न समर्थन, न किसी से गठबंधन… बसपा के लिए सीट बचाने अग्निपरीक्षा से कम नही होगा 2023 का विधानसभा चुनाव…

संजय यादव

जांजगीर चाम्पा। जिले में दो विधानसभा सीट पर बसपा का कब्जा है. जैजैपुर से केशव चंद्रा लगातार दो बार के विधायक चुने गए है.तो पामगढ़ से इंदु बंजारे विधायक है. जिले में अगर सक्ति को मिला ले तो 6 विधानसभा सीट है.जिसमे कांग्रेस, बीजेपी,बसपा तीनो दो-दो सीट पर कायम है. लेकिन 2023 विधानसभा चुनाव की बात करे तो बसपा के लिए अपनी सीट बचाने बड़ी चुनौती होगी। क्योंकि इस बार बसपा के बड़े नेताओं द्वारा दावा किया जा रहा है. इस बार बसपा किसी से गठबंधन नही करेगी , न ही किसी का समर्थन करेगी। 2023 के विधानसभा चुनाव में अकेली अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरेगी। आगे देखना होगा कि चुनाव नज़दीक आते-आते बसपा नेताओ के दावे कितना सही होता है।
जांजगीर-चांपा जिले में पामगढ़ एवं जैजैपुर विधानसभा में बसपा को सीट बचाने किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा. क्योंकि कांग्रेस सत्ता में रहते बसपा के गढ़ को ढहाने बड़ी मजबूती से चुनाव मैदान में उतरेगी . कांग्रेस के लिए भी यही मौका होगा कि किसी तरह बसपा को टारगेट में लेकर जिले में दोनो सीटो पर कब्जा कर कांग्रेस के जनाधार को बढ़ाया जा सके।
हालांकि कांग्रेस के लिए भी बड़ी चुनौती रहेगा. क्योंकि दोनों नेता जमीन से जुड़े हुए हैं. जैजैपुर से केशव चंद्रा की बात करें तो हमेशा अपने कार्यकर्ताओं एवं किसानों के लिए रोड की लड़ाई लड़ते हैं. तो वहीं पामगढ़ विधायक हिंदू बंजारे अपने सामाजिक वोटरों के अलावा सामान्य एवं ओबीसी वोटरों में अपना पैठ जमाए हुए है. जिसको भेदना कांग्रेस के लिए बड़े मुश्किल है . वही भाजपा की बात करें तो जैजैपुर एवं पामगढ़ विधानसभा में पूरी तरह कमजोर दिखाई दे रही है आने वाले विधानसभा में दोनों विधानसभा दोनों सीटों पर तीसरी पोजीशन की संभावना जताई जा रही है. इसलिए बसपा के गढ़ को भेदने बीजेपी का कोई रोल नही रहेगा. हालांकि कांग्रेस पार्टी की बात करें तो पामगढ़ विधानसभा में भारी मतभेद नजर आ रहा है. जिसका नुकसान कांग्रेस को भी उठाना पड़ सकता है. अगर बड़े नेताओं द्वारा अभी से संगठन में गुटबाजी को डैमेज कंट्रोल कर लिया गया तो आने वाले समय कांग्रेस को ही फायदा होने वाला है.  लेकिन अगर गुटबाजी को कम नहीं किया गया तो इसका नुकसान भी काग्रेस को ही उठाना पड़ सकता है. क्योंकि बसपा के लिए खोने के लिए कुछ भी नहीं है लेकिन कांग्रेस को प्रदेश में फिर से सरकार की वापसी करने के लिए एक-एक सीट से मजबूती से चुनाव लड़ना होगा वही हर एक सीट कांग्रेस के लिए बड़ा अहम होगा इसलिए कांग्रेस हर एक सीट बड़ी गंभीरता से लड़ेगी।
क्या हैट्रिक लगा पाएंगे जैजैपुर विधायक या चुनाव नजदीक आते बदल लेंगे पाला…
कुर्सी का लोभ किसे नही होता हर कोई अपना कुर्सी बचाना चाहता हैं. वही नेता अपना दबदबा कायम रखने के लिए हर एक हदे पार कर सकता हैं.  राजनीति में कई उठापटक देखने को मिलते हैं. वही समय आने पर नेता को अपना रंग भी गिरगिट की तरह बदलते देखा गया है. इसी आशंका से कहा जा रहा है कि आने वाले समय में क्या जैजैपुर विधायक केशव चंद्रा हैट्रिक लगा पाएंगे यह अपना पाला बदल लेंगे. हालांकि कहना जल्दी बाजी होगा अभी सस्पेंस बरकरार है.. हालांकि जैजैपुर विधायक का झुकाव कांग्रेस पार्टी की ओर ज्यादा झुकी हुई नजर आती है.. अपने गुरु के तौर पर छत्तीसगढ़ के विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत का हर एक आदेश को मानते हैं..तो हो सकता है आने वाले समय में अपने गुरु के आदेश का पालन करते पाला बदल दे… या पिज पर जमे हुए शॉर्ट लगाते हुए हैट्रिक लगा दे..लेकिन इस बार केशव चंद्रा के लिए हैट्रिक लगाना कोई आसान काम नहीं होगा . क्योंकि कांग्रेस की नजर जैजैपुर एवं पामगढ़ विधानसभा में गिध्द की तरह टिकी हुई है।