Ganesh Utsav 2024 : जब भगवान परशुराम से युद्ध हारकर 3000 फ़ीट की ऊँची पर्वत चोटी पर अकेले बैठ गए गणपति, दिलचस्प है इतिहास, इस गणेश चतुर्थी जरूर करें दर्शन

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Ganeshutsav 2024, Ganesh Utsav 2024, Ganesh Chaturthi 2024,, Dholkal Ganesh Temple : गणेश उत्सव की शुरुआत हो चुकी है। बप्पा के कई मंदिर हैं जो अपनी खूबसूरती और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं। एक ऐसा ही अद्भुत स्थल छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित भगवान गणेश का मंदिर है, जो अपनी विशेषता और रहस्यमय कथा के लिए जाना जाता है।

मंदिर की स्थिति और ऐतिहासिक महत्व

भगवान गणेश का यह मंदिर छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में ढोलकल पहाड़ी के ऊपर स्थित है, जो रायपुर से लगभग 350 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर समुद्र तल से 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, और यहाँ पहुंचना किसी चुनौती से कम नहीं है। कहा जाता है कि यह मंदिर लगभग 1000 साल पुराना है और यहाँ गणेश जी की प्रतिमा ढोलक के आकार की है। यही कारण है कि इस पहाड़ी को ढोलकल पहाड़ी और भगवान गणेश को ढोलकल गणपति के नाम से जाना जाता है।

गणेश जी की प्रतिमा का रहस्यमय इतिहास

मंदिर में स्थापित भगवान गणेश की प्रतिमा बेहद दिलचस्प है। प्रतिमा में गणेश जी अपने ऊपरी दाएं हाथ में फरसा और ऊपरी बाएं हाथ में टूटा हुआ दांत पकड़े हुए हैं। निचले दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में मोदक रखा हुआ है। यह प्रतिमा एक ऐतिहासिक घटना से जुड़ी है जिसमें भगवान परशुराम और गणपति बप्पा के बीच एक भयंकर युद्ध हुआ था।

कहा जाता है कि भगवान परशुराम ने महादेव की तपस्या से अत्यधिक शक्ति प्राप्त की थी। जब वह महादेव को धन्यवाद देने के लिए कैलाश जा रहे थे तो गणपति बप्पा ने उन्हें ढोलकल पर्वत पर रोका। इस बीच परशुराम ने बप्पा को परशु से हमला किया। जिससे बप्पा का एक दांत आधा टूट गया। इस घटना के बाद से बप्पा की आधा दांत और पूरा दांत वाली मूर्ति की पूजा की जाती है, जो इस मंदिर की विशिष्टता को और भी बढ़ा देती है।

पहाड़ पर पहुंचने की चुनौती

ढोलकल पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 5 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई करनी पड़ती है। इस यात्रा के दौरान लोग घने जंगलों, बड़े-बड़े झरनों, पुराने पेड़ों और ऊंची चट्टानों को पार करते हैं। बावजूद इसके गणपति के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त इस कठिन यात्रा को करने को तैयार रहते हैं।

मंदिर की खोज और विवाद

इस प्राचीन मंदिर की खोज 1934 में एक विदेशी भूगोलवेत्ता ने की थी। फिर 2012 में दो पत्रकारों ने ट्रैकिंग करते हुए यहां पहुंचे और मंदिर की तस्वीरें वायरल कर दीं। इसके बाद से यहां भक्तों की संख्या में वृद्धि हुई। हालांकि इस पवित्र स्थल को भी विवादों का सामना करना पड़ा। साल 2017 में भगवान गणेश की मूर्ति के साथ छेड़छाड़ करने का मामला सामने आया। कुछ असामाजिक तत्वों ने मूर्ति को नीचे खाई में फेंक दिया था। जिसके बाद प्रशासन ने ड्रोन कैमरे की मदद से मूर्ति को खोजा और उसे पुनः स्थापित किया गया।

ढोलकल गणेश मंदिर सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं बल्कि एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर भी है। यहां की कठिन यात्रा, मंदिर की अद्वितीय प्रतिमा, और इसके साथ जुड़ी कहानियां इसे और भी खास बनाती हैं। यदि आप भी धार्मिक स्थलों की यात्रा में रुचि रखते हैं, तो छत्तीसगढ़ के इस अद्भुत मंदिर की यात्रा निश्चित रूप से आपके अनुभव को समृद्ध बनाएगी।