
@संजय यादव / 16.03.2025
गाय चराने की नौकरी…
बड़े साहब के रोज नए-नए चर्च के खुलासे हो रहे हैं. कभी अपने रिश्तेदार को ठेके देने की चर्चा शहर में गूंजती है,तो कभी ठेके में बड़े कमीशन की चर्चा होती है. बड़े साहब होने के नाते कई बड़े चर्चे शहर में सुनने को मिलते हैं. अब इन दिनों शहर में एक नया चर्चा छाया हुआ है. ऐसे तो बड़े साहब को मलाई खाने का बहुत शौक है, जिसके कारण बंगले में गाय पाल रखे है, लेकिन गाय के देख देख एवं चराने के लिए ग्रेजुएट युवक को लगाया गया. पशुपालन विभाग से अप्वॉइंट युवक को इस काम में लगाया गया, लेकिन युवक को पढ़ा लिखा होने के मायने अब समझ आने लगे है,तब से युवक बड़ा परेशान है. और नौकरी छोड़ने की बात कर रहा है.
हर्रा लगे न फिटकरी रंग आए चोखा…
भारतीय जनता पार्टी सरकार के परफॉर्मेंस की बात करें तो साल भर में महतारी वंदन योजना के अलावा कोई बड़ा कार्य प्रदेश में नहीं दिखा जिससे लोग प्रभावित हो, न ही सरकार साल भर में ऐसा काम किया जिससे लोग तारीफ करे. लेकिन इस बार पंचायत एवं निकाय चुनाव में बीजेपी ने सता के दम पर बड़ा कारनामा कर दिखाया. प्रदेश से लेकर जिला तक बीजेपी ने कांग्रेस के चारों खाने चित कर दिए. सत्ता में होने का फायदा बीजेपी को भी बहुत मिला, जिसके कारण पूरे प्रदेश में बीजेपी की लहर रही. दिल्ली चुनाव से लेकर हिंदुत्व का मुद्दा छाया रहा. इसमें स्थानीय नेताओं का कोई रोल नहीं रहा, न हीं चुनाव के दौरान कोई प्रदेश के नेता प्रचार में आए.पंचायत एवं निकाय चुनाव में प्रत्याशी को अपने भरोसे छोड़ दिया गया प्रत्याशी अपने दम एवं काम के बदौलत चुनाव जीत आए.और श्रेय सरकार ले लिया. इसीलिए लोग अब कहने लगे है, हर्रा लगे ना फिटकरी रंग आए चोखा.
सी.एस.की अकड़ या डॉक्टरों की मनमानी…
जिले में इन दिनों सिविल सर्जन और जिला हॉस्पिटल के डॉक्टरों के बीच जोरदार रॉर चल रहा है. डॉक्टर ने अपनी ड्यूटी छोड़कर जिला अस्पताल के साइकल स्टैंड में ड्यूटी कर रहे हैं.डॉक्टरो ने सी एस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. महिला डॉक्टरों का आरोप है सिविल सर्जन बदतमीजी करते हैं, स्वास्थ्य मंत्री का रिश्तेदार होने का धौश दिखाते हैं. अब इन दोनों की लड़ाई के बीच मरीज परेशान है. अब इसे सिविल सर्जन की अकड़ कहे, या डॉक्टरों की मनमानी. सी एस का कहना है कि डॉक्टर ओपीडी में टाइम से नहीं आते है, आते भी है तो जल्दी चले जाते हैं. अब सिविल सर्जन अपने ही बात पर फंसते नजर आ रहे हैं. क्योंकि जिला अस्पताल में कलेक्टर साहब की मैडम भी कार्यरत है इससे यही साबित हो रहा है कि मैडम भी समय में ड्यूटी नहीं आती होगी, लेकिन कार्यवाही सिर्फ डॉक्टरों पर ही क्यों, क्या मैडम पर भी कार्यवाही नहीं होनी चाहिए? यह आरोप जिला अस्पताल में प्रदर्शन कर रहे हैं डॉक्टर लगा रहे है. ऐसा जवाब देकर अब सिविल सर्जन फंस गए हैं।
जिला पंचायत में इंजीनियर मैडम की धमक…
