Lateral Entry Objection, TDP, NDA, Lateral Entry Process : लैटरल एंट्री की प्रक्रिया पर एक बार फिर से सियासत तेज हो गई है। केंद्र सरकार द्वारा संयुक्त सचिव, निदेशक और उपसचिव के 45 पदों पर सीधी भर्ती (लैटरल एंट्री) के फैसले पर राजनीतिक संग्राम छिड़ गया है।
जहां एक ओर विपक्षी दलों ने इस फैसले का विरोध किया है, वहीं एनडीए में भी इस निर्णय को लेकर असंतोष जताया जा रहा है। इस मुद्दे ने सियासत में एक नया मोड़ ला दिया है और विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच तकरार को जन्म दिया है।
विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार के इस फैसले की आलोचना की है। इन दलों का कहना है कि इस प्रकार की सीधी भर्ती से आरक्षण के प्रावधानों की अनदेखी की जाएगी, जिससे सामाजिक न्याय पर प्रभाव पड़ेगा। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण के नियमों का पालन करना आवश्यक है और इस तरह के फैसलों से समाज के विभिन्न वर्गों को न्याय मिलना मुश्किल हो जाएगा।
समाजवादी पार्टी ने भी इस निर्णय को अनुचित करार देते हुए सरकार पर आरोप लगाया है कि वह सामाजिक समरसता और जाति आधारित आरक्षण के खिलाफ जा रही है। पार्टी ने यह भी कहा कि इस फैसले से सरकारी सेवाओं में सामाजिक विविधता और प्रतिनिधित्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
एनडीए में विरोध की आवाजें
एनडीए के भीतर भी इस फैसले को लेकर विरोध के सुर सुनाई दे रहे हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने इस मुद्दे पर अपनी पार्टी का रुख स्पष्ट कर दिया है। चिराग पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी लैटरल एंट्री की नियुक्तियों के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “जहां भी नियुक्तियां होती हैं, वहां आरक्षण के प्रावधानों का पालन करना चाहिए। यह फैसला बिलकुल गलत है और हम इस मुद्दे को सरकार के सामने उठाएंगे।”
जेडीयू का विरोध
जनता दल (यूनाइटेड) के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने भी इस मुद्दे पर चिराग पासवान के विचारों से सहमति जताई है। केसी त्यागी ने कहा, “हमारी पार्टी शुरू से ही सरकार से आरक्षित सीटों को भरने की बात कहती आई है। हम राम मनोहर लोहिया की विचारधारा को मानते हैं और समाज के पिछड़े वर्गों को समान अवसर देने की दिशा में काम करते हैं। जब लोग सदियों से समाज में पिछड़ेपन का सामना कर रहे हैं, तो आप मेरिट की बात क्यों कर रहे हैं? सरकार ऐसे फैसलों के जरिए विपक्ष को मुद्दा दे रही है।”
टीडीपी का समर्थन
वहीं तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने इस फैसले पर मोदी सरकार का समर्थन किया है। टीडीपी महासचिव नारा लोकेश ने कहा, “हमें लैटरल एंट्री के फैसले से खुशी है क्योंकि कई मंत्रालयों को विशेषज्ञों की जरूरत है। हम हमेशा प्राइवेट सेक्टर से जानकारों को शामिल करने का समर्थन करते हैं। इससे न केवल सरकारी कामकाज में सुधार होगा, बल्कि विशेषज्ञता भी प्राप्त होगी।”
केंद्र सरकार द्वारा सीधी भर्ती (लैटरल एंट्री) के फैसले पर राजनीतिक दलों के बीच तीखी प्रतिक्रिया और विरोध ने इस मुद्दे को सियासत का एक महत्वपूर्ण विषय बना दिया है। जबकि विपक्षी दलों और एनडीए के भीतर के कुछ नेताओं ने इस निर्णय का विरोध किया है, वहीं टीडीपी जैसे दलों ने सरकार के फैसले का समर्थन किया है। इस मुद्दे पर आगे की स्थिति और भी स्पष्ट होगी, लेकिन फिलहाल यह देखा जाना बाकी है कि सरकार इस विरोध के बाद अपने निर्णय पर क्या प्रतिक्रिया देती है और किस प्रकार की प्रक्रिया अपनाती है।