◆श्रमिको की मूलभूत सुविधाओं से लेकर कारखाना अधिनियम,श्रम कानून तक का पालन नही हो रहा है
अकलतरा। एशिया के सबसे बड़े पावर कंपनी बनाने का सब्जबाग दिखा कर जांजगीर चाम्पा जिले के अकलतरा तहसील के नरियरा गांव में निर्माणाधीन के एस के महानदी पावर कम्पनी लिमिटेड कारखाना वर्ष 2019 से नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल द्वारा नियुक्त अधिकारियों की देख रेख में संचालित हो रहा है, तथा आज दिनांक तक संचालित होते हुए लगभग 4 वर्ष पूरे होने को है, इन चार वर्षों में पहले पहले अंतरिम पेशेवर समाधान अधिकारी (आई आर पी) के रूप में महेंद्र खंडेलवाल लगभग 6 महीने तक नियुक्त रहे, नियमानुसार समाधान की प्रक्रिया पूर्ण नही होने की स्थिति में उसके उपरांत समाधान पेशेवर (आई आर पी) के रूप में सुमित बिनानी नियुक्त है, इन चार वर्षों में कारखाना में बिजली उत्पादन निर्बाध रूप से हो रहा है, जिससे कारखाना को निश्चित रूप से वित्तीय लाभ हो रहा है, साथ ही वर्ष 2013 से कारखाना में बिजली उत्पादन हो ही रहा था, फिर भी कारखाना के वित्तीय प्रबंधन में असफलता के कारण यह कारखाना नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के द्वारा नियुक्त श्री सुमित बिनानी (आर पी) के देखरेख में संचालित है।
चूंकि कारखाना में कारखाना अधिनियम के साथ श्रम कानून द्वारा निर्धारित नियम कानूनों का पालन किया जाना अनिवार्य है साथ ही श्रमिको की मूलभूत सुविधाएं, सी एस आर मद (CSR) के तहत जनसुनवाई के समय किये गए वायदे तथा श्रमिक संघ एवं प्रबंधन के मध्य हुए समझौते का अनुपालन किया जाना चाहिए, किन्तु दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से यहाँ प्रबंधन में बैठे अधिकारी श्रमिकों की समस्याओं का हल करने के बजाय दिन प्रतिदिन उनका शोषण करने उतारू है, श्रमिकों की किसी भी समस्या का हल नही हो रहा है, उल्टे श्रमिकों को प्रताड़ित किया जा रहा है, उनके विरुद्ध अनुचित व्यवहार किया जा रहा है, श्रमिको की लंबित समस्याओ के वजह से हो रहे अनेको नुकसान से लगातार एचएमएस यूनियन द्वारा स्थानीय प्रबन्धन को अवगत कराया जा रहा है, किन्तु प्रबन्धन किसी भी तरह से कोई सकारात्मक पहल नही कर रहा है।
इस तरह के व्यवहार से श्रमिको को गहरा आघात पहुंच रहा है, ऐसी स्थिति विगत 4 वर्षों से बनी हुई है, जिसके वजह से कारखाना में छूटपूट समस्याओं का हल नही होता है, इसलिए आये दिन श्रमिक आंदोलन की स्थिति बनी रहती है, यह प्रबन्धन शुरुआत से ही अड़ियल एवं मनमानी नीति अपनाता रहा है, बिना आंदोलन टूल डाउन के किसी भी बात को नही सुनता है, और जब इनकी मनमानी से तंग आकर आंदोलन होता है तो प्रबन्धन श्रमिको एवं श्रमिक संघ के ऊपर यह आरोप लगा कर बदनाम करता है कि श्रमिक संघो में वर्चस्व की लड़ाई है इसलिए आंदोलन होता है।
एचएमएस यूनियन के महामंत्री बलराम गोस्वामी ने बताया कि हमने श्री सुमित बिनानी जी को पत्र प्रेषित कर बताया है कि श्रमिकों की अपेक्षाएँ अत्यंत छोटी होती है, जिसका समाधान सही नियत से किया जाए तो आसानी से हो जाता है, किन्तु यहाँ तो हाजिरी कटौती, मिस पंच, शिफ्ट परिवर्तन, हॉलिडे ड्यूटी, यूनिफॉर्म, जूता हेलमेट, कैंटीन में अनियमितता, पार्किंग व्यवस्था, सड़क एवं स्वास्थ्य सुरक्षा, ईपीएफ(EPF), ई एस आई सी ((ESIC) जैसे मूलभूत समस्याओं तक का हल स्थानीय प्रबन्धन नही कर पा रहा है या आप करने नही दे रहे है इस बात को आप दोनों ही बेहतर तरीके से समझेंगे और जानेंगे कहकर इस बाबत पत्र लिख कर और स्थानीय प्रबन्धन के माध्यम से ज्ञापन सौंप कर उचित पहल करने को कहा है।
एचएमएस यूनियन के संगठन सचिव मूलचंद नोरगे ने कहा कि ठेका श्रमिकों के इंक्रीमेंट, छटनी मुआवजा, अंतिम भुगतान, छुट्टी बोनस, बीमा जैसे अनेको मुद्दों को 1-2 वर्ष से अटका कर रखे है, जिससे श्रमिको में रोष व्याप्त है, जब कारखाना प्रबन्धन इस तरह की मनमानी पर उतारू रहता है, तो हमारे पास सिवाय आंदोलन के कुछ विकल्प नही बचता।
श्रमिक संघ के वरिष्ठ मजदूर नेता रामनाथ केवट ने कहा कि कारखाना में भेदभाव चरमसीमा पर है, कारखाना के वित्तीय कुप्रबंधन का शिकार क्षेत्रवासी, एवं मजदूर हो रहे है उनकी बातों को कोई सुनने वाला नही है, श्रमिको को खूब प्रताड़ित किया जा रहा है, जो अब बर्दास्त से बाहर है।