@संजय यादव
जांजगीर चांपा। हसदेव नदी को जिले की जीवनधारा माना जाता है। इसका उद्गम स्थल कोरिया जिले के सोनहत ब्लाॅक में मेंड्रा गांव है जो कैमूर की पहाड़ी से लगी हुई है। इसकी लंबाई 210 किलोमीटर है। लेकिन 125 किमी बाद कोरबा पहुंचते नदी का पानी प्रदूषित हो जाता है। इसका कारण डेम से निकली राखड़युक्त पानी व केमिकल है। हसदेव नदी में बांगो बांध स्थित है। साथ ही 11 एनीकट का निर्माण अब तक कराया गया है। जहां से औद्योगिक संस्थानों को पानी दिया जा रहा है।
जांजगीर चांपा विधानसभा सभा सीट में हसदेव नदी का राजनीतिक दृष्टिकोण से ये नदी काफी अहम है. हसदेव नदी के बाई ओर चांपा नगर पालिका है और दायी ओर जांजगीर नगर पालिका. विधानसभा के हिसाब से बांई ओर अधिक वोटर है और दाएं हिस्से में कम मतदाता हैं.कांग्रेस पिछले 25 साल से मोती लाल देवांगन को अपना प्रत्याशी बनाते आई है. वहीं बीजेपी लगातार नारायण चंदेल को चुनावी मैदान में उतार रही है. इसके अलावा नदी के दायी ओर जांजगीर नगर पालिका क्षेत्र में कांग्रेस से टिकट मांगने वालों की लम्बी लाइन है.जिन्हें नदी के दूसरी ओर के वोटर्स को साधने में मुश्किल होती है.यही हाल चांपा नगर पालिका क्षेत्र के लोगों के टिकट दावेदारों का भी रहता है.
जांजगीर-चांपा को कोसा,कांसा और कंचन की नगरी कहा जाता है. चांपा के साथ जाज्वल्य देव की नगरी जांजगीर को मिलाकर जांजगीर चांपा विधानसभा को अस्तित्व में लाया गया. जांजगीर चांपा विधानसभा में इस बार रणनीति तैयार करने के लिए राजनीतिक दल जुट चुके हैं.
छत्तीसगढ़ की हाईप्रोफाइल सीटों में से एक है जांजगीर चांपा. इस विधानसभा में हर बार कांटे की टक्कर देखने को मिलती है. मौजूदा समय में विधानसभा से बीजेपी नेता नारायण चंदेल विधायक हैं.जिन्हें बीजेपी ने विधानसभा नेता प्रतिपक्ष बनाया है. पार्टी ने फिर यहां से प्रत्याशी बनाया है.लगातार छठवीं बार इस विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं हालांकि कांग्रेस ने अभी अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है. वही बीएसपी ने राधेश्याम सूर्यवंशी को प्रत्याशी बनाया है.इस विधानसभा में हर बार स्थानीय प्रत्याशियों को ही विधानसभा में जाने का मौका मिला है.इसके बाद जातिगत समीकरण और मुद्दों की बात आती है.जनता इस विधानसभा से उसी कैंडिडेट को चुनती है जिसके अंदर जनता की आवाज बनने की ताकत हो.यही वजह रही कि पिछले विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस की सुनामी आई तो जांजगीर का गढ़ बीजेपी बचाने में कामयाब रही.
जांजगीर चांपा विधानसभा किसान बाहुल्य क्षेत्र है. क्षेत्र का 80 फीसदी भाग नहर के पानी पर निर्भर है.किसान खरीफ फसल के तौर पर धान उगाकर और फिर उसे सरकार को बेचकर लाभ कमाते हैं.लेकिन रबी की फसल में परिवर्तन ना करके वापस धान उगाते हैं.दूसरी फसल के उत्पादन को सरकार नहीं खरीदती. सरकार के मूल्य निर्धारण नही करने से किसानों को दूसरी बार उगाई गई फसल का उचित दाम नहीं मिलता.जिसे वो बिचौलियों की मदद से खुले बाजार में कम कीमत में बेचकर अपना खर्च निकालते हैं.किसानों को अपनी इस समस्या से निजात पाने के लिए सरकार से कई बार ग्रीष्म कालीन फसल में धान के लिए नहर से पानी देने और फसल के उचित दाम की मांग की है.जो अब तक पूरी नहीं हुई है. इसके अलावा रोजगार की मांग, चिकित्सा, शिक्षा की अच्छी व्यवस्था की मांग प्रमुख मुद्दे हैं.वहीं शहरी क्षेत्रों में पेयजल की समस्या बनीं हुई है.