जांजगीर चांपा। अकलतरा विधानसभा में चाचा के सामने भतीजा का जादू नहीं चल पा रहा है.. भाजपा प्रत्याशी सौरभ सिंह चुनाव प्रबंधन में कांग्रेस से आगे निकलते दिख रहे है. हालांकि शुरुआती दौर पर अकलतरा विधानसभा में काटे का मुकाबला था कांग्रेस बीजेपी को मात देने की बराबरी में आ गया था, लेकिन कांग्रेस का कमजोर चुनाव प्रबंधन से प्रचार प्रसार ढीला हो गया जिसका परिणाम अब चुनाव के आखिरी दौर पर दिखने लगा है. वही मौजूदा विधायक होने के कारण सौरभ सिंह का भी भारी विरोध देखने को मिल रहा है जिसका भरपाई सौरभ सिंह धीरे-धीरे करते नजर आ रहे हैं.. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि जनता उनको दोबारा मौका देती है या नए प्रत्याशी को मौका देती है यह 3 दिसंबर को साफ हो जाएगा।
सौरभ सिंह अपने रणनीति में आगे निकल गए हैं तो वहीं कांग्रेस पीछे चल रही है हालांकि इस बार जोगी कांग्रेस से ऋचा जोगी एवं बीएसपी प्रत्याशी कुछ खास करामात नहीं दिखा पा रहे हैं..वही कुछ क्षेत्रों में आप पार्टी के प्रत्याशी आनंद मीरि लोगों को विश्वास दिलाने में कामयाब होते दिख रहे..लेकिन चुनाव जीतना आसान नही लग रहा है..ये तीनो पार्टी सिर्फ बीजेपी ,कांग्रेस का वोट काट रहे है.अगर पूरे अकलतरा विधानसभा की बात करें तो अकलतरा में फिर से सौरभ सिंह को वापसी होते दिख रहा है..इसके पीछे कांग्रेस पार्टी का कमजोर चुनाव प्रबंधन , टिकट मिलने में जल्दबाजी एवम कांग्रेस प्रत्याशी का चुनाव में मैदान में उतरने से पहले की तैयारी नहीं दिखी…हालांकि कांग्रेस पार्टी को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के घोषणा में विश्वास नजर आ रहा है.
अगर क्षेत्र में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का घोषणा का जादू चल गया तो कांग्रेस से थोड़ा सा उम्मीद जरूर नजर आ रहा है.. लेकिन इस बार भाजपा प्रत्याशी सौरभ सिंह ने भी पूरी गंभीरता से चुनाव मैदान में उतरकर चुनाव लड़ा है. उस हिसाब से कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी रघुवेंद्र सिंह की गंभीरता चुनाव मैदान में नजर नहीं आई. इसके पीछे पारिवारिक कारण भी वजह हो सकते हैं.. जिसके चलते जिस गंभीरता से चुनाव मैदान में उतरना था वह नजर नहीं आया.. हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी के ऊपर कई आरोप लगते रहे लेकिन राघवेंद्र सिंह भी सभी आरोपों को खारिज करते हुए चुनाव मैदान पर डटे रहे.. अब इन सब का फैसला 3 दिसंबर को होना है हालांकि जनता अब मूड बना ली है कि और अकलतरा विधानसभा से किसको विधायक बनाकर विधानसभा भेजना है।