ब्रेकिंग: अधिवक्ता संघ नवागढ़ के अध्यक्ष को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही कोतवाली पुलिस, फर्जी दस्तावेज से आकस्मिक आपदा में मृत्यु की क्षतिपूर्ति राशि दिलाने के प्रयास का मामला

जांजगीर-चांपा। फर्जी दस्तावेज के जरिए आकस्मिक आपदा में मृत्यु की क्षतिपूर्ति राशि दिलाने के प्रयास का गंभीर मामला जिले में सामने आया है। कलेक्टोरेट में पदस्थ संयुक्त कलेक्टर निशा नेताम मंडावी की शिकायत के बाद कोतवाली पुलिस ने इस मामले में तहसील अधिवक्ता संघ नवागढ़ के अध्यक्ष को पुलिस हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।

दरअसल, तीन मार्च 2023 को कलेक्टोरेट में पदस्थ संयुक्त कलेक्टर निशा नेताम मंडावी के समक्ष फर्जी दस्तावेज के जरिए आकस्मिक आपदा में मृत्यु की क्षतिपूर्ति राशि दिलाने के प्रयास का गंभीर मामला आया, तब उन्होंने दस्तावेजों की बारीकी से छानबीन की, जिसमें कई तरह की गड़बड़ियां मिली। इसके बाद स्टाॅफ से पूछताछ में उन्हें पता चला कि क्षतिपूर्ति संबंधी उन आवेदनों को तहसील अधिवक्ता संघ नवागढ़ के अध्यक्ष ने प्रस्तुत किया है, जिसके बाद संबंधित को तलब कर उनसे मामले के संबंध में जानकारी ली गई, तब पता चला कि फर्जी दस्तावेज के जरिए आकस्मिक आपदा में मृत्यु की क्षतिपूर्ति राशि स्वीकृत कराने का प्रयास किया जा रहा है।

इसके बाद संयुक्त कलेक्टर निशा नेताम मंडावी ने इस मामले की जानकारी अपने उच्चाधिकारियों सहित कोतवाली पुलिस को दी। मामला गंभीर प्रवृत्ति का होने के कारण कोतवाली पुलिस ने तहसील अधिवक्ता संघ नवागढ़ के अध्यक्ष को तत्काल अपनी हिरासत में लिया और उससे इस मामले के संबंध में बारीकी से पूछताछ कर रही है।

कोतवाली थाना प्रभारी निरीक्षक लखेश केंवट ने बताया कि प्रशासनिक शिकायत के आधार पर तहसील अधिवक्ता संघ नवागढ़ के अध्यक्ष को पुलिस हिरासत में लेकर इस पूरे मामले की बारीकी से छानबीन की जा रही है। उन्होंने बताया कि जल्द ही इस मामले का पटाक्षेप कर दिया जाएगा।

आपदा के प्रकरणों में बिचैलियों की विशेष निगाह
आकस्मिक आपदा से मृत लोगों के परिजनों को शासन द्वारा जिला प्रशासन के माध्यम से क्षतिपूर्ति राशि प्रदान की जाती है ताकि, प्रभावित परिवार के सदस्यों का भरण-पोषण उचित ढंग से हो सके। चूंकि, आकस्मिक आपदा में मृत्यु के प्रत्येक प्रकरण में राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के तहत चार-चार लाख रुपए आर्थिक सहायता अनुदान राशि की स्वीकृति का प्रावधान है। यही वजह है कि आपदा के प्रकरणों में बिचैलियों की विशेष निगाह रहती है। पीड़ित परिवार को भले ही पूरी की पूरी क्षतिपूर्ति राशि मिले या न मिले, यह अलग बात है मगर, शासन-प्रशासन से प्राप्त होने वाली क्षतिपूर्ति राशि में से एक बड़ा हिस्सा इस काम को बड़ी आसानी से कराने वाले बिचैलिये जरूर निकाल लेते हैं।

फर्जी दस्तावेज से निकाल रहे क्षतिपूर्ति राशि मौजूदा हालात ऐसे हैं कि कुछ बिचैलिये किस्म के लोग जिले में पुलिस, राजस्व एवं चिकित्सा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों से सांठगांठ कर फर्जी दस्तावेज के जरिए आकस्मिक आपदा में मृत्यु की क्षतिपूर्ति राशि निकलवाने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। बताया जाता है कि सामान्य मौत को भी दस्तावेजों में आकस्मिक आपदा बताकर शासकीय राशि में खुलेआम सेंध लगाई जा रही है। इस बात का खुलासा पहले भी हो चुका है। मगर, तीन मार्च 2023 को पुनः सामने आए प्रकरण ने प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है।