Breaking : विधानसभा अध्यक्ष के विधानसभा क्षेत्र सक्ती से सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण, परिवार सहित कर रहे थे पलायन….एसडीएम मेनका प्रधान की सजगता से ठेकेदार के चंगुल से कराया गया मुक्त… ग्रामीणो के पलायन से जिला प्रशासन पर उठ़ रहे कई सवाल…

जांजगीर चांपा। छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डां चरणदास मंहत के विधानसभा क्षेत्र सक्ती से काम नही मिलने के कारण रोजी रोटी की तलाश मे सैकड़ों की संख्या मे ग्रामीण मजबूरी में अन्य प्रंात पालयन कर रहे है। अपने छोेटे -छोटे बच्चो को लेकर हजारो किमी दूर राजस्थान जा रहे है। लेकिन इन ग्रामीणो को पुछने वाला कोई नही है। दूसरी ओर सरकार जहां मजदूरो किसानो के हित मे सैकड़ो योजना चलाने का दवा करती है लेकिन यहां यह सब फेल होते नजर आ रहा है।

आज सैकड़ो की संख्या मे सक्ती से राजस्थान जाने के लिए बस निकले ग्रामीण जांजगीर के चांपा रोड़ आईटीआई के पास पहुचे थे कि उनका बस अचानक बीती रात खराब हो गया । ग्रामीण रातभर परिवार सहित वही रूकंे रहे । जब इसकी जानकारी मिडिया को लगी तो मौेके पर पहुच कर एसडीएम जांजगीर को इसकी सूचना दी । तब जाकर पता लग पाया कि ठेकेदार बिना अनूमति के ग्रामीणो को काम दिलवाने के नाम राजस्थान ले जाया जा रहा है। जब ठेकेदार से अनुमति होने की जानकारी मांगी तो किसी प्रकार की अनुमति नही होना पाया गया । एसडीएम ने ठेकेदार को फटकार लगाते हुए सभी गा्रमीणों को ठेकेदार के चगुंल से मुक्त करा कर वापस उनके गांव रवाना किया गया। लॉकडाउन के दौरान काम बंद होने के चलते अन्य प्रांतों में फंसे मजूदरों के सामने रोजी रोटी का संकट उत्पन्न होने लगा था। जिसके चलते मजदूर अपने परिवार के सदस्यों का पेट भरने जैसे तैसे सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करके गांव वापस लौटे। वहीं लगातार मजदूरों की समस्याओं को देख राज्य शासन द्वारा अन्य प्रांतों में फंसे मजूदरों को सुरक्षित घर तक पहुंचाने के लिए करोड़ों रूपये खर्च कर वापस लाया गया। साथ ही मजदूरों के लौटने के बाद उन्हें गांव में रोजगार उपलब्ध कराए जाने का दावा भी किया जा रहा हैए मगर समय के साथ ही साथ परिस्थिति बदलने लगी। अब रोजगार व आर्थिक संकट से जूझ रहे भूमिहीन मजूदर फिर से पलायन करने को मजबूर हैं।

हालांकि राज्य शासन व जिला प्रशासन द्वारा प्रवासी मजदूरों को गांव में रोजगार उपलब्ध कराने व पर्याप्त सुविधा मुहैया कराने के लिए कई योजनाओं के क्रियान्वयन का दावा भी किया जा रहा है, मगर विभागीय अधिकारियों की उदासीनता व पंचायत प्रतिनिधियों की मनमानी के चलते आज भी मजदूर पलायन करने को मजबूर हैं। जिले में मनरेगा पर्याप्त काम नहीं मिलने के कारण लोगों का इस पर से भरोसा उठा है, इसके चलते मजदूरों को पलायन करना पड़ता है। जिले में रबी मौसम में ज्यादातर क्षेत्रफल में खेती भी नहीं होती। इसके कारण मजदूरों को आवश्यकता अनुरूप काम नहीं मिल पाताए इसलिए पलायन उनकी मजबूरी है। जिले के मजदूर हर साल जम्मू कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, उत्तरप्रदेश सहित अन्य राज्यों में पलायन करते हैं। जिले में अब फिर से पलायन का दौर शुरू होने लगा है। यहां अन्य प्रांतों की बसे मजदूरों को लेने गांव पहुंच रही है।