Honorarium Hike, Employees Honorarium Hike, Employees Honorarium : उत्तर प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है। प्रदेश सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत संविदा शिक्षकों के मानदेय में बढ़ोतरी का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है। यह प्रस्ताव मंगलवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के लिए भेजा गया था, जिसे हाल ही में मंजूरी मिल गई है। यह बढ़ोतरी साल 2019 के बाद से लागू होगी और इससे तीनों श्रेणियों – असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, और प्रोफेसर – के मानदेय में इजाफा होगा।
मानदेय में वृद्धि के कारण और प्रभाव
संविदा शिक्षकों के मानदेय में बढ़ोतरी का निर्णय सरकार द्वारा शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के प्रयासों का हिस्सा है। उत्तर प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों के शिक्षक, जो संविदा पर नियुक्त होते हैं, की स्थिति लंबे समय से चिंता का विषय रही है। पहले के मानदेय की तुलना में अब वे अधिक आर्थिक सुरक्षा प्राप्त करेंगे, जिससे उनकी कार्यप्रेरणा और नौकरी में स्थिरता बढ़ सकती है।
सरकार द्वारा इस निर्णय की मंजूरी से प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों को वित्तीय राहत मिलेगी। इससे शिक्षक समुदाय में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा, जो मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में सहायक होगा। बढ़े हुए मानदेय से शिक्षक अपने कर्तव्यों को अधिक जिम्मेदारी और समर्पण के साथ निभा सकेंगे, जिससे विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा मिल सकेगी।
मानदेय में वृद्धि
वर्तमान में, असिस्टेंट प्रोफेसरों, एसोसिएट प्रोफेसरों और प्रोफेसरों को जो मानदेय मिल रहा था, वह निम्नलिखित था। असिस्टेंट प्रोफेसर को 90 हजार रुपये प्रति माह, एसोसिएट प्रोफेसर को 1 लाख 20 हजार रुपये प्रति माह, प्रोफेसर को 1 लाख 35 हजार रुपये प्रति माह है।
अब, इस मानदेय में बढ़ोतरी की गई है और नई दरें इस प्रकार होंगी: असिस्टेंट प्रोफेसर का मानदेय अब 1 लाख 20 हजार रुपये प्रति माह होगा, जो कि पहले 90 हजार रुपये था। एसोसिएट प्रोफेसर का मानदेय 1 लाख 60 हजार रुपये प्रति माह होगा, जो कि पहले 1 लाख 20 हजार रुपये था,
प्रोफेसर का मानदेय बढ़कर 2 लाख 20 हजार रुपये प्रति माह होगा, जो कि पहले 1 लाख 35 हजार रुपये था।
इस बढ़ोतरी से उम्मीद की जा रही है कि चिकित्सा शिक्षा में सुधार होगा और दूरस्थ इलाकों के मेडिकल कॉलेजों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षक उपलब्ध हो सकेंगे। मानदेय की वृद्धि से न केवल मौजूदा शिक्षक खुश होंगे, बल्कि नए शिक्षकों को भी मेडिकल कॉलेजों में नियुक्त होने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
मेडिकल कॉलेजों की वर्तमान स्थिति
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने “एक जिला-एक मेडिकल कॉलेज” योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत, प्रदेश के प्रत्येक जिले में एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना की गई है। हालांकि, इस योजना के लागू होने के बाद भी मेडिकल कॉलेजों में कई समस्याएँ उभरकर आई हैं। इनमें सबसे बड़ी समस्या डॉक्टरों की कमी है, जो मरीजों के इलाज और चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है।
मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की कमी का असर न केवल मरीजों के इलाज पर पड़ रहा है, बल्कि चिकित्सा विद्यार्थियों की शिक्षा और प्रशिक्षण पर भी पड़ रहा है। यह स्थिति मेडिकल कॉलेजों की क्षमता और उनकी मान्यता को प्रभावित कर रही है।