा है..
बता दे कि चुनाव परिणामो में भाजपा से 7 पार्षद,कांग्रेस के 5 पार्षद,और 3 निर्दलीय पार्षद चुन कर आये थे..और जोड़तोड़ की सियासत चल रही थी..लेकिन 5 हजार से अधिक की आबादी वाले रामानुजगंज का एक तबका रमन के अध्यक्ष बनने के कयासों में उलझा हुआ था..और ठीक वैसा ही हुआ ..