जिले की स्थापना से लेकर अब तक पहली बार जिला पंचायत में अध्यक्ष के पद पर कोई इंजीनियर महिला जीत कर आई है.वह भी फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली, अब जिला पंचायत के अधिकारी एवं कर्मचारियों की बोलती बंद है. क्योंकि जांजगीर चांपा जिला पंचायत में नवनिर्वाचित अध्यक्ष श्रीमति सत्यलता मिरी पेसे से इंजीनियर है वह भी पढ़ी लिखी अंग्रेजी बोलने वाली, पति आनंद मिरी राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी है पंचायत की बारीकी जानकारी रखते है. इसलिए अब जिला पंचायत के कर्मचारियों,अधिकारियों को डर सताने लगा है, कि मैडम कहीं उनका जीना हराम न कर दे. हालांकि जिस दिन नवनिर्वाचित सदस्यों का शपथ ग्रहण समारोह कार्यक्रम था उसी दिन से इसका शुरुआत हो गया है अध्यक्ष से लेकर सभी सदस्यों का गुस्सा अधिकारियों पर खूब फूटा, क्योंकि अधिकारी नवनिर्वाचित सदस्यों को हल्के में लिए, मौके से नदारत रहे, जिला पंचायत सीईओ ने नवनिर्वाचित अध्यक्ष उपाध्यक्ष का स्वागत तक नहीं किया। अब अध्यक्ष मैडम की बारी है, सभी को लाइन में खड़े करके हिसाब लेने का समय आ गया है. अब अधिकारियों की मनमानी जिला पंचायत में नहीं चलने वाली।
नपा अध्यक्ष का नया चैंबर…
जांजगीर नैला नगर पालिका में नए अध्यक्ष रेखा देवा गढ़वाल के जीत कर आ जाने के बाद अब कार्यालय में नए चैंबर की तलाश एवं कमरे का इंटीरियर का काम शुरू हो गया है. पूर्व अध्यक्ष के कमरे को छोड़कर नए कमरे में शिफ्ट होने की तैयारी है.क्योंकि नए अध्यक्ष वास्तु शास्त्र के हिसाब से नए सिरे से अपने नए कार्यकाल का शुरुआत करना चाह रहे हैं. पूर्व अध्यक्ष के चैंबर को छोड़कर वास्तु के हिसाब से कमरे की खोज में है। बड़ी मार्जिन से जीत दर्ज कर नगर पालिका पहुंची है, इस लिहाज से जनता का भी बड़ा अपेक्षा नगर पालिका अध्यक्ष से है. जल्दी ही नए चैंबर का साफ सफाई हो जाने के बाद कार्यभार संभालना शुरू कर देगी.
विधायक का गोवा टूर…
जांजगीर चांपा विधायक का मेहनत जिस तरह निकाय चुनाव में देखा गया था वह पूरी तरह पंचायत चुनाव में फेल होते नजर आया. पंचायत चुनाव में प्रत्याशियों की जीत के बाद ना तो वे जोड़-तोड़ करते दिखे, न हीं अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष बनाने में कोई दिलचस्पी दिखाई. न ही अपने विधानसभा क्षेत्र के जनपद में अध्यक्ष उपाध्यक्ष बना पाए. जिला पंचायत में भी अपने पार्टी के प्रत्याशी को अध्यक्ष उपाध्यक्ष के लिए खड़े नही कर पाए. इन वक्त पर विधायक के अलावा प्रदेश के कई विधायक गोवा टूर में चले गए थे. क्योंकि जिस समय जीतकर आए प्रत्याशी का जोड़-तोड़ में पार्टी को लगना चाहिए था उस समय कांग्रेस के विधायक टूर पर थे. जिसकी चर्चा शहर में होती रही. भाजपा ने भी इस बात को लेकर खूब चुटकी लिया और कहा कि कांग्रेस विधायक अपने जीते हुए प्रत्याशी को छोड़कर दूर में चले गए इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि चुनाव को लेकर कितने गंभीर रहे थे। अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के लिए जोड़-तोड़ में बीजेपी बाजी मार दी और कांग्रेस प्रत्याशियों को लेकर धरी की धरी रह गई।