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जांजगीर चाम्पा। उभय लिंगी(किन्नर)समाज की इष्ट देवी बहुचरा देवी पूजा कार्यक्रम में दिल्ली,मुंबई, कोलकोता से बड़ी संख्या में किन्नर चाम्पा पहुंचे। जिसमे चार जोड़ो का हुआ विधि विधान से विवाह संपन्न कराया गया।
लिंगी कल्याण समिति चाम्पा द्वारा आयोजित किन्नर समाज की इष्ट देवी बहुचरा देवी पूजा कार्यक्रम में मुंबई, कोलकाता एवं दिल्ली से किन्नर बड़ी संख्या में चाम्पा पहुंचे. चांपा के सामुदायिक भवन में तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन हुआ. जिसमें पहला दिन देव पूजा, दूसरा दिन हल्दी एवं तीसरे दिन कलश यात्रा निकालकर सभी किन्नर समाज ने अपने इष्ट देवी बहुचरा देवी की पूजा अर्चना की. और देश में फैल रहे वैश्विक बीमारी एवं विश्व कल्याण के लिए अपने देवी से आशीर्वाद मांगा। वही अपने किन्नर समाज के 4 जोड़ों का शादी संपन्न कराएं। जिसमें बड़ी संख्या में लोग एवं किन्नर समाज के लोग मौजूद रहे।
किन्नरों की कैसे होती है शादी…
किन्नर तो पूरी तरह पुरुष होते हैं और ना ही महिला. लिहाजा उनकी शादी होती है या नहीं, इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति रहती है. आमतौर पर अलग समुदाय के तौर पर रहने वाले किन्नरों को लेकर माना जाता है कि वे हमेशा अविवाहित रहते हैं. जबकि हकीकत में ऐसा नहीं है किन्नर शादी करते हैं और केवल एक रात के लिए शादी करके दुल्हन बनते हैं. किन्नरों की शादी किसी इंसान से नहीं बल्कि उनके भगवान से होती है. किन्नरों के भगवान हैं अर्जुन और नाग कन्या उलूपी की संतान इरावन जिन्हें अरावन के नाम से भी जाना जाता है. महाभारत में अज्ञातवास के दौरान अर्जुन किन्नर के रूप में ही रहे थे.
किन्नर आखिर किससे करते हैं शादी…
किन्नरों का विवाह बड़ी विधि विधान से समारोह आयोजित किया जाता है, जो 18 दिनों तक चलता है। इस दौरान यहां नाच-गाना आदि कई कार्यक्रम होते हैं। इस समारोह में भाग लेने के लिए देश भर के हजारों किन्नर यहां इकट्ठा होते हैं। विवाह समारोह के 17 वें दिन किन्नर दुल्हन के रूप में सजती-संवरती हैं और फिर अरावन भगवान के मंदिर जाती हैं। यहां पुजारी किन्नरों के गले में अरावन देव के नाम का मंगलसूत्र पहनाते हैं। इस तरह किन्नरों की शादी भगवान अरावन से हो जाती है।