संजय यादव
जांजगीर चाम्पा। आपने ने किसी भी मंदिर पर मिठाई, पेड़े, लड्डू ,बर्फी, मेवा के सवामनी भोग प्रसाद के रूप में लगाते जरूर सुना होगा… लेकिन पहली बार आप सुनने जा रहे हैं कि कोई भगवान को सवामनी पौधे का भोग के रूप में लगाए है। इसके पीछे संदेश यह है कि पर्यावरण सुरक्षित एवं संरक्षित हो…चांपा की महिला नेहा अग्रवाल अपने साथियों के साथ एक अच्छी पहल की है जिसमें उन्होंने डोंगा घाट के हनुमान मंदिर एवं नारायणी धाम पर सवामनी यानी 111 पौधे का भोग भगवान को लगाने के बाद पौधारोपण किया है.. जिसको लेकर अब पूरे जिले में नेहा की खूब प्रशंसा हो रही.. वहीं उनकी इस नेक काम को लोग अब सराहना कर रहे हैं।
गो ग्रीन कार्यक्रम के तहत एक नई पहल करते हुए नेहा अग्रवाल ने अपने साथियों के साथ सवामनी पौधों की भोग भगवान में लगाने का निश्चय किया.. नेहा अग्रवाल ने बताया कि पौधों की सवामनी भोग सुनने में थोड़ा अजीब और अलग जरूर लग रहा होगा कि सवामनी तो लड्डू ,पेड़ा, बर्फी ,फल, मेवा के लगाए जाते हैं और जिनका प्रसाद हम सभी पाते हैं ,किंतु पौधों की सवामनी भोग लगाने के पीछे प्रकृति को प्रसाद देने हेतु लगाया जा रहा है…जिसमे विभिन्न प्रकार के फल, फूल, पौधों ,एवं पारस, पीपल के पौधों को समग्र रूप मिलाकर 111 पौधे नर्सरी से लाकर डोंगाघाट हनुमान मंदिर एवं नारायणी धाम में लाकर के मंदिर परिसर में लगाया है..इस कार्यक्रम के लिए नारायणी धाम में अशोक वाटिका के तर्ज पर नारायणी धाम के बालाजी मंदिर प्रांगण को सजाया गया था ,साथ ही सवामनी के सभी पौधों को मंदिर के अंदर सजाकर विशेष आकर्षक लगाई गई…डोंगाघाट चांपा में सीमेंट के नए गमलों को लेकर समिति के बहनों द्वारा ही सुंदर गेरू एवं पीले रंगों से रंग कर सजा कर पहले दिन सवामनी भोग के लिए तैयार किया गया ।
इस सकारात्मक पहल से समाज को एक नई सोच के साथ आगे आने हेतु प्रेरित करते हुए नेहा अग्रवाल ने बताया कि आने वाली पीढ़ी को अच्छा संदेश जाय.. एवं पर्यावरण को सुरक्षित एवं संरक्षित रखने के लिए यह काम किया गया है.. सभी सदस्यों ने अनुरोध किया की सभी साथी इस कार्य में सहयोग कर एक एक पौधे जरूर लगाएं ….भगवान की पूजा के बाद सवामनी प्रसाद के रूप सभी साथियों को पौधों को वितरण किया गया.. नेहा अग्रवाल ने बताया हमारे आने वाली पीढ़ी के लिए यह एक अनमोल तोहफा होगा ,उनके गार्जियन पीढ़ी के द्वारा साथ ही सभी शुभ अवसर पर जिसमे शादी की वर्षगांठ, गृह प्रवेश, बच्चों के जन्मदिन में गिफ्ट एवं रिटर्न गिफ्ट, बच्चे के जन्म उत्सव पर परिवार जनों को ,मंगल पाठ आदि अन्य मांगलिक अवसरों पर भी पौधे ही उपहार स्वरूप दिए जाने की परंपरा विगत दो-तीन सालों से प्रारंभ की गई है जिससे पर्यावरण स्वस्थ एवं हरा भरा रहे और हमारा समाज स्वस्थ एवं निरोग रहे.. प्रकृति और अपनों के लिए अपने आने वाली पीढ़ी के लिए सबसे बड़ा उपहार है जो सदैव यादगार रहेगा।