@संजय यादव
जांजगीर-चांपा। जांजगीर-चांपा विधानसभा में 1998 से 2018 के बीच लगातार कांग्रेस के मोतीलाल देवांगन और बीजेपी के नारायण चंदेल के बीच पांच बार मुकाबला देखने को मिला जिसमें मोती देवांगन को दो बार तो नारायण चंदेल को तीन बार जीत मिली. 5 बार दोनों के बीच लगातार हो रहे मुकाबले के बीच किसी प्रत्याशी ने लगातार दो बार जीत हासिल नहीं की, एक बार कांग्रेस की जीत हुई तो एक बार बीजेपी की जीत ,इसी तरह एक दूसरे से एक बार हारते तो एक बार जीतते चले आ रहे हैं. 1998 में बीजेपी ने जब पहली बार स्थानीय प्रत्याशी नारायण चंदेल को टिकट दिया तो कांग्रेस ओबीसी वर्ग से ही मोती देवांगन को से टिकट दिया. तब से दोनों के बीच मुकाबला देखने को मिला है दोनों राजनीति पार्टी ने पांच बार हुए विधानसभा में अभी तक नए प्रत्याशी को मौका नहीं दिया है .अब 2023 के विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं हालांकि अभी दोनों पार्टी ने अपना प्रत्याशी की घोषणा नहीं कि अब देखना होगा कि क्या फिर दोनों के बीच मुकाबला हो गए या दोनों पार्टी नये प्रत्याशी को मौका देगी।
छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद जब प्रदेश में पहली बार परिसीमन हुआ तो जांजगीर-चांपा सीट अस्तित्व में आई। अस्तित्व में आने के बाद इस सीट पर पहला चुनाव हुआ साल 2008 में. इस चुनाव में भाजपा के नारायण चंदेल ने कांग्रेस के मोतीलाल देवांगन को 1090 वोट से पटखनी दी और विधानसभा पहुंचे। लेकिन इन दोनों के बीच यह कोई पहला चुनाव नहीं था। पहले भी दोनों चुनावी मैदान में आमने-सामने टकरा चुके हैं। अविभाजित मध्यप्रदेश में साल 1998 के विधानसभा चुनाव और छत्तीसगढ़ गठन के बाद साल 2003 में हुए पहले चुनाव में नारायण चंदेल और मोतीलाल दोनों चांपा विधानसभा सीट से आमने सामने थे। इसमें से 1998 का चुनाव नारायण चंदेल ने जीता था, जबकि 2003 का कांग्रेस के मोतीलाल देवांगन ने।
वर्तमान में जांजगीर-चांपा विधानसभा का नाम एक साथ लिया जाता है। लेकिन पहले ये दोनों सीटें अलग-अलग नाम से जानी जाती थी। आजादी के बाद 1951 में जब मध्यप्रदेश में पहला विधानसभा चुनाव हुआ तो जांजगीर सीट अलग थी और चांपा की सीट अलग। तब जांजगीर सीट के नाम से तीन चुनाव हुए। पहले चुनाव में जांजगीर के साथ पामगढ़ का नाम जुड़ा हुआ था, ऐसे में यहां से दो विधायक चुने गए। इसमें कांग्रेस के गणेश राम और निर्दलीय प्रत्याशी महादेव मुरलीधर का नाम शामिल है। इसी तरह 1957 में हुए चुनाव में जांजगीर विधानसभा से लखेश्वरीलाल पालीवाल जीतकर आए। इसी तरह 1962 में हुए चुनाव में कांग्रेस के रामेश्वर प्रसाद शर्मा ने जीत दर्ज की। 1967 में जांजगीर सीट विलुप्त हो गई। वहीं चांपा सीट से 2003 तक विधायक चुने जाते रहे। साल 2008 से पहले हुए परिसीमन में चांपा सीट विलुप्त हो गई और उसके स्थान पर जांजगीर-चांपा नामक नई विधानसभा सीट अस्तित्व में आई।
2018 में हुए विधानसभा चुनाव में जहां पूरे प्रदेश में कांग्रेस की हवा थी, वहीं जांजगीर-चांपा सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की। वर्तमान में यहां से विधायक नारायण चंदेत हैं, जो छत्तीसगढ़ के नेताप्रतिपक्ष भी हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में जांजगीर-चांपा सीट से कुल मतदाताओं की संख्या 2033330 थी, जिसमें से 147226 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। भाजपा की ओर से नारायण चंदेल, कांग्रेस से मोतीलाल देवांगन और बसपा से ब्यास नारायण कश्यप प्रत्याशी बनाए गए। जब चुनाव परिणाम सामने आए तो नारायण चंदेल को 54040 वोट, मोतीलाल देवांगन को 49852 वोट और बसपा के ब्यास नारायण को 33505 वोट मिले। इस तरह नारायण चंदेल ने यह चुनाव 4188 वोट मार्जिन से जीत लिया।