Jagannath Temple Ratna Bhandar : बरसों से कोबरा सहित कई खतरनाक नाग कर रहे खजाने की रक्षा, 40 साल बाद एक बार फिर से खोला जाएगा वह रत्न भंडार, जानें खासियत

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Jagannath Temple Ratna Bhandar, Ratna Bhandar, Puri Ratna Bhandar : प्राचीन मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों में खजाने की सुरक्षा के लिए सांपों की रखवाली की कहानियां सुनते आ रहे हैं। बॉलीवुड की कई पुरानी फिल्मों में भी इस कथा का उल्लेख देखने को मिला है। हाल ही में, ओडिशा के पुरी स्थित विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के खजाने को लेकर ऐसी ही चर्चाएं सुर्खियों में हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व के कारण जाना जाता है, बल्कि यहां के खजाने की रहस्यमय सुरक्षा को लेकर भी लोग काफी उत्सुक हैं। अब, 14 जुलाई को इस खजाने को खोलने की योजना बनाई जा रही है, जिसके लिए विशेष तैयारियों की जा रही हैं।

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जगन्नाथ मंदिर का खजाना: एक परिचय

जगन्नाथ मंदिर, जो 12वीं शताब्दी में स्थापित किया गया था, भारत के चार धामों में से एक माना जाता है। इस मंदिर में एक रत्न भंडार है, जिसे भगवान का खजाना कहा जाता है। इस रत्न भंडार में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के गहने रखे गए हैं। ये गहने समय-समय पर विभिन्न राजाओं और भक्तों द्वारा चढ़ाए गए थे।

रत्न भंडार की संरचना

जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार दो हिस्सों में बंटा हुआ है: बाहरी और भीतरी। बाहरी रत्न भंडार में भगवान को अक्सर पहनाए जाने वाले गहने रखे जाते हैं। वहीं, जो गहने उपयोग में नहीं आते, वे भीतरी भंडार में सुरक्षित रखे जाते हैं।

1985 में रत्न भंडार का खुलासा

भीतरी रत्न भंडार को आखिरी बार 14 जुलाई 1985 को खोला गया था, जब भगवान बलभद्र के लिए सोने का गहना निकालना था। इसके बाद से इसे फिर से नहीं खोला गया। उस समय की चाबियां भी अब गायब हो चुकी हैं, जिससे इस मामले में और भी विवाद उत्पन्न हो गया। 4 अप्रैल 2018 को जानकारी मिली कि रत्न भंडार की चाबियां खो गई हैं, और इसके बाद डुप्लीकेट चाबी का पता चला। इसने और अधिक विवाद पैदा किया और मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया गया।

उच्चस्तरीय समिति का गठन

अब, एक बार फिर भगवान के खजाने को खोलने की तैयारी की जा रही है। ओडिशा सरकार ने इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है, जो खजाने की कीमती वस्तुओं की सूची तैयार करेगी। मार्च 2024 में बीजू जनता दल की पूर्ववर्ती सरकार ने इस कार्य की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरिजीत पसायत की अध्यक्षता में एक 12 सदस्यीय समिति बनाई थी। भाजपा की नई सरकार ने इस समिति को भंग कर दिया है और ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने बताया कि उड़ीसा हाईकोर्ट के निर्देश पर नई समिति बनाई गई है।

मंदिर प्रशासन की सिफारिशें

मंदिर प्रशासन की 16 सदस्यीय समिति ने खजाना खोलने के लिए सरकार को एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का ड्राफ्ट प्रस्तुत किया है। इसमें सुझाव दिया गया है कि खजाना खोलने के दौरान सांप पकड़ने वाले और डॉक्टरों की टीम तैनात की जाए। पारंपरिक पोशाक में पुजारी पहले भगवान लोकनाथ की पूजा करेंगे और उसके बाद अधिकृत कर्मचारी और सांप पकड़ने वाले खजाने के अंदर जाएंगे। यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाएगा कि यदि सांप किसी को डस ले तो तुरंत इलाज मिल सके और सांप को पकड़ा जा सके।

सांपों की उपस्थिति पर आशंका

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हाल ही में जब जगन्नाथ हेरिटेज कॉरिडोर प्रोजेक्ट के तहत मंदिर का सौंदर्यीकरण किया जा रहा था, तब भी परिसर में कई सांप मिले थे। इससे यह संभावना जताई जा रही है कि खजाने में भी सांप हो सकते हैं।

1978 में खजाने का विवरण

1978 में जब भगवान का खजाना खोला गया था, तब सभी गहनों और अन्य सामानों की सूची बनाई गई थी। उस समय के आंकड़ों के अनुसार, भीतरी रत्न भंडार में सोने के 367 गहने मिले थे, जिनका वजन 4,360 भारी (तोला) था। चांदी के 231 सामान मिले थे, जिनका वजन 14,828 भारी था। बाहरी भंडार में सोने के 87 गहने मिले थे, जिनका वजन 8,470 भारी था। चांदी के 62 सामानों का वजन 7,321 भारी था।

साल 2021 में, कानून मंत्री प्रताप जेना ने राज्य विधानसभा में बताया कि 1978 में कुल 12,831 भारी सोने और अन्य कीमती धातुएं और 22,153 भारी चांदी मिली थी। इसका मतलब है कि मंदिर में लगभग 1068 किलो सोने और 1846 किलो से अधिक चांदी के सामान थे।

अगले कदम

14 जुलाई को जब खजाना खोला जाएगा, तो इसके परिणामों और खजाने की सही स्थिति का पता चल सकेगा। इस समय तक यह तय नहीं है कि सांपों की उपस्थिति की वास्तविकता क्या है, लेकिन प्रशासनिक तैयारियां इस संभावना को ध्यान में रखकर की जा रही हैं। इस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुरक्षा को सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता होगी, ताकि खजाने की सुरक्षा को भी बनाए रखा जा सके और किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।

जगन्नाथ मंदिर का खजाना, सांपों की रहस्यमय सुरक्षा की कहानियों के साथ जुड़ा हुआ है, और अब इस खजाने को फिर से खोलने की योजना बनाई जा रही है। 14 जुलाई को होने वाली इस प्रक्रिया में मंदिर प्रशासन द्वारा किए गए इंतजाम और तैयारियां यह दर्शाती हैं कि खजाने की सुरक्षा और पारदर्शिता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इसके साथ ही, सांपों की उपस्थिति और खजाने की वास्तविक स्थिति के बारे में जानने के लिए सभी की नजरें इस ऐतिहासिक घटना पर होंगी।