
रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में एक बड़ी सफलता मिली है। बीजापुर जिले में कुल 50 नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के समक्ष आत्मसमर्पण किया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस ऐतिहासिक घटना को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर खुशी जाहिर करते हुए इसे सरकार की “नई आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति – 2025” का परिणाम बताया है।
सीएम साय ने लिखा, “नक्सलवाद के कुचक्र में फंसे लोग अब बंदूक छोड़कर पुनः समाज की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं, जो स्वागतयोग्य है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के संकल्प के अनुरूप है, जिसके तहत मार्च 2026 तक वामपंथी उग्रवाद का खात्मा तय है।”
2200 से अधिक नक्सली गिरफ्तार या आत्मसमर्पण कर चुके
मुख्यमंत्री ने बताया कि डबल इंजन सरकार की नीति के तहत अब तक 2200 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया या गिरफ्तार हुए हैं। इसके अलावा, अब तक 350 से अधिक नक्सली मारे जा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि बस्तर संभाग के सुदूर अंचलों में नई सुरक्षा कैंपों की स्थापना, नियद नेल्ला नार योजना के तहत सड़क निर्माण, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार ने सरकार के प्रति विश्वास बढ़ाया है।
बस्तर में सरकार की रणनीति रंग ला रही
राज्य सरकार की नीतियों और योजनाओं के चलते नक्सल प्रभावित इलाकों में हालात तेजी से बदल रहे हैं। पुनर्वास नीति के तहत सरकार आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा में लौटने का अवसर दे रही है।
सीएम साय ने इस बड़ी सफलता के लिए सुरक्षाबलों को बधाई देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार शांति के रास्ते पर लौटने वालों के पुनरुत्थान के लिए पूरी तरह तत्पर है।
क्या है आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति – 2025?
सरकार की इस नई नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को आर्थिक सहायता, पुनर्वास योजनाएं, रोजगार के अवसर और सुरक्षा दी जाती है। इस नीति का उद्देश्य बंदूक छोड़ने वालों को मुख्यधारा में लाकर समाज में पुनः स्थापित करना है।
छत्तीसगढ़ में लगातार हो रहे नक्सलियों के आत्मसमर्पण से साफ है कि लाल आतंक का अंत अब नजदीक है, और सरकार की रणनीति प्रभावी साबित हो रही है।