Jharkhand Assembly Election, Assembly Election, Hemant Soren, BJP, JMM : झारखंड राजनीति में एक नए मोड़ की ओर बढ़ते हुए, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) का सामना 2024 के विधानसभा चुनाव में BJP से होगा। इस दौरान, राज्य की सियासत में गहराई और नए मुद्दों के आगमन का दृश्य देखने को मिल रहा है।
Hemant Soren : हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और वापसी
हेमंत सोरेन के नेतृत्व में जेएमएम ने जब से सत्ता पर कब्जा किया, उसकी सियासी यात्रा में कई मोड़ आए हैं। लेकिन हाल ही में उनकी गिरफ्तारी ने पार्टी की सियासी रणनीति में नया चेहरा दिखाया। उनकी गिरफ्तारी के बाद, जेएमएम ने एकजुट होकर हेमंत के समर्थन में उठाया। जेएमएम के नेता बनते ही हेमंत ने फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जिससे पहले वे चंपई सोरेन के नाम से जाने जाते थे। उनकी ये वापसी न केवल राजनीतिक समर्थन को बढ़ाती है, बल्कि उनकी पार्टी के चुनावी संकल्प को भी मजबूती प्रदान करती है।
Hemant Soren : जेएमएम की चुनावी रणनीति
झारखंड मुक्ति मोर्चा की चुनावी रणनीति में इस बार हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी का मुद्दा मुख्य रहेगा। विपक्षी दलों ने इसे भ्रष्टाचार और राजनीतिक विद्रोह का मुद्दा बनाने का प्रयास किया है, जिसे सोरेन और उनकी पार्टी ने सख्ती से नकारा है। उनकी गिरफ्तारी के बाद, जेएमएम ने इसे अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करने का फैसला किया है, जिससे वे चुनावी प्रचार में लोगों की सहानुभूति जीत सकते हैं।
Hemant Soren : विपक्ष और उसकी पकड़
हेमंत सोरेन की वापसी के साथ ही विपक्ष दलों के बीच भी चुनावी चालबाजी में बदलाव आया है। भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने उनकी गिरफ्तारी को एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा बनाने का प्रयास किया है।जिसका उन्होंने सख्त विरोध किया है। इससे साफ होता है कि अगले चुनाव में झारखंड की राजनीति में इस मुद्दे का खास महत्व होगा।
Hemant Soren : भाजपा का प्लान
इस बीच, भाजपा भी अपनी चालें तैयार कर रही है। वह हेमंत सोरेन के खिलाफ एक मजबूत प्रतिस्पर्धा लाने की योजना बना रही है, जिसमें उनकी गिरफ्तारी को भ्रष्टाचार और गवाहों के साथ जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।
चुनावी रणनीति को बदला गया
इस प्रकार, हेमंत सोरेन की वापसी और उसकी गिरफ्तारी के मुद्दे पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपनी चुनावी रणनीति को बदल दिया है। इससे नहीं सिर्फ पार्टी को समर्थन मिला है, बल्कि वे चुनावी प्रचार में भी एक शक्तिशाली मुद्दा प्रस्तुत कर सकते हैं। अगले महीनों में यह देखने को मिलेगा कि कैसे यह सभी मुद्दे चुनावी परिणामों में परिणत होते